नई दिल्ली। 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही उसकी राजनीति से इत्तेफाक नहीं रखने वाले तमाम संगठन उससे नाराज हैं. हैदराबाद में रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या और उसके बाद जेएनयू में कन्हैया कुमार के नेतृत्व में भड़के आंदोलन से इसमें तेजी आई है. तो जिस तरह से गौरी लंकेश की हत्या हुई, उससे विचारों की आजादी की वकालत करने वाले तमाम लोगों को काफी झटका लगा. इस घटना ने विरोधी विचारों को निशाना बनाए जाने के कारण भी भगवा राजनीति की आलोचना को मजबूत किया है.
बीते वक्त में जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल औऱ जिग्नेश मेवाणी जैसे तमाम युवा खुलकर भाजपा के खिलाफ उतर आए हैं और भाजपा और मोदी के लिए चुनौती बन चुके हैं. अब ये तमाम युवा नेता एक साझा मंच बनाने पर विचार कर रहे है. जिग्नेश मेवाणी ने बीजेपी और मोदी के खिलाफ अभियान चलाने वाले युवा नेताओं के साथ मिलकर एक मोर्चा बनाने की बात कही हैं. इसमें कन्हैया कुमार के अलावा शहला रशीद और मोहित पांडेय जैसे युवा नेताओं को शामिल किया जाएगा.
जिग्नेश जिन युवा नेताओं के सहारे अभियान चलाने की योजना बना रहे हैं, ये सभी 2014 से मोदी और बीजेपी सहित आरएसएस के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. लोकसभा चुनाव में अभी करीब18 महीने का वक्त बचा हुआ है. अगर ऐसा कोई मोर्चा बनता है तो यह आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है.
