अहमदाबाद। गुजरात के चुनावी आसमान में जीत का फैसला होने से पहले ही भाजपा की पतंग कटती नजर आ रही है. कभी हार्दिक को छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके नरेन्द्र पटेल और निखिल ने एक बार फिर हार्दिक का हाथ पकड़ लिया है. साथ ही दोनों पाटीदारों ने भाजपा पर खरीद फरोख्त का इल्जाम भी लगाया है.
निखिल की माने तो भाजपा पैसे के दम पर पाटीदारों को खरीदने में जुटी है. तो दूसरी तरफ पाटीदार नरेंद्र पटेल ने भी भाजपा पर खरीद फरोख्त का आरोप लगाते हुए कहा है कि वरुण और रेशमा की तरह भाजपा नेताओं ने उन्हे पार्टी में शामिल होने के लिए कहा और इसके लिए बकायदा 1 करोड़ रुपए का ऑफर भी दिया. और पेशगी के तौर पर उन्हें 10 लाख रुपए भी दिए जा चुके हैं.
यानि वोट के बदले नोट का जुमला सियासत में यूं ही नहीं सुनाई देता. जब जिसे मौका मिलता है, इस जुमले के साथ हो लेता है. वैसे नरेन्द्र पटेल की तरफ से लगाए जा रहे इस इल्जाम पर गौर फरमाएं तो जेहन में एक सवाल उठना लाजमी है कि अखिर कोई न कोई तो खास वजह जरुर रही होगी, जिससे अभी तक गुजरात में चुनावी शंखनाद नहीं हुआ है. क्या पता पर्दे के पीछे शायद यही काम बाकि रह गया हो.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
