देश को तिरंगा देने वाले पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 को वर्तमान आंध्र प्रदेश में हुआ था. मछलीपत्तनम से हाई स्कूल उत्तीर्ण करने के बाद वो अपने वरिष्ठ कैम्ब्रिज को पूरा करने के लिए कोलंबो चले गए. भारत लौटने पर उन्होंने एक रेलवे गार्ड के रूप में और फिर बेल्लारी में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में काम किया.
बाद में वो एंग्लो वैदिक महाविद्यालय में उर्दू और जापानी भाषा का अध्ययन करने लाहौर चले गए. 19 साल की उम्र में ब्रिटिश इंडियन आर्मी से जुड़े और अफ्रीका में एंग्लो-बोएर जंग में हिस्सा लिया. वहीं उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी. उर्दू और जापानी समेत कई तरह की भाषाओं का उन्हें अच्छा ज्ञान था. वो जियोलॉजी में डॉक्ट्रेट थे. हीरे के खनन में भी उन्हें विशेषज्ञता हासिल थी. इसी वजह से उन्हें डायमंड वैंकय्या नाम दिया गया था. 1906 से लेकर 1911 तक वे कपास की फसल की अलग-अलग किस्मों के तुलनात्मक अध्ययन में व्यस्त रहे थे.
उन्होंने बॉम्वोलार्ट कंबोडिया कपास पर एक अध्ययन भी प्रकाशित किया था. इसके बाद उनका नाम पट्टी वैंकैया पड़ गया था. साल 1921 में पिंगाली ने केसरिया और हरा झंडा सामने रखा था. फिर जालंधर के लाला हंसराज ने इसमें चर्खा जोड़ा और गांधीजी ने सफेद पट्टी जोड़ने का सुझाव दिया था. पिंगाली का निधन 4 जुलाई 1963 को हुआ था.

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पिंगली वेंकैया जन्म जयंती पर शत् शत् नमन।