अंग्रेजी बोलना पड़ सकता है भारी

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में आपको भी अंग्रेजी बोलना भारी पड़ सकता है. जी हां, दिल्ली के कनॉट प्लेस में एक ऐसा हीं मामला सामने आया है. एक 22 वर्षीय लड़के की 5 लोगों ने मिलकर बेरहमी से पिटाई कर दी. ऐसा उन्होंने इसलिए किया कि क्योंकि वो अपने दोस्त के साथ अंग्रेजी में बात कर रहा था. घटना तब हुई जब वह अपने दोस्त को नई दिल्ली के कनॉट प्लेस के फाइव स्टार होटल छोड़ने गया था.
दरअसल नोएडा का रहने वाला वरुण गुलाटी कनॉट प्लेस के एक फाइव स्टार होटल में अपने दोस्त अमन को छोड़ने गया था. जब होटल से वरुण वापस लौट रहा था तो पांच लोगों ने उसे घेर लिया. वे नशे में थे. उन्होंने उससे पूछा कि तुम इंग्लिश क्यों बोल रहे थे? इसके बाद दोनों तरफ से लगातार बहस होने लगी. मौका पाते हीं उन्होंने गुलाटी पर हमला बोल दिया. हमले में वरुण को काफी चोटें भी आई. हमला करने वाले सारे आरोपी एक गाड़ी से भाग निकले लेकिन गुलाटी ने अपनी सूझबूझ से उनके गाड़ी का नंबर नोट कर लिया .
वरुण किसी तरह उस हालत में पुलिस स्टेशन पहुंचा और उन बदमाशों के खिलाफ FIR दर्ज कराई. बहरहाल नंबर प्लेट के आधार पर तीन आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन बाकी दो आरोपियों की तलाश अब भी जारी है.
आपस में भिड़े ‘फर्जी बाबा’ और अखाड़ा परिषद, जानिए पूरा मामला

नई दिल्ली। हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम और इससे पहले आसाराम द्वारा महिला साध्वियों और अनुयायियों से दुष्कर्म की बात सामने आने के बाद हिंदू धर्मगुरुओं के चरित्र पर सवाल उठने लगे थे. इन सवालों से परेशान साधु-संतों के सबसे बड़े संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 14 फर्जी बाबाओं की सूची जारी की है. इस सूची में आसाराम, राम रहीम से लेकर रामपाल और राधे मां तक का नाम है.
एक बार पूरी लिस्ट को देखिए. इस लिस्ट में फर्जी बाबाओं के असली नामों का भी जिक्र किया गया है. अखाड़ा परिषद ने जिनको फर्जी संत माना है, उनमें- आसाराम उर्फ आशुमल शिरमानी, सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां, सचिदानंद गिरी उर्फ सचिन दत्ता, गुरमीत राम रहीम, ओम बाबा उर्फ विवेकानंद झा, निर्मल बाबा उर्फ निर्मलजीत सिंह, इच्छाधारी भीमानंद उर्फ शिवमूर्ति द्विवेदी, स्वामी असीमानंद, ऊं नम: शिवाय बाबा, नारायण साईं, रामपाल, कुश मुनि, बृहस्पति गिरि, मलकान गिरि जैसों के नाम शामिल है. हालांकि इस सूची के जारी होने के बाद अखाड़ा परिषद और फर्जी बाबा आमने-सामने आ गए हैं. सूची के सामने आने के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी को आसाराम के कथित समर्थकों ने जान से मारने की धमकी भी दी. जिसके खिलाफ उन्होंने एफआईआर भी दर्ज करवाई थी. वहीं अखाड़ा परिषद द्वारा फर्जी घोषित किए गए सिद्धेश्वरी गुप्त महापीठ के महंत कुश मुनि ने परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी को कानूनी नोटिस भेज दिया है. ये भी पढ़ेंः जिया खान की मां ने प्रधानमंत्री मोदी से मांगा न्यायकुश मुनि के वकील ज्योति गिरी ने नरेंद्र गिरी को लिखा है कि, आपने निराधार तथ्यों के आधार पर मेरे मुवक्किल आचार्य कुश मुनि को फर्जी बाबाओं की सूची में रखा है, ऐसा आपने मेरे मुवक्किल से बदला लेने के लिए किया है. यदि आप उनका नाम उस सूची से नहीं हटाते हैं तो आपके ऊपर क्यों न मानहानि का मुकदमा किया जाए?
दूसरी ओर आज अखाड़ा परिषद ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उन्हें फर्जी बाबाओं की लिस्ट सौंपी. जिस पर योगी ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया.ये भी पढ़ेंः ट्रेन से मुंबई जा रहे अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत मोहनदास लापता
अखाड़ा परिषद देश में साधु-संतों की सबसे बड़ी संस्था है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में देश के सभी 13 अखाड़े शामिल हैं, जिसमें लाखों की संख्या में साधु-संत हैं.फर्जी बाबाओं की सूची परिषद के अध्यक्ष ने जारी की थी. परिषद की ओर से फर्जी घोषित किए गए बाबाओं के कुंभ में आने पर रोक लग सकती है. इससे पहले 2015 के नासिक कुंभ में राधे मां को रोका गया था.
भाजपा ने भेजा इतिहासकार रामचंद्र गुहा को नोटिस

बेंगलुरू। भाजपा ने इतिहासकार रामचंद्र गुहा को नोटिस भेजकर ‘बिना शर्त माफी’ की मांग की है. भाजपा ने गुहा को यह नोटिस वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को संघ परिवार से जोड़ने के लिए भेजा है. नोटिस में कहा गया है कि गुहा ने आरएसएस और भाजपा को बदनाम करने के लिए जानबूझकर टिप्पणी की.
नोटिस में गुहा से कहा गया है, ‘’अगर उन्होंने अपने बयान पर तीन दिनों के भीतर बिना शर्त माफी नहीं मांगी, तो संगठन उनके खिलाफ सिविल और आपराधिक मुकदमा दायर करेगा.’’ रामचंद्र गुहा को ये नोटिस भाजपा के युवा संगठन की कर्नाटक इकाई की तरफ से भेजा गया है.
इसमें गुहा को उद्धृत करते हुए कहा गया है, “इसका पूरा अंदेशा है कि गौरी के हत्यारे उसी संघ परिवार से आते हैं जहां से डाभोलकर, पनसारे और कलबुर्गी के हत्यारे आए थे.” इस मामले पर गुहा ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के नोटिस का जवाब ट्विटर पर दिया है. उन्होंने लिखा है, ‘’आज भारत में स्वतंत्र लेखकों और पत्रकारों का उत्पीड़न हो रहा है. उन्हें सताया जा रहा है. यहां तक कि उनकी हत्या की जा रही है. लेकिन हम खामोश नहीं होंगे.’’
Atal Bihari Vajpayee said the answer to a book or article can only be another book or article. But we no longer live in Vajpayee’s India
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) September 11, 2017
इस विवाद के बीच गुहा ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि एक किताब या लेख का जवाब दूसरी किताब या लेख ही हो सकते हैं. लेकिन हम अब अटल के भारत में नहीं रह रहे.
इस नोटिस में गुहा की टिप्पणी को गलत और आधारहीन बताया गया है. कहा गया है कि गुहा के इन आरोपों से आरएसएस और भाजपा की छवि और प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश की गई है.
बड़े दलित नेताओं को समाज की नहीं, अपने परिवार की चिंता

संविधान में सभी लोगों के लिए समान अवसर और न्याय की व्यवस्था है. इसी संविधान ने अनुसूचित जाति/ जन जाती को सरकारी शिक्षा, नौकरी और चुनावों में आरक्षण दिया. पिछड़ों को भी 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. लेकिन आजादी के 70 वर्षों बाद भी सामाजिक समानता, शिक्षा और रोजगार के मामले में दलितों की क्या स्थिति है?
देश में आजकल आरक्षण पर बहस छिड़ी है. आरक्षण की समीक्षा की बात आरएसएस प्रमुख ने भी उठाई है. यह सब तो ठीक है, पर इस पर भी बात होनी चाहिए कि क्या आरक्षण का पालन सही ढंग से किया गया है? कितने अत्याचार हुए है दलितों पर आजादी के बाद और कितना न्याय मिला? आखिर दलितों पर अत्याचार क्यों बढ़ रहे हैं? दलित नेताओं सहित उनके कार्यों की भी समीक्षा होनी चाहिए.
आज दलित वर्ग को आरक्षण की जरूरत नहीं होती, अगर दलितों पर अत्याचार नहीं होते, शिक्षा,रोजगार के क्षेत्र में समानता मिलती. आर्थिक विषमता दूर होती. दलितों की आबादी बढ़ रही है पर रोजगार के अवसर घट रहे हैं. निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग दलितों की रही है.
ये भी पढ़ेंः दलित चिंतक कांचा इलैया को मिली जान से मारने की धमकीदेश के स्थापित दलित नेताओं ने अपने निजी स्वार्थ, सर्वजन नेता बनने की ललक और परिवार को राजनीत में स्थापित करने में लगे हैं. निजी क्षेत्र में आरक्षण के मुद्दे को कभी भी स्थापित दलित नेताओं ने आंदोलन में तब्दील नहीं किया. देश की कुल आबादी में 20.14 करोड़ दलित हैं. इनके सामने गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और रोजगार बड़ी समस्या है. जबकि लगातार आरक्षण में कटौती का प्रयास किया जा रहा है. आरक्षण की बदौलत कुछ ही दलित रोजगार पा सके हैं.
देश के 31 केंद्रीय विवि अनुसूचित जाति के मात्र 26 और अनुसूचित जनजाति के 9 प्रोफेसर हैं. जेएनयू में प्रोफेसर नहीं है एससी के 69 लेक्चरर के और 29 अजजा के पद रिक्त हैं. बीएचयू में एससी के 43 और एसटी के 25 शिक्षकों के पद रिक्त हैं. केंद्र सरकार के 99 सचिवों में एक भी अनुसूचित जाति के नहीं हैं. 200 अतिरिक्त सचिवों में मात्र 2 हैं. दलितों को राष्ट्रीय स्तर पर निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग को आंदोलन के माध्यम से रखना होगा.
अमर आजाद, पटना विश्वविद्यालय दैनिक भास्कर से साभार
दलित चिंतक कांचा इलैया को मिली जान से मारने की धमकी

हैदराबाद। दलित चिंतक और लेखक कांचा इलैया को ‘जीभ काट देने’, ‘जान से मारने की धमकी’ और जातिसूचक गालियां दी जा रही है. धमकी मिलने के बाद कांचा ने इसकी पुलिस में शिकायत की. हैदराबाद उस्मानिया विश्वविद्यालय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कर उन्होंने कहा कि उन्हें रविवार (10 सितंबर) से लगातार धमकी भरे फोन आ रहे हैं, फोन उठाने पर उन्हें धमकी दी जा रही है और अपशब्द बोले जा रहे हैं.
इलैया ने कहा कि उन्हें ‘सामाजिक स्मग्गलुरलू कोमातोल्लू’ (वैश्य सामाजिक तस्कर हैं) किताब को लेकर अज्ञात लोगों ने फोन कर धमकियां दीं और गाली गलौज की. इलैया ने दावा किया कि आर्य वैश्य संगठनों के कुछ नेताओं द्वारा उनकी आलोचना करने के बाद धमकी भरे फोन आ रहे हैं. उन्होंने तुरंत पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है.
ये भी पढ़ेंः रैदास के खिलाफ ब्राह्मणों ने किया गलत प्रचारउन्होंने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत में लिखा है, ’10 सितंबर से मुझे अज्ञात लोगों के लगातार फोन आ रहे हैं, जब मैं फोन उठाता हूं तो वो लोग मुझसे गंदे तरीके से बात कर रहे हैं. दोपहर में रामकृष्णन के नेतृत्व वाले संगठन आर्य-वैश्य संगम टीवी चैनलों में पर मेरी निंदा कर रहा है. शाम को टीवी9 पर रमाना ने कहा कि ‘वे लोग मेरी जीभ काट देंगे.’ आंध्र ज्योति के मुताबिक रविवार को मेरे पुतले फूंके गए हैं और मुझे अपशब्द कहे गए हैं. आर्य वैश्य नेता कचम सत्यनारायण, राचामल्ला वेंकटेश्वरलु और बुरुगु रविकुमार और अन्य लोग मेरे खिलाफ ये डराने वाली गतिविधियां कर रहे हैं.’
वीडियों देखिएः कांशीराम और अम्बेडकर की शायरी करने वाले राजीव रियाज़ को सुनिएएक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने शिकायत के आधार पर अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी.
आर्य वैश्य संघों ने किताब के शीर्षक तथा उसकी कुछ सामग्री को समुदाय के लिए ‘‘अपमानजनक’’ बताते हुए शहर में विरोध प्रदर्शन किए थे. उन्होंने किताब वापस लेने की मांग करते हुए इलैया के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की धमकी दी.
सहारा ग्रुप की एंबे वैली पर आयकर विभाग ने ठोका 24 हजार करोड़ का दावा

नई दिल्ली। सहारा प्रमुख सुब्रत राय की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इनकम टैक्स विभाग ने सहारा समूह की पुणे स्थित एम्बी वैली सिटी की होने वाली नीलामी में 24,000 करोड़ रुपये की दावेदारी पेश की है. बॉम्बे हाई कोर्ट के अधिकारी सहारा की एम्बी वैली को नीलाम करने वाले हैं.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक हाई कोर्ट के आधिकारिक नीलामी अधिकारी ने एम्बी वैली के लिए न्यूनतम बोली 37,392 करोड़ रुपये रखी है. लेकिन इनकम टैक्स विभाग ने 24,843 करोड़ रुपये का दावा किया है जिसमें ब्याज नहीं शामिल है. आयकर विभाग का कहना है कि एम्बी वैली की मालिक कंपनी एम्बी वैली लिमिटेड (एवीएल) पर काफी आयकर बकाया है. जिसे कंपनी ने काफी समय से नहीं चुकाया है. इसके बाद आयकर विभाग ने 26 अप्रैल को होने वाली आधिकारिक नीलामी अधिकारी के पास अपना आवेदन भेजा है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के इस साल फरवरी में आदेश दिया था कि सहारा समूह द्वारा 5092 करोड़ रुपये न जमा किये जाने के एवज में एम्बी वैली को नीलाम करके ये राशि वसूल जाए.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट नीलामी के अगले कदम पर फैसला कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप को 7 सितंबर तक अदालत में 1500 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा था. अदालत ने साथ में यह भी कहा था कि अगर समूह पैसे समय से जमा कर देगा तो नीलामी प्रक्रिया रोकी जा सकती है. जनवरी 2017 को इनकम टैक्स विभाग ने एम्बी वैली लिमिटेड को वित्त वर्ष 2012-23 के लिए 24,646 करोड़ रुपये की आय छिपाने पर नोटिस भेजा था. 14 अगस्त को नीलामी अधिकारी ने एम्बी वैली की नीलामी की सभी प्रमुख अखबारों में नोटिस जारी किया था. आपको बता दे कि करीब 6,761.6 एकड़ में फैली एम्बी वैली सिटी लोनावाला के पास मौजूद है. यह वैली करीब 1700 एकड़ में फैली हुई है.
बाबरी विवाद की लिए सुप्रीम कोर्ट नियुक्त करेगी नए ऑब्जर्वर

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार (11 सितंबर) को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि अयोध्या में विवादित राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल के रखरखाव और देखरेख से संबंधित मामलों के लिये दस दिन के भीतर दो अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों के नाम बतायें. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की तीन सदस्यीय खंडपीठ को उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने सूचित किया कि एक पर्यवेक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि दूसरे पर्यवेक्षक की पदोन्नति उच्च न्यायालय में हो गयी है. द्विवेदी ने पीठ को अतिरक्त जिला न्यायाधीशों और विशेष न्यायाधीशों की एक सूची भी सौंपी जिनमें से पर्यवेक्षक के लिये नामों पर विचार किया जा सकता है.
इसके बाद, पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘चूंकि यह सूची लंबी है, हम उचित समझते हैं कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इस मामले में पहले दिये गये आदेशों के भाव और स्वरूप के मद्देनजर अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों या विशेष न्यायाधीशों के काडर से दो व्यक्तियों को नामित करेंगे.’’ शीर्ष अदालत ने अपनी रजिस्ट्री से कहा कि यह आदेश उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को संप्रेषित कर दिया जाये और कहा, ‘‘मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया जाता है कि वह दस दिन के भीतर दो नाम बताएं.’’ संक्षिप्त सुनवाई के दौरान इस मामले में एक पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि टी एम खान और एस के सिंह को 2003 में पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया था और वे तभी से इस मामले को देख रहे थे.
उन्होंने पीठ के समक्ष सवाल किया, ‘‘न्यायलय को अब उन्हें क्यों बदलना चाहिए जबकि वे 14 साल से हैं? यह बहुत ही संवेदनशील मामला है.’’ उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि उनसे पूछा जाये कि क्या वे यह काम जारी रखेंगे. इस पर पीठ ने कहा कि इनमें से एक पद पर नहीं है और वह अब यह काम जारी नहीं रख सकते. पीठ ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से इस पर निर्णय के लिये कहेंगे.’’ पीठने कहा, ‘‘इनमें से एक की उच्च न्यायालय में पदोन्नति हो चुकी है. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से वहां जाकर सारी चीजों को देखने के लिये कहना उचित नहीं होगा. हम उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को ऐसा करने के लिये नहीं कह सकते हैं.’’
शीर्ष अदालत ने 11 अगस्त को कहा था कि वह लंबे समय से लंबित राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना हक विवाद में पांच दिसंबर से सुनवाई करेगी. न्यायालय में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ कुल 13 अपीलों पर सुनवाई होनी हैं. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अयोध्या की विवादित 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाडा और भगवान राम लला के बीच बराबर बांटने का निर्देश दिया था.
रैदास के खिलाफ ब्राह्मणों ने किया गलत प्रचार

मेरे एक मित्र ने कहा कि में रविदास को नहीं मानता क्योंकि उन्होंने ब्राह्मणवाद को माना है. मेरा उनको उत्तर इस प्रकार है.
पहली बात रविदास का असली नाम रैदास है. आप अपने दादा के समय के लोगों के नाम किसी से भी पूछ कर देख लो. लगभग सभी के नाम आपको बिगड़े हुये मिलेंगे. जैसे हल्केराम का हल्का, नन्दराम का नन्दुआ आदि. इसका मतलब ये है रैदास का रविदास किसी ने बाद में किया है.
दूसरी बात कहते है रैदास के गुरू ब्रह्मण थे. मुझे बताईये क्या उस समय कोई ब्रह्मण किसी चमार को शिक्षा देता था क्या? बिलकुल नहीं, ब्राह्मण हमेशा सगुण भक्ति वाले रहे हैं. मतलब देवी-देवताओ भगवान को पूजने-मानने वाले. अगर रैदास ब्रह्मण के शिष्य होते तो वो भी इन देवी-देवताओं भगवान की ही पूजा करते. जबकि रैदास ने ऐसा नहीं किया वे निर्गुण भक्ति करते थे. मतलब जिसका कोई गुण आकार नहीं है.
तीसरी बात अगर रैदास भगवान या देवी-देवताओं को मानने वाले होते तो वे कभी भी उन काशी के महान पंडितों को नहीं हरा पाते जिन्हें किसी भी संत मे नही हराया था. काशी के पंडितों को हराने पर ही रैदास को संत शिरोमणी की उपाधि मिली है. मतलब सभी संतों में श्रेष्ठ.
चौथी बात रैदास जूते नहीं बनाते थे. रैदास की जूते बनाने वाली तस्वीर को लोगों ने इसलिए छापी कि दूसरे चमार भी रैदास को आदर्श मानकर चमड़े का ही काम करें और दूसरे काम में ध्यान न दे.
पांचवी बात न रैदास के पहले न अब कोई भी संत उनसे महान नही हुआ है. इसलिए रानी मीराबाई तमाम विद्धान पंडितों को छोड़ रैदास की शिष्या बनी. और सबसे मुख्य वजह रैदास को ब्राह्मण का शिष्य बनाने की प्रक्रिया यही से चालू हुई है. क्योंकि आने बाले समय में अगर एक चमार को लोग आदर्श मानने लगे तो ब्रह्मणों की तो इज्जत मिट्टी मे मिल जाएगी. और यही से रैदास का ब्राह्मणीकरण चालू हो गया.
छठी बात रैदास ने न कटोरी से कंगन निकाला न कोई चमत्कार किया ये सभी बातें अलग से जोड़ी गई है. ये जरूर है जब रैदास को गंगा में पंडितों ने नहाने नहीं दिया तो उन्होंने कहा था (मन चंगा तो घर मे गंगा) मतलब अगर आपका मन साफ है तो आपको कहीं तीर्थ स्थानों पे जाने की जरूरत नहीं है.
सातवीं बात चमार होकर किसी राजमहल के वे पहले और आखिरी गुरू रहें हैं ऐसा उनके अलावा किसी और के साथ नहीं हुआ.
आठवीं बात रैदास ने हमेशा जातिवाद, वर्णवाद, भेदभाव, छुआछूत का विरोध किया है. अगर वे ब्राह्मणवादी होते तो इनका कभी विरोध नहीं करते.
नवीं बात गूगल पर रैदास की अनेक झूठी कहानियां मौजूद हैं उनका रैदास की असली जिंदगी से कोई मतलब नहीं है.
दसवीं बात चमार दूसरे महापुरूषों को बहुत इज्जत देते हैं, मानते है. लेकिन अपने ही कुल गुरू को वे कभी याद नहीं करते. न उनकी तस्वीर रखते. न उनके विचारों को पढ़ते. इसलिए चमार हमेशा भटकते रहते हैं कभी यहां सभी वहां वो स्थिर नहीं रहते. चमारों को गर्व करना चाहिये. गुरूग्रंथ_साहिब में रैदास जी के 41य 45 पद है. जिनका पाठ गुरूद्वारों में रोज होता है. फिर भी लोग उन्हें ब्राह्मणवादी कहते हैं तो ये हमारे ज्ञान की कमी या सही मार्गदर्शन नहीं मिलने की वजह हो सकती है.
मेरा ख्याल है मेरे मित्र को उत्तर मिल गया होगा.
राजेश कुमार महामंत्री डा.बी0आर0 अंबेडकर बौद्ध समाज उत्थान समिति-इटावाकाम की खबर- अब बिना लाइसेंस और आरसी के चला सकेंगे वाहन

नई दिल्ली। अगर आपको ड्राइविंग लाइसेंस और गाड़ी की आरसी रखने में दिक्कत होती है या आप अक्सर घर पर भूल जाते हैं और रास्त में आपका चालान कट जाता है. लेकिन अब बिना लाइसेंस और आरसी के भी आप वाहन चला सकते हैं. पुलिस आपका चालान नहीं काटेगी.
सरकार ने अब अपने साथ लाइसेंस की हार्ड कॉपी रखने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. आप इसके लिए सॉफ्ट कापी दिखाकर काम चला सकते हैं, लेकिन ये सॉफ्ट कॉपी आपके डिजिटल लॉकर में होनी चाहिए. यहां से ही ट्रैफिक पुलिस आपके ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी को वैरिफाई कर लेगी.
पिछले महीने आए आंकड़ों के मुताबिक, पीएम मोदी की सरकार द्वारा लगभग सालभर पहले शुरू की गई डिजिलॉकर (DigiLocker) फैसेलिटी में 78 लाख से अधिक लोग रजिस्टर कर चुके हैं. आपको भी इसका लाभ लेना चाहिए.
दरअसल सरकार ने डिजिलॉकर नामक ऑनलाइन सुविधा आपके निजी और सरकारी दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए शुरू की है. इसका इस्तेमाल कर आप अपने कागजातों की हार्ड कॉपी अपने साथ रखने से बच जाएंगे और जरूरत पड़ने पर जहां संभव हो सकेगा, इसमें लॉग इन दस्तावेज का प्रिंट आउट लेकर यूज कर सकेंगे.
इसमें आप ड्राइविंग लाइसेंस, किसी भी प्रकार के रजिस्ट्रेशन से संबंधित सर्टिफिकेट, पलूशन सर्टिफिकेट, वोटर आई कार्ड, पैन कार्ड, इनकम टैक्स रिटर्न संबंधित डॉक्युमेंट्स, प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद, स्कूल- कॉलेज की मार्कशीट और अन्य सर्टिफिकेट, मकान व जमीन की रजिस्ट्री जैसे जरूरी निजी व सरकारी दस्तावेज आप इसमें रख सकते हैं.
क्या है डिजिटल लॉकर डिजिटल लॉकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का अहम हिस्सा है. डिजिटल लॉकर का उद्देश्य भौतिक दस्तावेजों के उपयोग को कम करना और एजेंसियों के बीच में ई-दस्तावेजों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है. इसमें अकाउंट बनाकर आप जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, शैक्षणिक प्रमाण पत्र जैसे अहम दस्तावेजों को ऑनलाइन स्टोर कर सकते हैं. डिजिटल लॉकर में ई-साइन की सुविधा भी है जिसका उपयोग डिजिटल रूप से हस्ताक्षर करने के लिए किया जा सकता है.
कैसे बनाएं अपना डिजिटल लॉकर डिजिटल लॉकर या डिजिलॉकर का इस्तेमाल करने के लिए आपको https://digitallocker.gov.in पर अपना अकाउंट बनाना होगा. इसके लिए आपको अपने आधार कार्ड नंबर की जरूरत होगी. साइट पर साइनअप करने के लिए आधार नंबर मांगा जाएगा और दो विकल्प यूजर के वैरिफिकेशन के लिए उपलब्ध होंगे. पहला ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड जिसपर क्लिक करते ही आपको आधार कार्ड में दिए गए मोबाइल नंबर पर ये पासवर्ड आ जाएगा. यदि आप दूसरा विकल्प यानी अंगूठे का निशान चुनते हैं तो एक पेज खुलेगा जहां आपको उंगलियों के निशान पर अपने अंगूठे का निशान लगाना होगा. अगर निशान वैध है तभी यूजर का वैरिफिकेशन हो पाएगा और इसके बाद आप अपना यूजर नेम और पासवर्ड क्रिएट कर पाएंगे.
प्लानो के एक घर में हुई गोलीबारी, हमलावर सहित 9 लोगों की मौत

वॉशिंगटन। अमेरिका में गोलीबारी का सनसनीखेज मामला सामने आया है. टेक्सास शहर स्थित प्लानो में एक हमलावर ने 8 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी है. घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने हमलावार को भी गोली मारकर ढेर कर दिया.
उत्तरी टेक्सास के अधिकारियों ने बताया कि प्लेनो में एक घर में हुई गोलीबारी में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई, जिसमें एक संदिग्ध भी शामिल है. गोलीबारी की घटना रविवार शाम डलास से 20 मील की दूरी पर पूर्वोत्तर में स्थित एक शहर में हुई थी. इस दौरान संदिग्ध हमलावर भी पुलिस के हाथों मारा गया.
प्लेनो पुलिस के प्रवक्ता डेविड टिले ने बताया कि पुलिस को इलाके में गोलियां चलने की खबर मिली थी. जब एक पुलिस अधिकारी वहां पहुंचा और घर में प्रवेश किया तो उसका सामना गोली चलाने वाले संदिग्ध शख्स से हुआ. टिले ने बताया कि अधिकारी ने गोली चलाई और संदिग्ध को मार गिराया. इस गोलीबारी में दो शख्स घायल भी हुए हैं. उनकी स्थिति के बारे में अभी जानकारी नहीं दी गई है.
टिल्ली ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर इस हमले की वजह जानने का प्रयास कर रही है. हमलावर और पीड़ितों के बीच संबंधों के बारे में अभी तक कोई जानकारी सामने नहीं आई है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक गोलीबारी की यह घटना घुड़सवारों के एक जश्न के दौरान हुई.
खुलासा (पार्ट-2): अनसूचित जातियों के हिस्से में से 1 लाख 04 हजार 490.45 करोड़ की कटौती

वित्तीय वर्ष 2017-18 का बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में यह घोषणा किया कि इस वर्ष अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए बजट में 35 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. पिछले वर्ष के बजट में घोषित धनराशि 38 हजार 832.63 करोड़ रूपए को बढ़ाकर 52 हजार 392.55 करोड़ रुपया कर दिया गया है. इसी प्रकार अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए आवंटित धनराशि को 25 हजार 005 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 31 हजार 919.51 करोड़ रुपया कर दिया गया है.
वित्त मंत्री की इस घोषणा पर सांसदों ने तालियां बजाईं, प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया ने प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और सरकार को शाबाशी दी. विपक्षी दल कमोवेश खामोश रहे. सरकार ने अपनी इस उपलब्धि का उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखण्ड आदि प्रदेशों के विधान सभा चुनावों में ढिंढोरा पीटा और दलित आदिवासी मतदाताओं को बताया कि केंद्र की भाजपा सरकार आपकी सबसे बड़ी हितैषी है. क्या केंद्र सरकार का यह दावा सच है, या इन आंकड़ों को पेश करते हुए जानबूझ कर हेराफेरी की गई. यह तथ्यों और तर्कों के आधार पर पूरी तरह झूठ है. या आंकडों की बाजीगरी और वास्तविक तथ्यों को छिपा कर अनुसूचित जातियों और जनजातियों को छला गया है. इन समुदायों को सरेआम धोखा दिया गया है. यदि छला गया है, धोखा दिया गया है, तो कैसे दिया गया? और क्यों इसकी भनक तक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समुदायों और उनके प्रतिनिधियों को नहीं लगी?
ये भी पढ़ेंः DU के कॉलेजों में दिल्ली सरकार का दखल, एडहॉक-परमानेंट अपॉइंटमेंट पर लगाई रोकसिर्फ नेशनल कैंपेन आन दलित हयूमन राइट्स (NSCDHR) और भारत सरकार के पूर्व सचिव पी. एस. कृष्णन ने अपने पर्चे ‘‘बजट 2017-18 एण्ड दी स्पेशल कंपोनेन्ट प्लान फॉर शिडयूल्स कास्टस (SCP) और ट्राइबल सब प्लान (TsP)’’ में हकीकत को सामने रखा और बताया कि वास्तव में जो धनराशि अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए आवंटित की गई है, स्वीकृत राष्ट्र नीति के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए अनिवार्य तौर पर घोषित होने वाली राशि से कितनी कम है. दूसरे शब्दों में कहें तो वास्तव में कितने बड़े पैमाने पर कटौती की गई है. आइए अनुसूचित जाति उपयोजन (SCSP) और अनुसूचित जनजाति उपयोजना (TSP) के संदर्भ में मोदी सरकार के पिछले बजट (2017-18) और उसके पहले के बजटों को देखें.
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सारे जोड़-घटाव लगाकर भी यदि किसी भी मानदंड पर निकाला जाए तो इस वर्ष के बजट (2017-18) में कम से कम अनुसूचित जातियों (जनसंख्या 16.6 प्रतिशत) के लिए 1 लाख 56 हजार 883 करोड़ रुपया आवंटित होना चाहिए था. जबकि कुल आवंटन 52 हजार 392. 55 करोड़ हुआ. यानी अनुसूचित जातियों के हिस्से की धनराशि में 1 लाख 04 हजार 490.45 करोड़ रुपये की कटौती कर दी गई. ध्यान रहे इस बार का कुल बजट 21 लाख 46 हजार 734.78 करोड़ का है. यदि कुल 1 लाख 56 हजार 883 करोड़ रूपया अनुसूचित जातियों के लिए आंवटित भी किया जाता, तो भी यह कुल धनराशि बजट का सिर्फ 4.62 प्रतिशत ही होता, क्योंकि एक हिस्सा गैर-योजनागत खर्चों का होता है. अगले खुलासे में पढ़िए- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति दोनों का मिलाकर 1 लाख 53 हजार 847.94 करोड़ की कटौती डॉ. सिद्धार्थ का खुलासायोगी राज में बदमाशों को नहीं है खौफ, दिनदहाड़े लूटे लाखों रुपए

लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ से एक बड़ी लूट की घटना सामने आई है. लखनऊ के अलीगंज इलाके में एचडीएफसी बैंक में पैसा जमा करने जा रहे शख्स से 10 लाख लूट लिए गए. दिनदहाड़े हुई घटना से इलाके में हड़कंप मच गया.
बताया जा रहा है कि बाइक सवार दो बदमाश रुपयों से भरा बैग छीन कर फरार हो गए. व्यस्त मार्ग पर इस लूट से पुलिस के डायल नंबर 100 तथा गश्त की हकीकत सामने आ गई. इस वारदात के बाद से ही क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है. खबर की सूचना मिलने पर आईजी रेंज जय नारायण सिंह, एसएसपी दीपक कुमार, एएसपी ट्रांसगोमती हरेंद्र कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे. इन सभी पुलिस अधिकारियों ने बैंक में लगे सीसीटीवी फुटेज चेक किया और पूछताछ की. अब पुलिस आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज के जरिये बदमाशों की तलाश में जुट गई है. पुलिस ने लूट का मुकदमा दर्ज कर पूरे मामले की पड़ताल शुरू कर दी है. इससे पहले मार्च में लखनऊ के सर्राफा बाजार में असलहों से लैस बदमाशों ने मुकुंद ज्वैलर्स पर धावा बोल 40 किलो सोना और सवा करोड़ रुपये लूट लिया था. विरोध करने पर ज्वैलरी शॉप के मालिक के सिर पर पिस्टल के बट से हमले के साथ उसके बेटे को भी गोली मारकर घायल कर दिया था.
डॉक्टरों का खुलासा, ‘सेक्स एडिक्ट’ है राम रहीम
रोहतक। बलात्कारी बाबा राम रहीम को लेकर आए दिन हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं. सिरसा डेरा में सर्च अभियान से हुए खुलासे के बाद अब डॉक्टरों ने एक और खुलासा किया है कि राम रहीम सेक्स एडिक्ट है.
रोहतक जेल में जांच करने आए डॉक्टरों की टीम का कहना है कि राम रहीम सेक्स एडिक्ट है. इसी वजह से जेल में उसकी स्थिति खराब हो रही है. वह लगातार बेचैन रहता है और उसकी नींद नहीं आती है. डॉक्टर ने कहा कि राम रहीम का इलाज किया जा सकता है, लेकिन अगर देरी की गई तो समस्या बड़ी हो सकती है.
वहीं इससे पहले गुरमीत सिंह ने सीबीआई कोर्ट के सामने दुष्कर्म के मामले में खुद को बेदाग साबित करने के लिए कई पैंतरे आजमाए थे. उसने खुद को कोर्ट में नपुंसक बताते हुए कहा था कि वो शारीरिक अक्षमता के कारण सेक्स नहीं कर सकता.
डेरा के एक पूर्व सेवादार ने दावा किया था कि राम रहीम सेक्स टॉनिक लेता था. उसके लिए ऑस्ट्रेलिया और कई दूसरे देशों से शक्तिवर्धक पेय मंगाया जाता था. इतना ही नहीं कुछ लोगों ने तो यहां तक दावा किया है कि वह ड्रग्स का सेवन भी करता था. पचास साल की उम्र में राम रहीम की रंगीनियत के चर्चे हैं, वो कपड़े रंगीन पहनता था और दिल से भी रंगीन था. पूर्व डेरा प्रेमी गुरदास सिंह टूर ने भी दावा किया था कि राम रहीम ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों से लाई गई सेक्स टॉनिक का सेवन करता है.
सीवर सफाईकर्मियों के लिए आएगी अस्ट्रेलिया से ड्रेस-किट

नई दिल्ली। सफाई कर्मचारी देश के भीतर खुद अस्वच्छ प्रक्रिया से गुजर कर देश को साफ सुथरा रखता है, नाली, सीवर, सेफ्टीटैंक, गटर मैनहोल साफ रखता है. सफाई कर्मी को न यूनिफार्म है, न ईएसआई सुविधा, न नयूनतम वेतन, न सम्मानजनक व्यवहार.
लेकिन अब सीवरसफाई कर्मचारी के लिए अच्छी खबर है. भारत में भी अब सीवर सफाईकर्मी के लिए ड्रेस-किट होगी. जिसे वो पहन कर सीवर में आसानी से उतर सकेंगे. यह ड्रेस इस सफाईकर्मियों को सुरक्षा प्रदान करेगी और उनको एलर्जी से भी बचाएगी.
ये भी पढ़ेंः गटर में डूबती जिंदगी…जलांधर में सीवरमैन यूनियन के नेता विनोद कुमार मुद्दी और चंदन ग्रेवाल ने मिलकर मेयर सुनील ज्योति को इस ड्रैस का दिया. बीते शुक्रवार को इस ड्रेस का ट्रायल भी सफलतापूर्वक हो गया. जिसके बाद मेयर ने इस ड्रैस को खरीदने के लिए हामी भर दी है.
चंदन ग्रेवाल और मद्दी ने मेयर को बताया कि वह ड्रैस उन्होंने आस्ट्रेलिया में रहने वाले दीप चांडालिया से मंगवाई है. इसकी कीमत 25 हजार रूपए है. जिसमें ड्रेस के साथ ऑक्सीजन सिलैंडर और वॉकी-टॉकी भी है. उन्होंने बताया कि इस ड्रैस को पहन कर अगर सफाईकर्मी सीवर में उतरते हैं तो उनको गैस चढ़ने की समस्या नहीं होगी. स्किन की एलर्जी से भी उनका बचाव होगा और वर्दी में गंदा पानी भी अंदर नहीं जाएगा. इसके अलावा सफाईकर्मी ऑक्सीजन भी ले सकेंगे. वाटरप्रूफ वॉकी-टॉकी की मदद से अंदर वाला कर्मचारी बाहर वाले कर्मचारी से बात कर सकते हैं.
ये भी पढ़ेंः LNJP अस्पताल के सीवर की सफाई के दौरान एक की मौत, 3 गंभीरमेयर ने कहा की सीवर सफाईकर्मियों के लिए यह ड्रैस जरूरी है और इसे खरीदा जाएगा. पांच लाख रूपए निगम खर्च करेगा. जलांधर में हुए सफल परिक्षण के बाद दिल्ली सहित तमाम महानगरों और शहरों में इस ड्रेस का ट्रायल किया जाएगा. इस ड्रेस को सफाई कर्मचारियों के लिए बहुत ही सुविधाजनक माना जा रहा है.