नई दिल्ली। कॉलेज जाने वाले छात्रों का समूह जिस तरह गरीब बच्चों को झुग्गी बस्तियों में जाकर शिक्षा दे रहा है इस तरह की पहल को कई लोग मन में सपने लिए सोचते रह जाते हैं. मगर, आयुष, मोनिका, अभिषेक, पूजा जैसे कई छात्रों की पहल बताती है कि कड़ी लग्न और मेहनत से काम किया जायें तो कुछ भी संभव है.
ग्रुप के युवा आयुष की पहल पर 7 वर्ष पहले झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया गया था जो एक कड़ी के रूप में शुरू हुआ. आज यह काम मजबूत जंजीर बन चुका है. कॉलेज जाने वाले इन छात्रों ने ‘यंग एसोसिएशन’ नाम का समूह बनाकर दिल्ली में पांच जगहों पर झुग्गी-झोपड़ी और अनाथालय के बच्चों को पढ़ाने का काम कर रखा है. छात्रों के इस समूह में आईआईटी दिल्ली सिहित विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेज, पत्रकारिता के साथ-साथ डीयू के कई कॉलेज के छात्र शामिल है.
जानकारी देते हुए छात्र आयुष केसरी बतातें हैं कि वर्ष 2010 की बात थी जब वह उत्तम नगर से नोएडा मेट्रो से कॉलेज जाते थे तब वह अक्सर इंद्रप्रस्थ मेट्रो स्टेशन के पास झुग्गी झोपड़ी में बच्चों को खेलते देखा करते थे. एक दिन उसके मन में इस बस्ती में जाने का विचार आया, दूसरे दिन वह अपने एक साथी शशांक के साथ बस्ती में गए. आयुष ने बताया कि इसके बाद उसने अपने कॉलेज में दोस्तों से इन बच्चों के लिए कुछ करने के लिए कहा, तो सबने कहा कि क्यों न शानिवार-रविवार को इन बच्चों को पढ़ाया जाए.
छात्रों के समूह की एक कोर टीम है जिसमें हर वर्ष सितंबर में बदलाव किया जाता है. मौजूदा टीम में पांच लोग हैं पूजा मिश्र, मोनिका गुप्ता, वर्षा कुटील, ऋचा त्रिपाठी और अभिषेक कुमार. इसके अलावा समूह में करीब 25 छात्र हैं. जिसमें आईआईटी दिल्ली के तीन छात्र भी शामिल हैं.
इसमें आयुष केसरी अब निगरानी की काम देखते हैं. उनकी साथी मोनिका ने बताया कि समूह के सदस्य झंडेवालान के पास स्थित कत्यानी बालिका आश्रम की अनाथ बच्चियों के अलावा इंद्रप्रस्थ मेट्रो स्टेशन के पास अन्ना बस्ती, उत्तम नगर के पास काली बस्ती, पूर्वी दिल्ली के दल्लूपुरा और ललिता पार्क में शानिवार और रविवार को दो घंटा पढ़ाने का काम करते हैं. इसको अलावा नोएडा सेक्टर 12-22 और गाजियाबाद में भी एक जगह पाठशाला लगाई जाती है. इन सभी छात्रों का एक ही मकसद है गरीब छात्रों को शिक्षित करके उनकी जिंदगी में बदलाव लाना .
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