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नई दिल्ली। ‘साफ नीयत, सही विकास’ का नारा देकर मोदी सरकार चार साल के जश्न में डूबी है. लेकिन जिन मुद्दों पर पीएम मोदी ने 56 इंच का सीना दिखाया था, दावा किया था इससे देश की कायापलट होगी, देश का विकास होगा. उन तमाम मुद्दों पर मोदी की साफ नीयत वाली विकास दिख नहीं पाई है. ये मैं नहीं कह रहा है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही उनका जिक्र नहीं किया है.
शनिवार को भाजपा सरकार के चार साल पूर हो गए हैं. ‘साफ नीयत, सही विकास’ का नारा ट्रेंड कर रहा है. नरेंद्र मोदी ने एक करीब तीन मिनट का वीडियो शेयर कर साफ नीयत वाली विकास की कहानी सुनाई है. ‘साफ नीयत, सही विकास’ भले ही ट्रेंड कर रहा है लेकिन मोदी सरकार की नीयत पर सवाल खड़े होने लगे हैं.
जयशाह के स्टार्ट अप जैसी तरक्की
साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने युवा,युवा,युवा का नारा देकर युवाओं का दिल जीत लिया. युवाओं की बात करने वाले नरेंद्र मोदी ने चार साल में युवाओं के लिए किया क्या? रोजगार के नाम पर पकौड़ा, चाय बेचने की नसीहत और 15 लाख देने वाली बात को जुमला बताकर बच लिए. यदि युवाओं के लिए कुछ किया है तो फिर रोजगार का जिक्र वीडियो में क्यों नहीं है? हां, ऐसा मान लिजिए कि, साफ नीयत, सही विकास में रोजगार शामिल नहीं था. स्कील इंडिया, स्टार्ट अप का जिक्र किया है लेकिन अमित शाह के बेटे जयशाह के स्टार्ट अप जैसी तरक्की कितनों ने की है.
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना
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दुसरी और बीजेपी ने भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना दिखाया लेकिन इसका जिक्र वीडियो में नहीं है. बल्कि नोटबंदी के समय का मीडिया कवरेज देखिए तो पता चलता है कि नोटबंदी को किस प्रकार से मोदी और इनके मंत्री ताल ठोक कर भ्रष्टाचार मुक्त करने की बात कहते हैं. मतलब कि नोटबंदी पर भी नीयत साफ नहीं है. जीएसटी को वन नेशन, वन टैक्स बताकर लागू कराया लेकिन इसमें इतनी उलझन डाल दी कि आजकत लोगों को समझ हीं नहीं आ रहा है. शायद इसलिए जीएसटी का जिक्र भी साफ नीयत वाली वीडियो में नहीं है.
चौकीदार सरकार की हार
अब भ्रष्टाचार पर क्या कहना, खुद ही देखिए भाजपा सरकार में ही नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसी जैसे भगौड़े करोड़ों की चंपत लगाकर भाग गए और हमारी चौकीदार सरकार देखते रह गई. कुछ एक्शन लिया है तो फिर चार से विकास में इसका जिक्र किया क्यों नहीं क्योंकि ये अबतक के सबसे बड़े घोटालें माने जाते हैं.
बुलेट ट्रेन का सपना
रेलवे की स्थिति तो ज्यों की त्यों बनी हुई है. ट्रेनें लेट, जनरल बोगियों की संख्या नहीं बढ़ी लेकिन हादसें बढ़ गए. रेलवे विकास के नाम पर चार साल में सरकार बता रही है कि टिकट बुक करना आसान कराया है. बुलेट ट्रेन का सपना दिखाया है.
साफ तौर पर कहें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन वादों के बदौलत सत्ता में आए और चर्चा में रहे, पर अब वह खुद ही रोजगार, नोटबंदी, जीएसटी, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर चर्चा से नजर छिपाते दिख रहे हैं. अब भाजपा सरकार ही इनको अपने विकास के चैप्टर में शामिल नहीं कर रही है तो फिर आम लोग कैसे मान लें कि साफ नीयत के साथ सही विकास हुआ है.
-रवि कुमार गुप्ता
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