रांची। नीट की परीक्षा के लिए दिन-रात मेहनत करने वाली नलिनी असुर परीक्षा पास करने के बाद प्रशासन से हार गयीं. असल में झारखंड की आदिम जनजाति असुर से आने वाली नलिनी असुर ने नीट परीक्षा एसटी कैटेगरी में 292 रैंक लाकर पास कर ली थी. यह उनकी जाति में पहली बार है जब किसी आदिम जनजाति की लड़की ने नीट मेडिकल परीक्षा परीक्षा पास की पर नीट की लापरवाही के कारण वह डाक्टर नहीं बन पायेगी. बता दें की नीट प्रशासन की लापरवाही और तकनीकी वजहों से मेडिकल के प्रथम काउंसलिंग में उन्हें नहीं बुलाया गया था जिसके बाद उन्हें दोबारा काउसलिंग का मौका ही नहीं दिया गया.
मिली जानकारी के अनुसार नलिनी ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा नीट में रैंक प्राप्त करने के बाद स्टेट मेरिट लिस्ट के लिए आवेदन दिया था. परिषद् द्वारा 19 जुलाई को जारी स्टेट मेरिट लिस्ट में क्रम संख्या 2400 पर नलिनी का नाम था जबकी एसटी कैटेगरी में 292 रैंक मिला था. इसके बावजूद प्रथम काउंसेलिंग के लिए उसका चयन नहीं किया गया. चयन नहीं होने के बाद नलिनी काफी हताश हो गई और मीडिया को जानकारी दी है.
गुमला विषुनपुर प्रखंड के जोभीपाठ गांव निवासी नलिनी असुर के पिता बोनू राम असुर का निधन साल 2001 में हो गया था जिसके बाद पूरे परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उसकी मां पर आ गई. कठिन परिस्थितियों में भी नलिनी ने पढ़ाई करना नहीं छोड़ा और जब सफलता मिली तो उसके चंद दिनों बाद ही प्रशासनिक खामियों की वजह से उनका सपना टूट गया.
जानकारी देते हुए नलिनी कहती है कि वह डॉक्टर बनने का सपना लिए पिछले दो -तीन सालों से दिन रात कड़ी मेहनत कर रही थी. स्नातक में भी दाखिला नहीं लिया. उसके गांव में पढ़ाई की कुछ खास सुविधा नहीं थी. अच्छी रैंक आने के बाद खुश थी कि एसटी कोटा से कम से कम तो डाक्टर बन जाउंगी पर काउंसेलिंग में नाम नहीं देख कर बुरी तरह निराश हो गयी हुं.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
