मूलचंद सोनकर अपने दौर के अत्यंत महत्वपूर्ण गजलकार, अंबेडकरवादी चिंतक व समालोचक थे. उनका जन्म 5 मार्च 1946 को इलाहाबाद के एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उनके दादा नेहरु परिवार के एस एस नेहरू (आईसीएस)के विशाल बगीचे का ठेका लिया करते थे और अपने बड़े कुनबे के साथ उसी में रहते भी थे।बचपन में मूलचंद जी को कई बार जवाहरलाल नेहरू ,विजयलक्ष्मी पंडित और इंदिरा गांधी के सानिध्य का अवसर मिला. छात्र जीवन में उन्हें कई बेहतरीन अध्यापकों ,सहपाठियों का भी सानिध्य मिला. वे शुरू से ही मेधावी विद्यार्थी थे और अपने घर के पहले व्यक्ति हैं जिसने उच्च शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में नौकरी की और वहीं से प्रधान प्रबंधक (कार्मिक) के पद से सेवानिवृत्त हुए. वह एक दलित चिंतक, समीक्षक, कवि व शाइर. दलित विमर्श के सशक्त हस्ताक्षर, समसामयिक ज्वलंत सामाजिक समस्याओं पर सतत चिंतन एवं लेखन का अहम हिस्सा थे. कल का सवेरा एसा दुखद पल को अपने साथ ले कर आया जब पता चला के मूलचंद सोनकर जी अब हमारे बीच नही रहे. दिनांक 19 मार्च 2019 को उन्होने अपनी अंतिम सांस ली.
काली चरण स्नेही लिखते हैं-
प्रख्यात हिन्दी आलोचक और दलित कवि मूलचन्द सोनकर के आकस्मिक निधन की खबर से सारा साहित्य जगत स्तब्ध है।आपकी लेखनी से सृजित साहित्य, कालजयी है।आलोचना के क्षेत्र में अभी उनसे बहुत उम्मीद थी,पर मौत के आगे सब विवश हैं।शोक की इस घड़ी में हमारा पूरा परिवार, सोनकर जी के परिवार के साथ है। मैं अपनी ओर से उन्हें अश्रुपूर्ण हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ ।
देश के जाने माने धम्म प्रचारक भंते चंदिमा ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है –
आदरणीय मूलचंद सोनकर जी को श्रद्धा का सुमन।
जब देश में बहुत से लेखक, विचारक, समाजसेवी, वक्ता और ख्याति प्राप्त नेता बिरादरीवाद वाली बिमारी से पीड़ित हो
तो ऐसे समय मे “बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय” के संदेश को आगे बढ़ाने वाले सोनकर साहब बार-2 याद आयेंगे।
राकेश पटेल उनको याद करते हुए लिखते हैं-
बहुत ही अध्ययनशील और अपने विचारों के प्रति अडिग रचनाकार थे। खूब पढ़ लिख और शोध करके बोलते थे। उनके विचार उनकी किताबों के माध्यम से हमारे बीच ज़िंदा रहेंगे। विनम्र आदरांजलि
प्रकाशित कृतियां-
01. गालिब मेरी नजर से
02. दर्द की लकीरें (ग़ज़ल संग्रह)
03. कहीं कुछ धड़क रहा (कविता संग्रह)
04. दलित विमर्श : विकल्प का साहित्य (लेखों का संग्रह)
05. संतप्त साये (सॉनेट संग्रह)
06. ‘नजीर’ बनारसी की शायरी (सम्पादन)
07. दलित विमर्श और डॉक्टर अंबेडकर : एक प्रसांगिक हस्तक्षेप (लेखों का संग्रह)
08. अब रास्ता इधर से ही है (ग़ज़ल संग्रह)
09. चिनार हरी रहेंगे -ग़ज़ल संग्रह (प्रकाशनाधीन)
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