नई दिल्ली। बसपा प्रमुख मायावती ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनने पर बधाई दी है. उन्होंने कहा कि रामनाथ कोविंद दलित समाज से राष्ट्रपति बनने वाले दूसरे राष्ट्रपति है. कोविंद से पहले केआर नारायणन राष्ट्रपति थे. मायावती ने उन्हें शुभकामनाएं और बधाई दी.
मायावती ने रामनाथ कोविंद पर निशाना साधते हुए कहा कि कोविंद को गांधी को फूल अर्पित करने के साथ-साथ बाबासाहेब की प्रतिमा पर भी फूल करना चाहिए था. रामनाथ कोविंद अपने शपथ ग्रहण के दिन राजघाट जाकर गांधीजी को फूल अर्पित करने गए थे. लेकिन संसद परिसर में लगी भारतीय संविधान के निर्माता बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर फूल अर्पित नहीं किया.
मायावती ने कहा कि संसद परिसर में बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा या फिर सेन्ट्रल हॉल में लगे इनके फोटो-चित्र पर भी, उन्हें पुष्प अर्पित नहीं करना एक ऐसा संकेत है जो भाजपा व इनके एनडीए एण्ड कम्पनी की अम्बेडकर-विरोधी सोच व मानसिकता को प्रदर्शित करता है, जिस पर देश के दलितों की खास नजर है.
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें यह नहीं भूलना चाहिये कि वे आज अगर राष्ट्रपति के पद पर बैठे हैं तो उसकी सबसे बड़ी देन परमपूज्य बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर की है. फिर उनके बाद मान्यवर कांशीराम और बसपा की है. जिसने भाजपा को दलित समाज के व्यक्ति को देश का राष्ट्रपति बनाने के लिये मजबूर कर दिया है.
मायावती ने कहा कि वैसे तो रामनाथ कोविंद अपने राजनैतिक जीवनकाल में भाजपा व आरएसएस की संकीर्ण व जातिवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. परन्तु सरकार में आने के बाद गांधीजी और बाबासाहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का नाम लेते रहने की अब यह आम परम्परा बन चुकी है. आज यह काम रामनाथ कोविंद ने भी किया.
परन्तु रामनाथ कोविंद से यह उम्मीद नहीं की जा सकती थी कि वे गांधीजी के साथ-साथ बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भी अपने श्रद्धा के फूल नहीं चढ़ायेंगे. उन्हें आज बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर को भी अपने श्रद्धा के फूल जरूर अर्पित करने चाहिये थे. अन्य किसी से तो नहीं किन्तु दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति से तो यह उम्मीद की ही जा सकती है कि वह बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर के जीवन संघर्ष व उनके बलिदानों के प्रति हमेशा ही कृतज्ञ रहेगा.
इसके अलावा मायावती ने देश के कई हिस्सों में बाढ़ की स्थिति को लेकर भी पीएम मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वर्तमान में गुजरात के साथ-साथ देश के अन्य कई और राज्य काफी बुरी तरह से बाढ़ से प्रभावित हैं. ऐसी स्थिति में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को केवल गुजरात का ही नहीं बल्कि अन्य और बाढ़-पीड़ित राज्यों का भी पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिये. क्योंकि अब वे गुजरात के मुख्यमन्त्री नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के प्रधानमन्त्री हैं.

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