दलित युवाओं ने सोशल मीडिया पर शुरू किया अनोखा कैंपेन

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नई दिल्ली। मूंछ रखने को लेकर एक दलित युवक के साथ मारपीट की घटना के बाद इस समाज के युवाओं ने सोशल मीडिया पर #DalitWithMoustache अभियान चला दिया है. इस घटना को लेकर आक्रोशित दलित युवाओं ने जबरदस्त विरोध दर्ज कराते हुए मूंछों के साथ अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर डाली है. यह अभियान इतना जोर पकड़ चुका है कि तमाम दलित युवाओं ने अपने फेसबुक और ट्विटर अकाउंट से दलित युवाओं से मूंछों वाली अपनी तस्वीर पोस्ट करने की अपील कर डाली है, जिसके बाद तमाम युवा इसमें जुट गए हैं.

गुजरात में घटी इस घटना का विरोध भी गुजरात के युवाओं ने ही किया. अहमदाबाद और गांधीनगर के दलित युवाओं ने सोशल मीडिया पर इस अनोखे कैंपेन की शुरुआत करते हुए अपनी मूंछों के साथ सेल्फी क्लिक करके पोस्ट करने लगे. फोटो के साथ वह जातिवाद ना विरोध मा (जातिवाद के विरोध में) पीयूष भाई ना समर्थन मा (पीयूष के समर्थन में) और संविधान ना समर्थन मा (संविधान के समर्थन में) जैसे हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे हैं. गुजरात से शुरु हुए इस विरोध अभियान में देश भर के युवा शामिल हो गए.

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दिल्ली में रहने वाले सुमित चौहान नाम के युवा ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा, ‘अहमदाबाद में स्टाइलिश मूंछ रखने पर दलित युवकों की पिटाई की गई. जातिवादियों की गुंडागर्दी का विरोध किजिए … आप सब अपनी फेसबुक वॉल पर अपनी मूंछों वाली फोटो अपलोड किजिए. हैशटैग लगाईये #DalitWithMoustache इस पोस्ट के ठीक बाद सुमित चौहान ने कोरियोग्राफर बिट्टो पंवार की फोटो सांझा करते हुए लिखा- इतनी शान वाली मूछें देखकर तो राख हो जाओगे जातिवादियों.’

जितेन्द्र चंदेलकर ने #DalitWithMoustache हैसटैग के साथ एक फोटो साझा करते हुए लिखा- ‘दलितों की मूंछो से जलने वालों ये लो और जलो.. इस फोटो में मूंछ भी है, और हमारे प्यारे बाबासाहेब भी’. तो वहीं विकास दयाल ने लिखा- ‘महाराष्ट्र वालो मेरी भी मूंछे हैं….. गलत नियत नहीं मानविय धारणा को जगाओ.’

घटना गुजरात की राजधानी गांधीनगर से सिर्फ 15 किलोमीटर दूर लिंबोदरा गांव में घटी. 25 सितंबर को गांव के ही पीयूष परमार और उसके भाई को मूंछे रखने की वज़ह से पीटा गया, जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया. पीड़ित पीयूष के मुताबिक उसे सिर्फ इसलिए बुरी तरह पीटा गया क्योंकि उसने स्टाइलिश मूंछे रखी थी. दलित समाज के लोगों का आरोप है कि अक्सर ऊंची जाति के लोग उनके साथ मारपीट करते हैं. आरोपियों की पहचान मयूर सिंह वघेला, राहुल विक्रमसिंह और अजीत सिंह वघेला के रूप में हुई.

गुजरात में दलितों के खिलाफ अपराधों के ब्योरे पर नजर डालें तो NCRB के मुताबिक गुजरात में हर साल दलित उत्पीड़न की 1000 वारदातें होती हैं. जबकि रोजाना दलित उत्पीड़न के 3 मामले सामने आते हैं. 2014 में गुजरात में 1100 अत्याचार के मामले रजिस्टर किये गये थे, जो 2015 में बढ़कर 6655 हो गये थे.

जाहिर है कई ऐसे भी मामले हैं, जो दर्ज नहीं हो पाते हैं. हालांकि घटना के विरोध में जिस तरह दलित समाज के युवाओं ने विरोध दर्ज कराया है, उससे यह साफ हो गया है कि अब युवा अपने उपर हो रहे अत्याचारों को चुपचाप सहने को तैयार नहीं हैं.

अमेरिका से क्रूड की पहली खेप पहुंचेगी भारत

नई दिल्ली। भारत में पहली बार अमेरिकी कच्चे तेल की खेप सोमवार को पहुंचेगी. यह खेप ओडिशा के पारादीप बंदरगाह पर वेरी लार्ज क्रूड कैरियर (वीएलसीसी) के जरिये पहुंचेगी. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आइओसी) ने जुलाई में अमेरिकी कच्चे तेल की खरीद की थी. इसके साथ अमेरिकी कच्चे तेल की भारी सप्लाई भारत में शुरू होने का रास्ता खुल गया है.

एक अमेरिकी अधिकारी ने शुक्रवार को कहा था कि आइओसी और बीपीसीएल ने मार्च 2018 तक कच्चे तेल के आठ पोत खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है. आइओसी प्रमुख ने कहा कि हमने गुजरात के वाडीनार के लिए एक और खेप का ऑर्डर दिया है. यह खेप एक महीने में पहुंचेगी. आइओसी पहली खेप में अमेरिका से लाख बैरल हाई सल्फर क्रूड मार्स और पश्चिमी कनाडा से चार लाख बैरल कच्चा तेल आयात कर रही है. दूसरी खेप में वह 19 लाख बैरल अमेरिका कच्चा तेल खरीदेगी. इसमें से करीब आधा शेल ऑयल होगा. शेल ऑयल भी कच्चा तेल ही होता है. यह किसी तेल कुएं के बजाय जमीन के अंदर चट्टानों के बीच एकत्रित भंडारों से निकाला जाता है. आइओसी ने 9.50 लाख बैरल लाइट स्वीट ईगल फोर्ड शेल ऑयल और इतना ही हैवी सोर मार्स क्रूड आयात होगा.

आइओसी के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी ऑयल कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) भी अमेरिकी कच्चा तेल आयात करने का प्रयास कर रही हैं. आइओसी के चेयरमैन संजीव सिंह के अनुसार लाख बैरल (प्रति बैरल 158 लीटर) अमेरिकी कच्चे तेल का पोत सोमवार की सुबह तक पारादीप बंदरगाह पर पहुंच जाएगा. केंद्र सरकार अमेरिका और कनाडा का कच्चा तेल अमेरिकी तटों से खरीदने के लिए सार्वजनिक कंपनियों को प्रोत्साहित कर रही है क्योंकि सरकार इसे सस्ते विकल्प के तौर पर देखती है. अमेरिकी कच्चे तेल की वजह से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति मांग से ज्यादा हो गई है.

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश भारत दक्षिण कोरिया, जापान और चीन की तरह अमेरिकी कच्चा तेल खरीदने लगा है. तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कमी किये जाने के बाद मध्य पूर्व में हेवी सोर क्रूड यानी हाई सल्फर क्रूड की कीमत बढ़ने लगी है.

पाकिस्तान ने फिर किया सीजफायर का उल्लंघन, दो की मौत और 12 घायल

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पुंछ। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से की जा रही भारी गोलीबारी में एक बच्चे सहित दो लोगों की मौत हो गई और 12 लोग घायल हो गए. वहीं कुपवाड़ा के तंगधार सेक्टर में सेना ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है. एलओसी पर ही एक घुसपैठिया ढेर हो गया. केरन क्षेत्र में पाकिस्तान ने भारी गोलाबारी की, जिसके बाद भारत ने भी जवाबी कार्रवाई की. पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय चौकियों पर बिना किसी कारणवश गोलाबारी और गोलीबारी शुरू की गई.

कुछ दिन पहले ही पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा के पास अग्रिम चौकियों तथा गांवों पर मोर्टार के गोले दागे और छोटे हथियार से गोलीबारी की जिसमें दो आम नागरिक घायल हो गए थे. रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय सेना ने इसका प्रभावी ढंग से जवाब दिया.

प्रवक्ता ने बताया था कि पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा से लगे पुंछ और भीमबर गली सेक्टर में सुबह करीब सवा आठ बजे से बिना किसी उकसावे के अग्रिम चौकियों को निशाना बनाना शुरू किया था. उन्होंने छोटे हथियारों, स्वचालित राइफलों से गोलीबारी की और मोर्टार दागे थे. पाकिस्तानी सैनिकों ने नियंत्रण रेखा पर भीमबर गली, बालाकोट, शाहपुर और पुंछ गांवों में भी मोर्टार दागे और स्वचालित राइफलों से गोलीबारी की थी.

दलित प्रो. नंदूराम को समाजशास्त्र के क्षेत्र में अतुल्य योगदान के लिए मिलेगा सम्मान

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नई दिल्ली। भारतीय समाजशास्त्र परिषद प्रोफेसर नंदू राम को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित करेगा. प्रो. नंदूराम को यह सम्मान भारतीय समाजशास्त्र परिषद की 9 नवंबर को लखनऊ में होने वाली राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में दिया जाएगा. उन्हें यह सम्मान उनके समाजशास्त्र के क्षेत्र में किए गए योगदान के लिए दिया जा रहा है. प्रोफेसर राम समाज शास्त्र के क्षेत्र में एक बड़ा नाम हैं. वह जवाहर लाल विश्वविद्यालय में पहुंचने वाले पहले दलित प्रोफेसर थे।

प्रोफसर नंदूराम ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई की. उसके बाद उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से समाजशास्त्र में एमए और पीएचडी किया.1978 से प्रो. नंदूराम जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ सोशल सिस्टम्स और स्कूल ऑफ सोशल साइंस में पढ़ाने लगे. वह समाजशास्त्र में डॉ. अंबेडकर चेयर के संस्थापक प्रोफेसरों में से एक थे.

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प्रो. राम देश के तमाम संस्थानों से भी जुड़े रहें और कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई. 1999-2001 तक प्रो. नंदूराम सेंटर फोर द स्टडी ऑफ सोशल सिस्टम्स के चेयरपर्सन रहे. इसके अलावा वह देश में राज्य और केंद्र के कई विश्वविद्यालयों की कार्यकारी परिषद और प्रशासनिक परिषद के सदस्य भी रहे. 2001-2004 तक वह बाबासाहेब अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान राष्ट्रीय संस्थान, महू के निदेशक के पद पर कार्यरत रहे.

प्रो. नंदूराम भारतीय योजना आयोग द्वारा ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2011-2017) के तहत बनाए गए ‘भारतीय अनुसूचित जाति (एससी) सशक्तीकरण’ योजना के वर्किंग ग्रुप के सदस्य भी थे. उन्होंने तीन दर्जन से भी अधिक शोधपत्रों और कई पुस्तकों को भी लिखा है जिनमें मुख्य रूप से है-

-The Mobile Scheduled Castes: Rise of a New Middle Class (1988) -Beyond Ambedkar: Essays on Dalits in India (1995) -Ambedkar, Dalits and Buddhism, (2008) -Dalits in Contemporary India, (2008) -Caste System and Untouchability in South India, (2008) -Encyclopedia of Scheduled Castes in India : In 5 Volumes.

गरबा देख रहे दलित को मनुवादियों ने उतारा मौत के घाट

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अहमदाबाद। देश में कोई भी जगह हो, जमीन हो, संस्कृति हो या फिर कोई भी वस्तु हो मनुवादी अपना हक जमाने की कोशिश करते हैं. और इस हक जमाने की कोशिश में वे निम्न तबके और कमजोरों को दबाने की कोशिश भी करते हैं. अगर कोई नहीं दबता और उनका विरोध करता है तो मनुवादी उनसे मार-पीट पर उतारू हो जाते हैं.

ऐसी ही एक घटना एक बार फिर गुजरात के आणंद से आई है. जहां मनुवादियों ने गरबे पर अपना अधिकार समझ लिया. और एक दलित य़ुवक को सिर्फ इसलिए पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया कि वह गरबा देख रहा था.

एक अक्टूबर की सुबह करीब चार बजे गरबा देखने को लेकर ऊंची जाति के पटेल समुदाय के लोगों ने एक 21 वर्षीय दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी.

पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक, जयेश सोलंकी, उसका चचेरा भाई प्रकाश सोलंकी और दो अन्य दलित व्यक्ति भदरनिया गांव में एक मंदिर के पास बने मकान के नजदीक बैठे हुए थे. तभी एक व्यक्ति ने उनकी जाति को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की. उसका कहना था कि दलितों को गरबा देखने का कोई अधिकार नहीं है. इस बीच उसने कुछ और लोगों को भी वहां बुला लिया. ऊंची जाति के लोगों ने दलितों को पीटना शुरू कर दिया और इस बीच किसी ने जयेश का सिर दीवार में दे मारा. जयेश को करमसद के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत लाया गया घोषित कर दिया.

पुलिस ने आठ लोगों के खिलाफ हत्या से संबंधित आइपीसी की विभिन्न धाराओं और अत्याचार रोकथाम अधिनियम के तहत एफआइआर दर्ज कर ली है. एससी-एसटी प्रकोष्ठ के पुलिस उपाधीक्षक एएम पटेल ने बताया कि यह पूर्व नियोजित हमला नहीं लग रहा. गरमा-गरमी के बीच जयेश की हत्या कर दी गई. उसके और अभियुक्तों के बीच कोई दुश्मनी नहीं थी. पुलिस सभी पहलुओं से मामले की पड़ताल कर रही है. अभियुक्तों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

गौरतलब है कि गांधीनगर के निकट एक गांव में 25 और 29 सितंबर को हुईं दो अलग-अलग घटनाओं में मूंछे रखने पर ऊंची जाति के राजपूत समुदाय के लोगों ने दो दलितों की पिटाई कर दी थी. 29 सितंबर को हुई घटना के आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. मालूम हो कि पिछले साल जुलाई में ऊना कस्बे में चार दलितों की बर्बरतापूर्वक पिटाई के बाद राज्यभर में जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे.

शिया मस्जिद के बाहर हुआ आत्मघाती हमला, 22 की मौत

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काबुल। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में शुक्रवार को एक शिया मस्जिद के बाहर आत्मघाती हमले में 22 लोगों की मौत की खबर है. न्यूज एजेंसी एएफपी ने काबुल पुलिस के हवाले से बताया है कि हमले में कम से कम 22 लोगों की मौत हुई है. हालांकि अफगानिस्तान के टोलो न्यूज के मुताबिक आत्मघाती हमले में 5 लोगों की मौत हुई है और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.

पुलिस ने बताया कि इस दिन मुस्लिम समुदाय अपने सबसे पवित्र दिन का जश्न मनाने के लिए मस्जिद में इकट्ठे हुए थे. काबुल शहर के आपराधिक जांच निदेशक जनरल सलीम अल्मास ने बताया, “आत्मघाती हमलावर मस्जिद के बाहर अपनी भेड़ें चरा रहा था तभी उसने खुद को विस्फोट कर लिया.

बताया जा रहा है कि शुक्रवार की नमाज के बाद सभी मस्जिद से वापस जा रहे थे. हालांकि अब तक किसी तालिबान और आईएस आतंकी समूह ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. लेकिन आशंका यही जताई जा रही है क्योंकि इन समूहों ने पिछले कुछ सालों में अल्पसंख्यक समुदाय को बार-बार अपना निशाना बनाया है.

बता दें कि मुस्लिम समुदाय मुहर्रम के 10 वें दिन सातवीं शताब्दी के पैगंबर मोहम्मद के पोते इमाम हुसैन की हत्या के लिए शोक मनाया जाता है. इस दिन मुस्लिम वफादार अपने आप को चोट पहुंचाकर अपनी शहादत देते हैं. लेकिन हाल के वर्षों में इस दिन काफी हिंसा देखी गई है.

यशवंत सिंहा ने दिया करारा जबाव, तिलमिला उठे जेटली

नई दिल्ली। भाजपा के ही दो दिग्गज नेताओं में जुबानी जंग अब दुश्मनी तक पहुंच गई है. पार्टी में किनारे कर दिए गए भाजपा नेता एवं पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा और वर्तमान वित्तमंत्री अरुण जेटली के बीच तल्खी इतनी बढ़ गई है कि दोनों एक दूसरे पर निजी हमले करने लगे हैं. दोनों के बीच एक-दूसरे पर पलटवार का खेल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.

सिन्हा द्वारा देश की अर्थव्यवस्था के लिए जेटली को कठघरे में खड़ा करने के बाद जेटली सिन्हा पर भड़क गए. अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि

“कुछ लोग 80 साल की उम्र में नौकरी के आवेदक बनना चाहते हैं.”

अब इस पर यशवंत सिन्हा ने कहा है-

‘अगर मैं नौकरी का आवेदक होता, तो शायद वो (अरुण जेटली) पहले नंबर पर ना होते’.

सिन्हा ने आगे कहा कि 80 की उम्र में नौकरी का मजाक अच्छा था, मुझे पसंद आया. सिन्हा ने अरुण जेटली पर यह कह कर भी निशाना साधा कि जिन्होंने लोकसभा की शक्ल नहीं देखी वो मेरे ऊपर आरोप लगा रहे हैं. यहां गौरतलब है कि जेटली आज तक लोकसभा का चुनाव नहीं जीते हैं. यशवंत सिन्हा ने अरुण जेटली पर एक के बाद एक 10 वार किए, जिससे जेटली तिलमिला गए हैं. आइए देखते हैं कि आखिर सिन्हा ने अरुण जेटली को लेकर क्या कह दिया?

1. ‘अगर मैं नौकरी का आवेदक होता, तो शायद वो (अरुण जेटली) पहले नंबर पर ना होते’.

2. अरुण जेटली मेरी पृष्ठभूमि भूल गए हैं. मैंने राजनीति में दर-दर की ठोकर खाई है. 12 साल की IAS की नौकरी बाकी थी जब राजनीति में आया. 3. मैं हर सेक्टर पर चर्चा करने को तैयार हूं, हर सेक्टर में गिरावट हो रही है. 4. मैंने राजनीति में आने के कुछ समय के बाद ही अपनी लोकसभा की सीट चुन ली थी. मुझे अपनी लोकसभा की सीट चुनने में 25 साल नहीं लगे हैं. जिन्होंने लोकसभा की शक्ल नहीं देखी, वो मेरे ऊपर आरोप लगा रहे हैं. 5. मैंने वीपी सिंह की सरकार में मंत्री पद ठुकरा दिया था, लेकिन अरुण जेटली ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में राज्यमंत्री का पद स्वीकार कर लिया. वह लोकसभा में पहुंचे भी नहीं थे. 6. कालेधन और पनामा पर जेटली गुमराह कर रहे हैं. पनामा मामले में भारत में कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. 7. मैं और चिदंबरम कभी दोस्त नहीं रहे हैं, बल्कि अरुण जेटली और चिदंबरम दोस्त रहे हैं. 8. हम मुद्दे से भटकने नहीं देंगे, इसलिए पर्सनल आरोप लगा रहे हैं. जो लोकसभा का सदस्य है वही लोगों की बात समझ सकता है, पांव में छाले पड़ेंगे तो ही कुछ समझ आएगा. 9. लोग आज भी मेरे पास जॉब की सर्च में आते हैं, क्या अरुण जेटली के पास लोग आते हैं. 10. उन्होंने कहा कि मैं यूज़लैस मंत्री था, अगर ऐसा था तो मुझे विदेश मंत्री क्यों बनाया गया था? भाजपा के इन दोनों नेताओं की नोकझोक पर विपक्ष भी चुप्पी साधे मजे ले रहा है.

साथ आने को तैयार है अखिलेश और मुलायम

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लखनऊ। आपसी खिंचतान के बाद एक दूसरे के धुर विरोधी हो गए बेटे अखिलेश यादव और पिता मुलायम सिंह यादव फिर से साथ आने लगे हैं. यूपी की सत्ता गंवाने के बाद जहां अखिलेश यादव के तेवर भी ढीले हुए हैं तो वहीं अब मुलायम सिंह यादव को भी लगने लगा है कि इस उम्र में बेटे से मतभेद ठीक नहीं है. ऐसे में मुलायम और अखिलेश के रिश्ते सुधरने लगे हैं और अब मुलायम धीरे-धीरे खुलकर अखिलेश के साथ आने लगे हैं.

पिता औऱ बेटे के बीच कल यानि 28 सितंबर को मुलाकात होने के बाद मुलायम सिंह बेटे अखिलेश के पक्ष में बात करते दिखे. तो वहीं अपने भाई शिवपाल यादव को भी अखिलेश यादव के साथ रिश्ते सुधारने की नसीहत दे डाली. मुलायम और अखिलेश यादव के साथ आने से शिवपाल यादव की अलग पार्टी बनाने की योजना को झटका लगा है.

अगर सब कुछ ठीक रहा और शिवपाल और अखिलेश यादव के बीच का झगड़ा सुलझ गया तो अखिलेश के अलावा मुलायम और शिवपाल भी सपा के राष्ट्रीय सम्मेलन में दिख सकते हैं. पिता और बेटे के बीच हुई इस मुलाकात में अखिलेश यादव अपने पिता और पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव को आगामी पांच अक्तूबर को आगरा में होने वाले सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन का न्यौता देने पहुंचे थे. इस सम्मेलन में पार्टी का नया अध्यक्ष चुना जाना है. इस पर सबकी नजर रहेगी कि 5 अक्टूबर को पिता मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद बेटे अखिलेश यादव को मिल पाता है या नहीं.

यूपी के मंत्री बोले- 2019 से पहले अयोध्या में बनेगा राममंदिर

siddarthanth singh

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जबसे भाजपा की सरकार बनी है तबसे राममंदिर को लेकर यूपी के मंत्री आए दिन बयानवाजी करते आ रहे हैं. इसी कड़ी में यूपी के स्वास्थय मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि अयोध्या में 2019 से पहले राम मंदिर बन जाएगा. और कोर्ट का फैसला भी राममंदिर बनने के पक्ष में होगा.

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि स्वामी ब्रह्मयोगानंद ने पहले भविष्यवाणी की थी कि नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. उनकी ये भविष्यवाणी सही सबित हुई थी. अब स्वामी ब्रह्मयोगानंद ने भविष्यवाणी की है कि 2019 से पहले राम मंदिर बनेगा. इतना ही नहीं स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि अब हमारे देश में परिस्थितियां बदल रही हैं. पहले लोग राम मंदिर का विरोध करते थे लेकिन अब लोग राम मंदिर चाहते हैं.

सिद्धार्थनाथ सिंह ने दावा किया है कि 2019 में इलाहाबाद के अर्द्धकुंभ मेले से पहले अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा. सिंह ने कहा कि 2019 अर्द्धकुंभ से पहले अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य शुरू होगा, क्योंकि इसके पक्ष में देश के करीब 90 प्रतिशत मुस्लिम भी तैयार हो गए हैं. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धर्मनिरपेक्षता को बदल दिया है. उन्होंने हर वर्ग को राष्ट्रहित से जोडा है. प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश अखंड भारत की ओर अग्रसर है.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वामी योगानंद के ‘सम्पूर्ण भारत-परम वैभव भारत’ पुस्तक विमोचन समारोह में गुरूवार रात को कहा कि उन्होंने गुरुकुल में ए फार एप्पल और बी फार बाल की जगह ‘ए फार अखंड और बी फार भारत’ की तरफ अग्रसर होना शुरू कर दिया है.

सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि सरकार हर व्यक्ति को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है. चिकित्सकों की कमी को दूर करके सरकारी चिकित्सालयों में मरीजों के लिए बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि समाज के गरीब तबकों को भी बेहतर उपचार की सुविधा मिले, सरकार इसके लिए सतत प्रयत्नशील है.

‘पुलिस सुधार पैकेज’ से क्या लाभ, जब सरकार ही पुलिस का दुर्पयोग कर रही हैः मायावती

police Reform packege

नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि देशभर में पुलिस का मनोबल बढ़ाकर ऊंचा रखने के लिए जरूरी है कि देश में कानून का राज हो. कानून को अपने हाथ में लेने और कानून से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी प्रकार का शह व संरक्षण देने के बजाय उन्हें कानूनी तौर पर दण्डित किया जाये. मायावती ने आशंका जताते हुए कहा कि इस मामले में केन्द्र सहित भाजपा की राज्य सरकारें भी नाकाम साबित होकर अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी से विमुक्त नजर आ रही है. ऐसे में 25 हजार करोड़ रूपये के कथित ’’पुलिस सुधार पैकेज’’ की घोषणा शायद ही जनोपयोगी साबित हो.

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों में भी ख़ासकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखण्ड और मध्यप्रदेश में पुलिस का राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में भाजपा के हिंसक कट्टरवादी और आपराधिक तत्वों को खुलेआम गुण्डागर्दी करने और क़ानून के साथ खिलवाड़ करते है. इसके साथ-साथ कानून के रखवालों से ही दुर्व्यवहार और मारपीट करके उन्हें अपमानित करने की जो खुलेआम छूट दे दी गयी है उससे पूरे पुलिस प्रशासन में हताशा और निराशा है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी अपनी ड्यूटी सही तौर से निभाने में अपने आपको असमर्थ पा रहे हैं.

मायावती ने कहा कि यह बहुत ही चिंताजनक स्थिति है. ऐसे जंगलराज जैसे हालातों में पुलिस की साज-सज्जा व नये आधुनिक हथियार किस काम के हैं? क्या इनका इस्तेमाल अपराधियों के खिलाफ करने के बजाय जनान्दोलन व जनाक्रोश दबाने के लिये किया जायेगा? आज यह सवाल पुलिस व्यवस्था में सुधार की मांग करने वाले वरिष्ठ लोग उठा रहे हैं जो अत्यन्त ही सार्थक प्रश्न है.

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि उत्तप प्रदेश पुलिस फोर्स के नये मुखिया की नियुक्ति अथवा वर्तमान पुलिस प्रमुख की ही सेवाकाल में वृद्धि के बारे में आज अन्तिम समय तक कोई फैसला नहीं कर पाने से समस्त पुलिस बल के मनोबल में जो गिरावट आई है उसका सही अन्दाज़ा ना तो राज्य सरकार को है और ना ही केन्द्र सरकार को है. बड़े पर्वों के समय में भी ऐसी हरकतों को घोर लापरवाही नहीं तो और क्या कहा जायेंगा? क्या केन्द्र व प्रदेश भाजपा सरकारों के ऐसा बर्ताव इनकी गै़र-जनहितैषी कार्य प्रणाली को नहीं दर्शाता है?

मायावती ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के प्रति केन्द्र सरकार बार-बार अपनी चिंता जाहिर करती रहती है, लेकिन दिन-प्रतिदिन की आमजन की कानून-व्यवस्था समस्या व अपराध-नियंत्रण के अत्यन्त ही गंभीर मुद्दों में कोई ख़ास दिलचस्पी लेती हुई दिखाई नहीं पड़ती है जबकि आमजनजीवन पर इस बात का व्यापक बुरा प्रभाव पड़ रहा है तथा लोगों का जीना काफी कठिन व असुरक्षित होता जा रहा है.

भगदड़ में मरने वालों पर दुख जताया मायावती ने मुम्बई के एलफिन्स्टन रेलवे स्टेशन के फुट ओवर ब्रिज पर भगदड़ मच जाने से 22 लोगों की मौत होने और 45 लोगों के घायल होने पर गहरा दुख व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि ख़ासकर त्यौहार के समय में इस प्रकार का हादसा बहुत ही तकलीफ देने वाला है. केन्द्र व राज्य सरकार न केवल मृतक लोगों के परिवारों को समुचित अनुग्रह राशि दे बल्कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं की रोकथाम पर भी गंभीर होकर पूरा-पूरा ध्यान दे.

खुला खतः तुम्हारी लड़ाई सिर्फ BHU से नहीं, समाज में फैली पुरूषवादी मानसिकता से भी है

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कौन हैं आप लोग और आंदोलन भी किसके खिलाफ कर रही हो..? मेरी नजर में आप सभी लोग निहायती बेवकूफ हो. आप पुरुषों के खिलाफ आंदोलन कर रही हो. आपको चाहिए भी क्या कि छेड़-छाड़ बन्द हो, यूनिवर्सिटी में हर जगह कैमरे लगे, और लाइट की पर्याप्त व्यवस्था हो ताकि आप सुरक्षित महसूस कर सके, इतनी बड़ी मांगें, आपको शर्म नहीं आ रही ये मांगने में..?

शायद आपको पता नहीं ये सब पाना आपका हक ही नहीं है. क्या आपको नहीं पता की ये तुसली दास जी का देश है, जहां वे कहते है कि ढोर गंवार शुद्र पशु ‘नारी’, सकल ताड़न के अधिकारी.

आपको इतनी सी बात समझ नहीं आती की जो आपके साथ छेड़-छाड़ की घटनाएं हो रही हैं, इसमें कुछ गलत नहीं हैं. इस देश की महान संस्कृति में आप पशु के बराबर हो. और ये क्या कम है कि वो महान पुरुष जो आपके साथ बदसलूकी कर रहे हैं, वे कम से कम आपको इंसान तो समझ रहे हैं. नहीं तो आपको ये महान भारतीय सभ्यता पशुतुल्य या प्रताड़ना के लायक ही समझती है. और यहां मैं मनुस्मृति की तो बात ही नहीं कर रहा अगर उस पर गया तो ये लेख पत्र की जगह एक किताब बन जाएगा.

और आप क्या समझ रही हैं BHU में सुरक्षा प्राप्त करके आप जीत जाओगी. आप बच कर जाओगी कहां… जब आप पैदा होने वाली थी तो आपकी मां को ताने मारे जाते थे की लड़की पैदा नहीं होनी चाहिए, पर आप पैदा हो गई. फिर आपकी मां के साथ दोयम दर्जे के नागरिक सा व्यवहार होने लगा. फिर आपकी एक और बहन हुई होगी तो आपकी मां को प्रताड़ित किया जाने लगा होगा. फिर भी अगर एक और लड़की हो गयी तो हो सकता था आपकी मां को घर से बाहर निकाल दिया गया होता या फिर आपके पिता दूसरी शादी कर लेते. नहीं तो अगर 2 या 3 लड़कियों के बाद एक लड़का हो भी गया होता तो, जीवन भर आपको उससे कम प्यार में निकलना पड़ता.

फिर चलो ये क्या कम है कि आपको उसके बाद स्कूल पढ़ने भेज दिया बरना क्या करोगी आप लोग पढ़ कर. शादी के पहले और शादी कि बाद करना तो आपको घर के काम ही है, चाहें फिर आपके पास डिग्री कोई भी हो. और लो इस पुरुषवादी समाज ने आप पर इतना बड़ा उपकार फिर कर दिया, कि आपको कॉलेज भेज दिया पढ़ने के लिए. पर फिर वही बात… कर लो आप पीएचडी भी. फिर भी आपका काम तो बच्चे पैदा करना ही है. उन्हें संभालना ही है और अपने पति की हवस मिटानी है.

और स्कूल, कॉलेज जाने के बीच आपको घर के बाहर और कभी कभी घर के अंदर बैठे हवसी पुरुषों की हवसभरी निगाह से बचना भी है. वो स्कूल जाते समय आपको छेड़ेंगे, ताने कसेंगे फिर आप कॉलेज जाओगी तो रोड-चौराहे पर बैठे ये पुरुष आपके शरीर की बनावट के हिसाब से आपको देखेंगे.

कॉलेज में हर लड़का आपसे दोस्ती इसलिए नहीं करेगा क्योंकि आप पढ़ने में होशियार हो या कमजोर हो बल्कि इसलिए क्योंकि आप एक लड़की हो और आज दोस्ती होगी तो एक न एक दिन आपको प्यार की झूठी बातों में फंसा कर आपके शरीर से अपनी हवस मिटा सकेगा. और हवस मिटाते है फिर किसी बहाने से रिश्ता तोड़ कर फिर वो पुरुष नए शरीर की तलाश में निकल पड़ेगा.

ऐसा नहीं है कि पुरुष की प्रवृति कोई जानता नहीं, पर उस पुरुष को आज की पीढ़ी में स्टंट माना जायेगा या फिर कूल करके सराहा जायेगा और अगर आप लड़की के बारे में इन्हीं लोगों को पता चलेगा कि आपके बॉय फ्रेंड रहे है तो आपको ये समाज ‘चरित्रहीन’ की उपमा देगा. पर आपको तब भी खुश होना चाहिये क्योंकि कम से कम पुरुष आपको इंसान तो समझ रहा है.

आपका सफर यहीं खत्म नहीं होता इसी दौर में आपको समाज की निगाह से बचना भी है आप कैसे कपड़े पहन रही हैं, आप कहां और किसके साथ जा रही हैं, आप किस तरह बोल रही है, किस तरह उठ रही हैं.

जो समाज के 4 लोग है, ‘4 लोग क्या कहेंगे वाले’ ये अपने बच्चे से ज्यादा आपकी फ़िक्र करेंगे और कहीं किसी लड़के के साथ बाजार में या बाइक पर आपको देख लिया. तो बस समाज में आपका और आपके माता-पिता का जीना मुश्किल हो जायेगा, हर कोई आपके माथे पर चरित्रहीन लिखने के लिए दौड़ेगा.

उसके बाद शुरु होता है असली जीवन, आपके पिता आपकी शादी की चिंता में रात भर खोये रहेंगे, वे खाना नहीं खाएंगे, जवान लड़की की शादी करनी है. पूरा परिवार मिल कर आपको ये एहसास कराएगा की आप बोझ है उन पर. फिर आपके पिता निकलेंगे एक लड़का खरीदने जो अब बाकि जीवन उनका बोझ ढो सके.

फिर एक दिन लड़का आएगा आपको देखने और आपकी सारी डिग्रियां एक तरफ रख कर लड़के की मां आपसे पूंछेगी कि… बेटा खाना बना लेती हो? और ये सवाल काफी होगा आपको ये बताने के लिये की आपका बाकी जीवन कैसा होने वाला है. नहीं तो मान लो लड़के के घर वाले ये दावा करें की वो प्रगतिशील हैं. तब वे कहेंगे देखो बेटे आप को जॉब करनी हो शादी के बाद तो आप कर सकती है. लेकिन साथ में ऑफिस जाने से पहले आपको घर के सारे काम करने पड़ेंगे, फिर ऑफिस से आ कर काम करने पड़ेंगे और रात को सास-ससुर की सेवा के साथ पति के लिए बिस्तर तैयार करना पड़ेगा. इस बीच लड़के और लड़की के माता-पिता दहेज़ की बात करने के लिए आपका मन बहलाने के लिए कहेंगे की बेटा आप लोग अकेले में बात कर लो. और एक पूरी तरह से अंजान लड़के से पांच मिनट बात करके आपको तय करना होगा की अगले 50 साल अपने जीवन के आप इस लड़के के साथ बिताओगे की नहीं? और नब्बे प्रतिशत उम्मीद मानिये की आपके माता-पिता को लड़का पसन्द है तो आपको भी लड़का पसन्द करना ही होगा क्योंकि पैसे की डील तय हो गयी होगी.

और लड़का आपसे केवल 2 सवाल पूछेगा की आपका कोई बॉयफ्रेंड रहा है? और दूसरा अगर लड़का मेट्रो सिटी से है तो पूछेगा की क्या आप वर्जिन हो? और मायने ये बिलकुल नहीं रखता की लड़के का इतिहास कैसा रहा हो बल्कि मायने ये रखता है कि आपका इतिहास कैसा है. और आपको पहले सवाल के जबाब में ‘नहीं’ कहना है और दूसरे सवाल के जबाव में ‘हां’ कहना है और लो शादी तय!

और फिर शादी के बाद दिन भर काम और रात को पति के लिए कपड़े उतार कर जब उसका मन हो तब तैयार रहना है. हो सकता है ये आपके लिए ‘मेरिटल रेप’ हो, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में भारत सरकार ये कहती है कि हम ‘मेरिटल रेप’ की अवधारणा को नहीं मानेंगे. क्योंकि अगर ऐसा होने लगे तो परिवार नाम की संस्था खत्म होने का डर है. तो इस प्रकार ये महान देश आपको आपके ‘शरीर पर भी हक़ नही देता’ शादी के बाद आपका शरीर आपके पति के लिए खिलौना बन जाता है आप मनो या ना मानो.

असल में हम भारतीय दुनिया के सबसे दोगले प्राणी है जो गाय को अपनी माता मानते है और उसके लिए जान लेने को तैयार बैठे है. हम वर्ष में 18 दिन देवी की पूजा करते है और वो देवी जिसने हमें जन्म दिया है, जो पत्नी या पुत्री के रूप में है, उसे हर रोज किसी ना किसी तरह से प्रताड़ित करते हैं. हम कहते हैं कि हमारी सभ्यता बहुत महान है क्योंकि हमारे देश में कहा जाता है कि.. “यत्र नारी पूज्यंते रमन्ति तत्र देवताः” पर फिर भी दुनिया में सबसे ज्यादा महिलाओं के खिलाफ अपराध हमारे ही देश में होता है, हमारे ही देश में सबसे ज्यादा महिला भ्रूण हत्या होती है, सबसे ज्यादा महिलाओं के साथ बलात्कार होता है.

महिलाओं के साथ अन्याय को तो ये समाज गिनता ही नहीं है. तभी अपनी पत्नी को छोड़ने के बाद श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम बन जाते हैं, सिद्धार्थ गौतम अपनी पत्नी को छोड़ कर महात्मा बुद्ध बन जाते हैं. लोग इन दोनों पुरुषों की महानता का बखान करते नहीं थकते. पर कोई ये नहीं देखता की पत्नी के रूप में सीता ने और यशोधरा ने क्या खोया.

क्या उनकी आकांक्षा कोई मायने नहीं रखती. एक पत्नी और महिला होने के नाते? क्या केवल पुरुष की मर्यादा और उनकी ज्ञान प्राप्ति की ललक ही सब कुछ है? क्यों शादी के बाद महिला को अपना घर छोड़ना पड़ता है? क्यों शादी के बाद महिला को अपना पहनावा बदलना पड़ता है ? क्यों मंगलशूत्र और करवाचौथ केवल महिलाओं के लिए है, पुरुषों के लिए ऐसे विधान क्यों नहीं है? आप इन सवालों के जबाब मांगिए इस समाज से तब आपकी लड़ाई सार्थक होगी. तब वो समस्या के मूल पर प्रहार करेगी.

आप BHU के बाहर धरना दे कर अगर सोच रही हो क़ि आपकी लड़ाई केवल BHU प्रशासन से है तो आप गलती कर रही हो, आपकी लड़ाई इससे कहीं बड़ी है. उस मां और दादी से है जो केवल लड़का चाहती है, आपकी लड़ाई उस पिता से है जो लड़के की पढ़ाई पर पूरा पैसा खर्च करता है पर लड़कियों की नहीं, आपकी लड़ाई उस पिता से भी है जो अपनी लड़की के साथ गलत हुआ किसी ने छेड़ा है या व्यभिविचार किया है पर उस गलत करने वाले के खिलाफ कुछ नहीं बोलता क्योंकि इसे डर इस बात का है कि लोग उसकी लड़की पर ऊंगली उठाएंगे. आपकी लड़ाई उस मां के साथ भी है जो अपनी लड़की पर पहले शक करती है जब उसके साथ छेड़-छाड़ हुई हो. आपकी लड़ाई उस समाज के साथ भी है जो लड़की के कपड़ो से उसका चरित्र तय करता है. आपकी लड़ाई उन पुरुषों से भी है जो महिलाओं को मात्र सम्भोग की वस्तु समझता है. आपकी लड़ाई उस सास से भी है जो अपनी बहू को काम वाली बाई समझती है.

इस लड़ाई को इतनी छोटी मत समझो, आप रामलीला मैदान में इस देश की सभी महिलाओं को बुलाओ और मिल कर आवाज़ उठाओ इस पुरुषों के समाज और देश के खिलाफ. आओ घेर लेते हैं पूरी दिल्ली और फिर आज़ादी के लिये आज के हुक्मरानों को मजबूर कर देते है. आओ क्रांति करे और आज़ाद करे 2000 साल से गुलाम महिला को. आओ दिल्ली…

– सम्राट बौद्ध का खुला पत्र

रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से 22 की मौत, 20 घायल

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Mumbai

मुंबई। मुंबई के एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के फुट ओवर ब्रिज पर भगदड़ मच जाने से 22 लोगों की मौत हो गई जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. बताया जा रहा है कि अफवाह के बाद भगदड़ मची थी. ब्रिज पर भारी भीड़ भी थी.

केईएम अस्‍पताल की केजुअल्‍टी से मिले आंकड़ों के अनुसार, अभी तक 22 शव अस्‍पताल में पहुंच चुके हैं और कई लोगों के घायल होने की खबर है जिन्‍हें तुरंत इलाज दिया जा रहा है. यह जानकारी केईएम हॉस्पिटल के सीएमओ प्रवीण बांगर ने दी. हालांकि आधिकारिक तौर पर 15 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है.

आशंका जताई जा रही है कि मृतकों की संख्या और अधिक हो सकती है. बारिश की वजह से लोगों ने रेलवे ब्रिज पर शरण ले रखी थी जिस वक्त यह हादसा हुआ. यह हादसा सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर हुआ. यह वह वक्त होता है जब लोअर परेल और एलफिंस्टन स्टेशनों पर काफी भीड़ होती है.

इस मामले पर पुलिस का कहना है कि घटना की जांच की जा रही है. उधर, पश्चिम रेलवे ने कहा है कि घटनास्थल पर मेडिकल टीम पहुंच गई है और घायलों को सहायता मुहैया कराई जा रही है. वरिष्ठ अधिकारी स्टेशन पर राहत और बचाव कार्य की निगरानी कर रहे हैं. रेलवे के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने बताया कि रेल मंत्री पीयूष गोयल मुंबई पहुंच रहे हैं.

सेंट्रल लाइन के परेल स्टेशन और वेस्टर्न रेल लाइन के एलफिंस्टन स्टेशन को कनेक्ट करने वाले ब्रिज पर पीक ओवर की भीड़ थी. घटना के समय जब अचानक बारिश आई, तब सभी लोग ब्रिज पर ही रुक गए. ब्रिज पर भीड़ बढ़ने लगी, जबकि कोई उतरने को तैयार नहीं था. ऐसी स्थिति में सेंट्रल लाइन की ट्रेन पकड़ने के लिए धक्का-मुक्की होने लगी और इसी घटना ने भगदड़ का रूप ले लिया.