जानिए क्यों दलित महिलाओं की प्रेरणा स्रोत बनीं कविता देवी

 दलित महिलाओं के खिलाफ आए दिन अत्याचार की खबर आती रहती हैं। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश की दलित किसान परिवार में जन्मी कविता देवी ने ‘खबर लहरिया’ नाम से अपना खुद का ‘डिजिटल रुरल न्यूज़ नेटवर्क’ बनाया है। कविता देवी तीस दलित महिला रिपोर्टर्स की मदद से यह नेटवर्क चला रही हैं जिसके माध्यम से दलित-बहुजन समाज से जुड़े मुद्दे उजागर किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय बात यह भी है कि कविता देवी ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ की एकमात्र दलित सदस्य भी हैं।
उत्तर प्रदेश के एक हरदोई जिले के सुरसा ब्लॉक के एक छोटे से गाँव ‘कुंजनपुरवा’ में जन्मी कविता की शादी मात्र बारह साल की उम्र में कर दी गयी थी। उन्होंने खुद अपनी मेहनत से पढ़ाई की और एक समाजसेवी संस्था के साथ महिला शिक्षा पर काम करती रहीं। कविता बतातीं हैं “जब मैं यह काम शुरू किया तो हर कोई मेरे खिलाफ था, मैंने अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए हर कदम पर संघर्ष किया।”

 कविता ने अपने इलाके में ‘महिला डाकिया’ नाम के बुन्देली न्यूजलेटर के लिए काम करते हुए पत्रकारिता सीखी। इसी दौरान कविता ने समाज के प्रति अपनी भूमिका की ताकत को किया। बाद में दिल्ली की समाज सेवी संस्था ‘निरंतर’ की मदद से उन्होंने ‘खबर लहरिया’ की शुरुआत की। यह पूरी तरह महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा डिजिटल न्यूज़ नेटवर्क है जो तथाकथित मुख्यधारा के मीडिया द्वारा उपेक्षित खबरों की खबर लेता है। उनसे बार-बार पूछा जाता है कि आपके नेटवर्क में सिर्फ महिलायें क्यों हैं? इसपर कविता कहती हैं कि पत्रकारिता सहित दुनिया के सभी कामों में पुरुषों का दबदबा है, हम इस स्थिति को बदलना चाहते हैं।
कविता द्वारा शुरू किया गया यह ‘महिला न्यूज़ नेटवर्क’ भारत की दलित बहुजन महिलाओं के लिए एक मिसाल है। अतीत में माता सावित्रीबाई फूले ने बालिका शिक्षा और दलित-बहुजन समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ी थी। माता सावित्री के पद-चिन्हों पर चलने वाली इस तरह की महिला नेत्रियों के कामों से बहुजन समाज में एक नई उम्मीद की रौशनी फैल रही है।

(फोटो क्रेडिट- www.thebetterindia.com)

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