एक बार फिर आमने-सामने हुए राहुल गांधी और स्मृति ईरानी

rahul vs smriti

नई दिल्ली। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बीच एक बार फिर जुबानी जंग शुरू हो गई है. जहां एक तरफ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार की बखिया उधेड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ स्मृति ईरानी भी मोर्चा संभाल रही हैं.

दरअसल, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पिछले तीन दिनों से गुजरात दौरे पर हैं. जहां पर वे मोदी सरकार की बखिया उधेड़ रहे हैं. ऐसे में स्मृति ईरानी ने भी अमेठी पहुंचकर राहुल के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है. जहां बीते 3 दिनों में राहुल गांधी गुजरात के अलग-अलग जगहों पर जाकर मोदी को भला बुरा कह रहे हैं तो स्मृति ईरानी भी राहुल पर तंज कसती नहीं थक रही हैं.

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राहुल गांधी आज (11 अक्टूबर) गुजरात के छोटा उदयपुर में हैं. जहां उन्होंने केन्द्र सरकार को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि मौजूदा सरकार उद्योगपतियों के लिए है. ग़रीबों को महज सपने ही दिखाए जाते हैं. साथ ही राहुल ने अमित शाह के बेटे जय शाह मामाले पर निशाना साधते हुए कहा कि जय शाह नरेंद्र मोदी के स्टार्टअप इंडिया के स्टार्टअप आइकन हैं. तभी तो भ्रष्टाचार की इजाजत नहीं देंने का दावा करने वाले मोदी जय शाह विवाद पर चुप हैं.

वहीं दूसरी तरफ स्मृति ईरानी ने भी राहुल पर तंज कसते हुए कहा है कि राहुल गांधी के पास अमेठी की जनता के लिए समय नहीं है. जबसे भाजपा नेताओं का अमेठी में आना-जाना बढ़ा है, तब से राहुल भी यहां आने-जाने लगे हैं. साथ ही स्मृति ने कहा कि अपने सांसद से यहां की जनता का मोहभंग हो रहा है.

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आपको बता दें कि स्मृति ने 2014 के लोकसभा के चुनाव में अमेठी सीट से राहुल को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि वो जीत नहीं पाई थी. लेकिन उन्हें मिले समर्थन की वजह से राहुल की जीत का अंतर 2009 के मुकाबले काफी कम हो गया था. लेकिन हार के बाद भी अमेठी में स्मृति का आना-जाना लगातार जारी है.

फीफा ने रद्द की पाक फुटबॉल फेडरेशन की मान्यता

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नई दिल्ली। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन फुटबॉल (फीफा) ने पाकिस्तान फुटबॉल फेडरेशन (पीएफएफ) की मान्यता रद्द कर दी है. अब फीफा से जुड़ी किसी भी गतिविधि में पाकिस्तान फुटबॉल फेडरेशन भाग नहीं ले सकेगा. पाकिस्तान फुटबॉल फेडरेशन पर यह सस्पेंशन फीफा ने तत्काल प्रभाव से लगाया है.

फीफा के प्रवक्ता के मुताबिक, पीएफएफ को उनकी मान्यता रद्द करने की जानकारी दे दी गई है और अब पीएफएफ तत्काल प्रभाव से फीफा के किसी भी आयोजन में भाग नहीं ले पाएगा. फीफा की अधिकारिक फेबसाइट पर इस पीएफएफ के इस सस्पेंशन का उल्लेख किया गया है.

फीफा ने यह निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि पीएफएफ के कामकाज और अकाउंट्स का नियंत्रण कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों द्वारा किया जा रहा है, जो कि पीएफएफ के अनुबंधों का उल्लंघन है. फीफा के अधिनियमों के अनुसार, पीएफएफ ने उन शर्तों को माना था कि उसका संचालन बिना किसी तीसरे पक्ष के प्रभाव के बिना स्वायत्त रूप से होगा. लेकिन कोर्ट द्वारा प्रशासकों की नियुक्ति करने से इन नियमों का पालन नहीं हुआ, जिस कारण फीफा ने पीएफएफ को सस्पेंड करने का फैसला लिया.

फीफा द्वारा जारी स्टेटमेंट में बताया गया है कि पीएफएफ के ऊपर से यह प्रतिबंध तक तक नहीं हटाया जाएगा, जब तक पीएफएफ ऑफिस और उसके अकाउंट्स का संचालन स्वतंत्र रूप से संचालन करने के लिए उसके पास वापस नहीं आ जाता.

रेलवे में निकली कई पदों पर भर्ती, जल्द करें अावेदन

उत्तर रेलवे ने कई पदों के लिए भर्ती निकाली है और यह भर्ती उन लोगों के लिए है, जो पहले रेलवे में काम कर चुके हैं. रेलवे ने अपने सेवानिवृत कर्मचारियों को नौकरी का मौका दिया है. इस भर्ती के माध्यम से उन लोगों का चयन किया जाएगा, जो सिविल इंजीनियरिंग में रेलवे के कर्मचारी रह चुके हैं. भर्ती में कुल 4690 पदों पर उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा, जिसमें ट्रेकमैन, सीनियर सेक्शन इंजीनियर और कई पद शामिल है. अगर आप भी सिविल इंजीनियरिंग में कर्मचारी रह चुके हैं तो आप इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं. भर्ती में आवेदन करने की आखिरी तारीख 29 अक्टूबर 2017 है.

पदों की जानकारी- भर्ती में ट्रेकमैन पद के लिए 4434 उम्मीदवार और सीनियर सेक्शन इंजीनियर पद के लिए 127 उम्मीदवारों को चयन किया जाएगा. ट्रेकमैन पद पर चयनित होने वाले उम्मीदवारों को 5200-20200 रुपये पेस्केल और सीनियर सेक्शन इंजीनियर पद के उम्मीदवारों को 9300-34800 रुपये दिए जाएंगे. इनके लिए 62 साल तक के उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं और उम्मीदवारों का चयन मेडिकल फिटनेस के आधार पर किया जाएगा. इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को फीस नहीं देनी होगी.

कैसे करें अप्लाई- इन पदों पर हर कोई अप्लाई नहीं कर सकता. रिटायर्ड रेलवे कर्मचारियों को ऑफलाइन के माध्यम से अप्लाई करना होगा. इसके लिए पहले आवेदन पत्र भरें और उसके साथ पेंशन, एजुकेशन, सर्विस सर्टिफिकेट संबंधी कागज की फॉटोकॉपी बड़ौदा हाऊस, नई दिल्ली कार्यालय पर भेज दें. भर्ती में आवेदन करने के इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 28 अक्टूबर 2017 से पहले आवेदन कर सकते हैं. ट्रेकमैन और सीनियर सेक्शन इंजीनियर पदों के साथ साथ उम्मीदवार जूनियर ऑफिसर, वेल्डर आदि पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिनके लिए 62 और 34 उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा.

SBI ने पुराने चेक को लेकर ग्राहकों को दी बड़ी राहत

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नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में विलय हुए 5 सहायक बैंकों और भारतीय महिला बैंक के ग्राहकों के लिए खुशखबरी है, उनके जो चेक 30 सितंबर के बाद मान्य नहीं रहे थे उनकी मान्यता को 31 दिसंबर तक कर दिया गया है। अब SBI के सभी सहायक बैंकों और भारतीय महिला बैंक के पुराने चेक 31 दिसंबर तक बिना रोक-टोक के सामान्य चेक की तरह चलेंगे।

हालांकि SBI ने इस मान्यता को बढ़ाने के बाद भी सभी ग्राहकों से अनुरोध किया है कि 31 दिसंबर से पहले नई चेकबुक के लिए आवेदन कर लें, 31 दिसंबर के बाद किसी भी सहायक बैंक या भारतीय महिला बैंक का पुराना चेक मान्य नहीं होगा।

नई चेकबुक के लिए आवेदन इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग या ATM से किया जा सकता है। इसके अलावा शाखा जाकर भी नई चेकबुक के लिए आवेदन किया जा सकता है। पहली अप्रैल 2017 से SBI में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (SBBJ), स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (SBH), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (SBM), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (SBP), स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर (SBT) और भारतीय महिला बैंक का विलय हो चुका है।

सकलदीप बिना देखे गरीब छात्रों के जीवन में भर रहे हैं रौशनी

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सकलदीप शर्मा

गोपालगंज। गोपालगंज शहर से 6 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में एक छोटा सा गांव है कोन्हवा. उस गांव के नेत्रहीन सकलदीप शर्मा बच्चों को शिक्षित कर उनके जीवन में उजियारा लाने की कोशिश कर रहे हैं. सबको यकीन नहीं होगा कि जिसे खुद आंखो से दिखाई नहीं देता, वह दूसरों को कैसे पढ़ा सकता है. लेकिन यह हकीकत है. इसे कुदरत का चमत्कार कहें या सकलदीप की जिद्द, बोर्ड पर जब वे कुछ लिखते हैं तो एक शब्द गलत नहीं होता.

मई 1991 से सकलदीप को सिरदर्द परेशान करने लगा. दर्द जब असहनीय हो गया तो उनके पिता रामाशीष मिस्त्री, जो की इण्डियन आर्मी में जवान थे उन्हें दिल्ली एम्स में लेकर गए. कई तरह की जांच के बाद डॉक्टरों ने सकलदीप के पिता को बताया कि उन्हें ब्रेन ट्यूमर है और बिना देर किये ऑपरेशन करना होगा. तब तक सकलदीप की एक आंख की रौशनी पूरी तरह जा चुकी थी. वे हाई स्कूल की परीक्षा में भी नहीं बैठ सके.

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कुछ दिनों बाद ऑपरेशन करके ट्यूमर को निकाला गया. उनके प्राण तो बच गए लेकिन दोनों आंखों की रौशनी हमेशा के लिए चली गयी. कुछ समय बाद उनके पिताजी का भी देहांत हो गया. यहां से शुरु हुई सकलदीप की जिन्दगी के साथ जंग. सकलदीप बताते हैं कि कुछ नहीं समझ पा रहे थे वे कि आखिर करें तो क्या. कई-कई रातें उनकी पलकें तक नहीं झपकती थीं. अन्दर से वे बहुत टूट चुके थे लेकिन हौसला नहीं छोड़ा.

एक दिन उन्होंने बच्चों को पढ़ाने का निश्चय कर लिया. कितने दिनों तक अकेले अभ्यास किया लिखने का. जैसे-जैसे प्रयास सफल होता गया, उनकी हिम्मत भी बढ़ती गयी. आज वे ब्लैकबोर्ड पर कुछ भी लिख लेते हैं. दुर्भाग्य से वे मैट्रिक की परीक्षा में तो शामिल नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने तैयारी पूरी कर ली थी. खासकर गणित विषय की.

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आज उनके पास पढ़ने के लिए लगभग 30 बच्चे आते हैं. जिनमें से आधे से अधिक हाई स्कूल के विद्यार्थी हैं. उनके कुछ स्टूडेंट को स्कॉलरशिप भी मिल चुका है. सकलदीप कितने नेक इंसान हैं, यह बात वे अभिभावक ही बता पाएंगे जिनके पास अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं. खुद आर्थिक तंगी झेल रहे सकलदीप शर्मा ने पूरे गांव के लोगों से कह रखा है कि जिन बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ाने में सक्षम नहीं हैं, वे उनके बच्चों को निःशुल्क पढ़ाएंगे.

सकलदीप की बौद्धिक क्षमता इतनी बढ़ चुकी है कि वे किसी भी विषय को आसानी से कविता का रुप दे सकते हैं. उनके द्वारा रचित पचास पन्नों की कविता का एक संग्रह तैयार है. जिसमें उन्होंने देशभक्ति, आध्यात्मिकता, शिक्षा और समाजिक विसंगतियों को छूने की कोशिश की है. बहुत जल्द उनकी कविताओं का लोकार्पण होगा.

प्रेम प्रकाश की रिपोर्ट

जयंती विशेष: संपूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश नारायण

रायपुर। संपूर्ण क्रांति आंदोलन चलाने वाले स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता जयप्रकाश नारायण की आज जयंती है. उनका जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के छोटे से गांव सिताबदियारा में हुआ था.वे जेपी और लोक नायक के नाम से मशहूर थे. उनके पिता हर्सुल दयास श्रीवास्तव और मां फूल रानी देवी थीं. उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था. इसलिए वे पढ़ाई के लिए पटना चले गए थे. जेपी आंदोलन ने भूतपूर्व इंदिरा गांधी की सत्ता हिला दी और उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ गया. दरअसल ये 1970 का वक्त था. जब देश महंगाई से लेकर कई बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा था. लोग तानाशाह इंदिरा गांधी से परेशान थे. जिसके बाद इंदिरा गांधी के खिलाफ जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन चलाया.

भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए उन्होंने संपूर्ण क्रांति नाम का आंदोलन चलाया. इसमें 7 क्रांति शामिल थी, जिसमें राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक क्रांति शामिल थी. जयप्रकाश नारायण की एक हुंकार पर युवा उठ खड़े हुए. जेपी घर-घर में क्रांति के पर्याय बन गए. यहां तक कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, लालमुनि चौबे, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, सुशील मोदी ये सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे.

जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी के कई फैसलों को अलोकतांत्रिक बताते हुए पत्र लिखा था. इससे राजनीतिक जगत में सनसनी मच गई. इन्होंने लोकपाल बनाने और लोकायुक्त नियुक्त करने की भी मांग की थी. अप्रैल 1974 में जयप्रकाश नारायण ने जुलूस निकाला, जिसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया. इस आंदोलन से इंदिरा गांधी को विरोध का इतना सामना करना पड़ा कि उनके हाथ से सत्ता निकल गई. 1975 में कोर्ट में इंदिरा गांधी पर चुनावों में भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो गया और जयप्रकाश ने विपक्ष को एकजुट कर उनके इस्तीफे की मांग की. जिसके बाद इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकालकी घोषणा कर दी और जेपी समेत हजारों विपक्षी नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया.

आपातकाल में जब वे जेल में बंद थे, तभी जयप्रकाश नारायण की जबियत अक्टूबर 1976 को खराब हुई. जिसके बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया. जांच में पता चला कि उनकी किडनी खराब है. वे डायलिसिस पर रहे. करीब ढाई-तीन साल के बाद 8 अक्टूबर 1979 को पटना में हार्ट डिजीज और डायबिटीज से उनका निधन हो गया.

जयप्रकाश नारायण को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया. समाजसेवा के लिए उन्हें मैगसेसे पुरस्कार भी मिला था. पटना में हवाई अड्डे का नाम और दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल ‘लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल’ का नाम जेपी के नाम पर पड़ा.

अनुपम खेर बने FTII के नए अध्यक्ष

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बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर को पुणे के जाने-माने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का अध्यक्ष चुना गया है। खेर से पहले गजेंद्र चौहान इस पद पर थे, जिन्हें 2015 में नियुक्त किया गया था। गजेंद्र को संस्थान के छात्र-छात्राओं के विरोध प्रदर्शनों का सामना भी करना पड़ा था। गजेंद्र चौहान का कार्यकाल 3 मार्च 2017 को खत्म हो गया था। अपने 14 महीने के कार्यकाल के दौरान गजेंद्र चौहान सिर्फ एक बार ही संस्थान में किसी मीटिंग को अटेंड करने गए थे। बता दें कि चौहान को एफटीआईआई का चेयरमैन बनाए जाने पर उनका काफी विरोध किया गया था। 139 दिनों तक एफटीआईआई के छात्रों ने हड़ताल की थी जिनमें से कुछ छात्रों ने अनशन भी किया था। चौहान की काफी आलोचना उनके कैंपस से बाहर रहने को लेकर भी हुई थी। एफटीआईआई छात्रों के साथ-साथ फिल्मी जगत के कई कलाकारों ने भी गजेंद्र चौहान की काबिलियत पर सवाल खड़े करते हुए उन्हें संस्थान का उच्चतम पद देने का विरोध किया था। संस्थान के छात्रों ने पूणे से लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक विरोध प्रदर्शन किया था, जिसकी वजह से चौहान अपने नियुक्ति के सात महीने तक अपना पदभार संभाल नहीं पाए थे।

कश्मीर पर सवाल से मच गया बवाल

पटना। सुनने में अजीब लगे, लेकिन बिहार के शिक्षा विभाग ने कश्मीर को अलग ही मान्यता दे दी है. कम से कम उनके द्वारा पूछे गए सवाल में तो यही लिखा है. यह सवाल सातवीं क्लास की छमाही परीक्षा में अंग्रेज़ी विषय में पूछा गया है. सवाल है कि जब चीन के लोगों को चायनीज़ कहा जाता है तब नेपाल के लोग को क्या कहा जाता है. फिर इंग्लैंड के लोगों को क्या कहा जाता है. उसके बाद कश्मीर के लोगों के बारे में पूछा गया और अंत में भारत के लोगों के बारे में पूछा गया है कि उन्हें क्या कहा जाता है?

यह परीक्षा केन्द्र के सर्व शिक्षा अभियान के तहत बिहार शिक्षा परिषद आयोजित करती है. निश्चित रूप से यह गलत सवाल है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी इसके लिए सवाल छापने वाले प्रिंटर को दोषी मानते हैं, हालांकि उनका कहना है कि यह एक बड़ी गलती है, जो नहीं होनी चाहिए.

बिहार में भाजपा खुद सत्ता में है इसलिए पूरा मामला राजनीतिक तूल शायद नहीं पकड़े, लेकिन दबी जुबान से अधिकारी भी मानते हैं कि यह सवाल सेट करने वालों की गलती है. फिलहाल इस मामले की जांच का आदेश दिया गया है. इससे पहले राज्य सरकार को कई बार पटना होईकोर्ट से फटकार भी लग चुकी है, लेकिन कुछ चीजें शायद कभी नहीं बदलतीं.

ऑस्ट्रेलियाई टीम की बस पर पत्थर से हमला

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नई दिल्ली/गुवाहाटी। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही टी20 सीरीज का दूसरा मैच गुवाहाटी के नए बरसापारा क्रिकेट स्टेडियम में खेला गया. 7 बार मिली करारी शिकस्त के बाद आखिरकार ‘कंगारू’ जीत हासिल करने में सफल रहे लेकिन मैच के बाद होटल लौट रही ऑस्ट्रेलियाई टीम की बस पर पत्थर से हमला किया गया. टीम के ओपनर एरोन फिंच ने ट्विटर पर बस की टूटी खिड़की की तस्‍वीर पोस्‍ट करते हुए लिखा, ”होटल आते समय टीम की बस की खिड़की पर पत्‍थर फेंका जाना काफी डरा देने वाला अनुभव है.”

वहीं अब तक इस मामले में अब तक आईसीसी, बीसीसीआई और क्रिकेट ऑस्‍ट्रेलिया की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. ऑस्‍ट्रेलिया की टी20 टीम के कप्‍तान डेविड वॉर्नर ने फिंच के ट्वीट को रिट्वीट किया और ग्‍लेन मैक्‍सवेल ने पोस्‍ट को लाइक किया. जेसन बेहरनडॉर्फ के नेतृत्व में गेंदबाजों के बेहतरीन प्रदर्शन के दम दूसरे टी-20 मैच में मंगलवार को भारत को आठ विकेट से हरा दिया. इस जीत के साथ ही उसने तीन टी-20 मैचों की सीरीज में 1-1 से बराबरी कर ली है और अपनी सीरीज जीतने की उम्मीदों को जिंदा रखा है.

बता दें कि दूसरे टी-20 मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले अपने गेंदबाजों और फिर बल्लेबाज हैनरिक्स के शानदार अर्धशतक की मदद से भारत को 8 विकेट से हरा दिया. भारत के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया को ये जीत 7 टी 20 मैच हारने के बाद मिली है. ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भारत के मजबूत बल्लेबाजी क्रम को दूसरे टी-20 मैच में 118 रनों पर ही रोक दिया. जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने ये लक्ष्य 15.3 ओवर में 2 विकेट खोकर हासिल कर लिया. मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड चार विकेट लेने वाले ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज जेसन बेहरेनडॉर्फ को दिया गया.

बर्थ-डे विशेष: असल जीवन के महानायक अमिताभ बच्चन

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अमिताभ बच्चन अर्श का सफर तय करके दोबारा फर्श पर आ चुके थे. लेकिन उनमें नियती से लड़ने का हौसला बरकरार था. इंडियन बोर्ड ऑफ इंड्रस्ट्रियल फायनेंसियल रिकंस्ट्र्क्शन ने अमिताभ की कंपनी एबीसीएल को दिवालिया करार दे दिया. इस बुरे वक्त में सहारा इंडिया के मुखिया सुब्रतो राय और उस वक्त समाजवादी नेता रहे अमर सिंह ने उनकी मदद को आगे आए. अमिताभ बच्चन ने सहारा इंडिया फायनेंस को अपना बंगला गिरवी रखकर कर्ज की रकम का इंतजाम किया.

अमिताभ बच्चन के पास फिल्में नहीं थी. कोई उन्हें नई फिल्म देने को तैयार नहीं था. स्टारडम एक झटके में खत्म हो चुका था. ऐसे मौके पर यश चोपड़ा ने उन पर भरोसा जताया और अपनी फिल्म मोहब्बतें में उन्हें रोल ऑफर किया.

अमिताभ बच्चन ने कभी कहा था, ‘उन दिनों हर वक्त मेरे सिर पर तलवार झूलती रहती थी. मैंने कई रातें जागकर बिताईं. एक सुबह मैं उठा और सीधे यश चोपड़ा के पास चला गया. मैंने उनसे कहा कि मैं दिवालिया हो चुका हूं. मेरे पास फिल्म नहीं है. मेरा घर और दिल्ली की कुछ प्रॉपर्टीज अटैच हो चुकी है. यशजी ने मेरी पूरी बात शांत होकर सुनी और अपनी फिल्म मोहब्बतें में एक रोल ऑफर किया. इसके बाद मैंने कुछ कर्मशियल एड, टेलीविजन शो और फिल्में करनी शुरू की. मैंने 90 करोड़ रुपए के कुल कर्ज को चुकता किया और एक बार फिर से नई शुरुआत की.’

2000 में वो एकबार फिर से एक्शन में दिखने लगे. स्टार प्लस के शो कौन बनेगा करोड़पति से उन्होंने बड़े पर्दे का मोह छोड़कर टेलीविजन पर अवतरित हुए. इसके पहले सीजन के 85 एपिसोड से अमिताभ बच्चन को 15 करोड़ की कमाई हुई. उसी वक्त पर उन्होंने आईसीआईसीईआई बैंक जैसे कुछ ब्रांड्स का एंडोर्समेंट कर अच्छी खासी कमाई की और कर्ज चुकता किया.

इसके बाद एक बातचीत में अमिताभ बच्चन ने कहा था, ‘मैं ये नहीं कहूंगा कि ये मेरी सेकेंड इनिंग्स है. मैं कहूंगा कि मुझे एक मौका मिला है खुद को दोबारा साबित करने का. हमलोग अब छाछ भी फूंक-फूंक कर पिएंगे. मैंने अपनी गलतियों से सबक लेना सीखा है. हम बुरे वक्त से गुजरे और अपनी असफलता को स्वीकार किया है. अब हम नई शुरुआत करना चाहते हैं.

विश्व बैंक ने घटाया भारत की आर्थ‍िक वृद्धि दर का अनुमान

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विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि अंतरराष्ट्रीय मानकों की वजह से देश में निजी क्षेत्र के निवेश पर असर पड़ सकता है. इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था की वृद्ध‍ि दर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. विश्व बैंक ने ‘दक्षिण एशिया इकोनॉमिक फोकस’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है. विश्व बैंक ने कहा है कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्ध‍ि दर प्रभावित हुई है. बैंक ने कहा है कि जीएसटी 2018 की शुरुआत तक इकोनॉमी को परेशान कर सकता है. हालांकि इसके साथ ही इकोनॉमी में सुधार की शुरुआत भी इस दौरान हो जाएगी.

विश्व बैंक ने कहा है कि जीएसटी के बाद मैन्युफैक्चरिंग और सेवाएं काफी बड़े स्तर पर प्रभावित हुई हैं और इनमें काफी बड़े स्तर पर संकुचन हुआ है. बैंक के मुताबिक इकोनॉमी ग्रोथ से जुड़ी गतिविधियां एक क्वाटर्र में स्थ‍िर हो सकती हैं. इससे सालाना जीडीपी विकास दर 2018 में 7.3 फीसदी तक पहुंच सकती है. विश्व बैंक से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी आर्थिक वृद्ध‍ि दर का अनुमान घटाया है. आईएमएफ ने 2017 में वृद्ध‍ि दर का अनुमान 6.7 फीसदी लगाया है. यह अनुमान कोष के पिछले अनुमान से 0.5 फीसदी कम है.

विश्व बैंक ने यह भी कहा है कि अगर सरकार की तरफ से ऐसी नीतियां लाई जाती हैं, जिससे कि सार्वजनिक खर्च में संतुलन बन सके, तो प्राइवेट इन्वेस्टमेंट बढ़ सकता है. इससे 2018 तक ग्रोथ 7.3 फीसदी तक पहुंच सकता है.

हनीप्रीत ने कबूला जुर्म, खोला ये अहम राज…

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Honeypreet

नई दिल्ली। पुलिस की सख्ती और दबाव से हनीप्रीत ने कबूल कर लिया है कि राम रहीम की सजा सुनाए जाने वाले दिन पंचकूला में हिंसा की शाजिश रची थी. हनीप्रीत ने कहा कि 17 अगस्त को डेरे में एक मीटिंग हुई थी, जिसमें हिंसा की साजिश रची गई.

हरियाणा पुलिस की एसआईटी को पूछताछ के दौरान हनीप्रीत ने बताया कि हिंसा की साजिश के तहत किसको कहां भेजना है, किन इलाकों में हिंसा फैलाई जानी है, इसकी जानकारी उसे पहले से ही थी. इसके लिए मैप तैयार किए गए थे. डेरा के जिन खास विश्वासपात्रों की तैनाती की गई थी, उनके नाम और रोड मैप हनीप्रीत के एक लैपटॉप में सुरक्षित हैं.

पुलिस ने मंगलवार को पंचकूला की अदालत में हनीप्रीत का रिमांड बढ़ाए जाने के वक्त जो दलील दी, उसमें बताया गया कि उसे सिरसा में हनीप्रीत के लैपटॉप की बरामदगी करनी है. हनीप्रीत इससे पहले एक डायरी का जिक्र भी कर चुकी है. सूत्रों की मानें तो हनीप्रीत के लैपटॉप और सीक्रेट डायरी में हिंसा से संबंधित मानचित्र और डेरा के राजदारों की जानकारी है.

रोहतक के सुनारिया जेल में बंद राम रहीम से सीबीआई ने जेल में ही तीन घंटे तक पूछताछ की है. ये पूछताछ 9 अक्टूबर को की गई. राम रहीम से डेरे के साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले में सवाल जवाब किए गए. राम रहीम ने आरोपों से इंकार किया है. सीबीआई राम रहीम के कुछ और सहयोगियों और डेरे के कुछ डाक्टरों से भी पूछताछ करेगी.

राम रहीम को रेप का दोषी ठहराए जाने के बाद 25 अगस्त को पंचकूला में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी जिसमें 36 लोग मारे गए थे.

राज ठाकरे के कार्यकर्ताओं ने उत्तर भारतीयों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा

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मुंबई। महाराष्ट्र में एक बार फिर क्षेत्रवादी मानसिकता के चलते महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने उत्तर भारतीयों पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया. यह घटना सांगली जिले की है. राज ठाकरे की अध्यक्षता वाली मनसे उत्तर भारतीयों के साथ मारपीट कर अक्सर अपनी सियासत की जमीन तैयार करने की कोशिश करती है.

इस मामले से जुड़ा वीडियो सामने आया है. जिसमें मनसे के लोग सड़क पर दिख रहे उत्तर भारतीयों को दौड़ा-दौड़ाकर लाठी-डंडों से पीटते दिख रहे हैं. दरअसल राज ठाकरे की पार्टी ने सांगली में ‘लाठी चलाओ भैय्या हटाओ’ नाम से पर-प्रांतीय हटाओ मुहिम शुरू की है.

राजठाकरे के इन गुंडों ने लोगों की पिटाई कर उसका वीडियो बनाया और मीडिया को सर्कुलेट कर दिया. पिट रहे गरीब लोगों के लिए न तो पुलिस आगे आई और न ही स्थानीय लोग.

मनसे का आरोप है कि सांगली स्थित एमआईडीसी में पर-प्रांतीयों को नौकरी दी जा रही है. यहां 80 फीसदी नौकरी सिर्फ और सिर्फ मराठी लोगों को दी जाए. खास बात यह है कि वीडियो के वायरल होने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई महाराष्ट्र सरकार की तरफ से नहीं हुई है. लोगों को पीटने वाले आजाद घूम रहे हैं और सांगली में रहने वाले डरे सहमे हैं.

नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना बलात्कारः सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध के मुद्दे पर सुनाया है. अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना रेप हो सकता है, अगर नाबालिग पत्नी इसकी शिकायत एक साल में करती है तो.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शारीरिक संबंधों के लिए उम्र 18 साल से कम करना असंवैधानिक है. कोर्ट ने IPC की धारा 375 के अपवाद को अंसवैधानिक करार दिया. अगर पति 15 से 18 साल की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाता है तो रेप माना जाए. कोर्ट ने कहा ऐसे मामले में एक साल के भीतर अगर महिला शिकायत करने पर रेप का मामला दर्ज हो सकता है.

दरअसल, IPC375(2) क़ानून का यह अपवाद कहता है कि अगर कोई 15 से 18 साल की बीवी से उसका पति संबंध बनाता है तो उसे दुष्कर्म नही माना जाएगा जबकि बाल विवाह कानून के मुताबिक शादी के लिए महिला की उम्र 18 साल होनी चाहिए. देश में बाल विवाह भारी संख्या में हो रहे हैं. ऐसे में राज्यों पर इन्हें रोकने की जिम्मेदारी है. कोर्ट ने इस मामले को POCSO के साथ जोड़ा है.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि बाल विवाह सामाजिक सच्चाई है और इस पर कानून बनाना संसद का काम है. कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता. 15 से 18 साल की बीवी से संबंध बनाने को दुष्कर्म मनाने वाली याचिका कोर्ट फैसला सुनाएगा. वहीं मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सती प्रथा भी सदियों से चली आ रही थी लेकिन उसे भी खत्म किया गया, जरूरी नहीं, जो प्रथा सदियों से चली आ रही हो वो सही हो.

सुप्रीम कोर्ट ने यह बात तब कही जब केंद्र सरकार की तरफ से ये दलील दी गई कि ये परंपरा सदियों से चली आ रही है इसलिए संसद इसे संरक्षण दे रहा है. यानी अगर कोई 15 से 18 साल की बीवी से संबंध बनाता है तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जाएगा. केंद्र सरकार ने यह भी कहा- अगर कोर्ट को लगता है कि ये सही नहीं है तो संसद इस पर विचार करेगी. सुनवाई में बाल विवाह में केवल 15 दिन से 2 साल की सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए थे. सुप्रीम ने केंद्र से कहा था क्या ये कठोर सज़ा है? कोर्ट ने कहा-ये कुछ नहीं है. कठोर सज़ा का मतलब IPC कहता है, IPC में कठोर सज़ा मृत्युदंड है.

दरअसल- केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बाल विवाह करने पर कठोर सजा का प्रावधान है. बाल विवाह मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून में बाल विवाह को अपराध माना गया है उसके बावजूद लोग बाल विवाह करते हैं. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कि ये मैरेज नहीं मिराज है. सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि हमारे पास तीन विकल्प हैं, पहला इस अपवाद को हटा दें जिसका मतलब है कि बाल विवाह के मामले में 15 से 18 साल की लड़की के साथ अगर उसका पति संबंध बनाता है तो उसे रेप माना जाए.

कोर्ट ने कहा- दूसरा विकल्प ये है कि इस मामले में पॉस्को एक्ट लागू किया जाए यानी बाल विवाह के मामले में 15 से 18 साल की लड़की के साथ अगर उसका पति संबंध बनाता है तो उस पर पॉस्को के तहत कार्रवाई हो. वहीं तीसरा विकल्प ये है कि इसमें कुछ न किया जाए और इसे अपवाद माना जाए, जिसका मतलब ये है कि बाल विवाह के मामले में 15 से 18 साल की लड़की के साथ अगर उसका पति संबंध बनाए तो वो रेप नहीं माना जाएगा.

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि बाल विवाह से बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. याचिका में कहा गया कि बाल विवाह बच्चों पर एक तरह का जुर्म है, क्योंकि कम उम्र में शादी करने से उनका यौन उत्पीड़न ज्यादा होता है, ऐसे में बच्चों को प्रोटेक्ट करने की जरूरत है.

दरअसल, अदालत उस संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कहा गया कि 15 से 18 वर्ष के बीच शादी करने वाली महिलाओं को किसी तरह का संरक्षण नहीं है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि एक तरह लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है, लेकिन इससे कम उम्र की लड़कियों की शादी हो रही है.

याचिका में कहा गया है कि 15 से 18 वर्ष की लड़कियों की शादी अवैध नहीं होती है, लेकिन इसे अवैध घोषित किया जा सकता है. याचिका में यह भी दलील दी गई है कि इतनी कम में उम्र में लड़कियों की शादी से उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.

क्रिकेट के दौरान दलित और सवर्णों में झड़प

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जौनपुर। जौनपुर के करदहा गांव में क्रिकेट खेलने में बच्चों के बीच हुआ विवाद बाद में दलितों व सवर्णों के बीच खूनी संर्घष में बदल गया. घटना में दोनों पक्षों से आठ लोग घायल हो गए. दलितों ने पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए फूलपुर क्षेत्र के विन्दा गांव मोड़ के पास जाम लगा दिया. इसके बाद पहुंची पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन देकर एक घंटे बाद जाम समाप्त कराया.

जानकारी के मुताबिक 7 अक्टूबर को दलितों और सवर्णों के बच्चों के बीच क्रिकेट खेलने के दौरान मारपीट हो गई थी. इससे दलित नाराज थे. शनिवार को ही अनिल सिंह दलित बस्ती की तरफ स्थित अपना खेत देखने गए, जहां दलितों ने उनकी पिटाई कर दी. जिससे सवर्ण आक्रोशित हो गए.

सोमवार को सुबह पिटाई करने वालों में से एक का पिता सवर्ण बस्ती की तरफ किसी कार्य से आया था, जिसको अनिल सिंह के पुत्रों ने पीट दिया. जब इस बात की जानकारी दलित बस्ती के लोगों को हुई तो वह एकजुट होकर सवर्ण बस्ती की तरफ गए. जहां सवर्णों व दलितों में जम कर मार पीट हो गई.

मारपीट में एक पक्ष से रामधनी, अजित, अनिल, डिम्पल घायल हो गये. इनका प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जलालपुर में इलाज चल रहा है. वहीं दूसरे पक्ष से अनिल सिंह, रोशन सिंह, पवन सिंह, मदन सिंह घायल हो गए. दलितों ने चार सवर्णो के विरुद्ध नामजद तहरीर दी है.

तहरीर के बावजूद कार्रवाई न होने पर दलितों ने पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए सुबह सोमवार 10 बजे फूलपुर थाना क्षेत्र के विन्दा गांव मोड़ पर राष्ट्रीय राज मार्ग पर जाम लगा दिया. जाम की सूचना पर फूलपुर व जलालपुर पुलिस पहुंच गई .

वहां ग्रामीणों को समझा बुझा कर पुलिस ने एक घंटे बाद जाम समाप्त कराया. मामले में जौनपुर एसपी केके चौधरी ने कहा कि वर्ग संघर्ष नहीं है. दलित पक्ष की तहरीर पर आठ लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है.

साभार- अमर उजाला

तो क्या इन मजबूर‍ियों के चलते बार-बार गुजरात जा रहे हैं नरेंद्र मोदी?

Modi

इस साल के आखिर तक होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव ना केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए नाक की लड़ाई बनकर रह गई है बल्कि भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के लिए भी यह प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है. चूंकि, दोनों सियासी महारथी इसी राज्य से आते हैं, इसलिए इन्हीं दोनों के कंधों पर गुजरात चुनाव का दारोमदार भी टिका है. मौजूदा दौर में जब प्रधानमंत्री मोदी खुद और उनकी केंद्रीय सरकार गिरती अर्थव्यवस्था के लिए अपनी ही पार्टी के सांसदों और विरोधियों के निशाने पर हैं, तब उनकी लोकप्रियता का आंकड़ा भी पैमाने पर परखे जाने की प्रतीक्षा में आ खड़ा हुआ है. शायद यही वजह है कि इन दोनों नेताओं को अब गुजरात के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. अमित शाह के बाद अब पीएम मोदी शनिवार (7 अक्टूबर) से दो दिवसीय गुजरात दौरे पर हैं. पीएम बनने के बाद पहली बार वो अपने जन्मस्थान वाडनगर भी जाएंगे.

इन दोनों नेताओं और भाजपा के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए भी गुजरात चुनाव एक लिटमस टेस्ट की तरह बन गया है क्योंकि पिछले दो दशकों से यह पश्चिमी राज्य इन्हीं के कब्जे में रहा है. उधर, 22 सालों से सत्ता के स्वाद से कोसों दूर रहने वाली कांग्रेस भी वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम और वातावरण से उत्साहित नजर आ रही है. राज्यसभा चुनाव में अहमद पटेल की जीत और गिरती अर्थव्यवस्था पर चौतरफा घिरी मोदी सरकार से कांग्रेसी कुनबा गुजरात में वापसी की उम्मीद लगाए हुए है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात के सघन दौरे के साथ-साथ अब भाजपा की तरह धार्मिक लामबंदी भी शुरू कर दी है.

पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल भी पिछले दो सालों से भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहे हैं. इनके अलावा आम आदमी पार्टी भी कुछ चुनिंदा सीटों पर ताल ठोकने को बेकरार है. आप कोई सीट जीते या नहीं लेकिन सत्ताधारी भाजपा का कई सीटों पर खेल बिगाड़ने में कामयाब हो सकती है. अन्य विपक्षी पार्टियों में मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी मोदी-भाजपा-संघ की तिकड़ी को दलित विरोधी ठहराकर उनके खेल को बिगाड़ने की मुहिम में जुटी हुई हैं. ऊना और वडोदरा में दलित समुदाय भाजपा के खिलाफ आवाज बुलंद किए हुए हैं. शरद यादव की अगुवाई वाले जनता दल (यू) के धड़े के कार्यकारी अध्यक्ष और गुजरात से विधायक छोटू भाई वासावा पहले ही अपने इरादे जता चुके हैं कि वो भाजपा का खेल बिगाड़ने के लिए मैदान में डटे हुए हैं.

प्रमोद परवीन का यह लेख जनसत्ता से साभार है.

दीक्षाभूमि और ड्रैगन पैलेस को नागपुर प्रशासन ने पर्यटन सूची से हटाया

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Deeksha bhumi

नागपुर। नागपुर की दीक्षाभूमि पर पहुंचना सभी के लिए सौभाग्य की बात होती है. ये वो जगह है जहां पर लाखों लोग आकर बाबासाहेब अम्बेडकर की धम्म क्रांति को नमन करते हैं. और उनकी प्रेरणा से लाखों लोगों की जिंदगी में एक नई उर्जा का संचार होता है. लेकिन नागपुर के कलेक्टर साहब को दीक्षाभूमि से कोई लेना देना नहीं है. उनकी मनुवादी सोच ने साफ कर दिया है कि जो संघ को पसंद हो वही करेंगे.

दरअसल, नागपुर कलेक्टर की अधिकृत बेबसाइट nagpur.nic.in पर जिन पर्यटन स्थलों का ब्योरा दिया गया है. उसमें दीक्षाभूमि और ड्रेगन पैलेस जैसे ऐतिहासिक जगहों का नाम नदारत है. बेबसाइट के जरिए कलेक्टर साहब ने नागपुर आये लोगों से गुजारिश की है कि अगर घूमना हो तो संघ मुख्यालय घूम कर आईए. यहां के सुन्दर बगीचे और तालाब को देखिए. लेकिन दीक्षाभूमि और ड्रेगन पैलेस के नाम पर जिले की सरकारी बेबसाईट ने कोई जिक्र नहीं किया है.

यानि बौद्ध धर्म को मानने वाले और बाबासाहेब को चाहने वालों के लिए नागपुर प्रशासन के दिल में कोई जगह नहीं है. लोकतंत्र को शर्मसार कर देने वाले नागपुर हुक्मरान को इतनी भी खबर नहीं कि महाराष्ट्र सरकार ने दीक्षाभूमि को क्लास “ए” पर्यटन स्थल का दर्जा दे रखा है. नागपुर शहर के सभी धार्मिक व पर्यटन क्षेत्रों में यह पहला स्थल है. जहां इसे ‘ए’ क्लास का दर्जा हासिल हुआ है. खैर कलेक्टर साहब को कौन समझाए. कि इनके चाहने या न चाहने से देश की संस्कृति नहीं बदलती है.