रणवीर सेना के कार्यकर्ताओं ने पांच दलित महिलाओं से किया बलात्कार

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पटना। नीतीश कुमार के सुशासन राज में दलितों पर लगातार अत्याचार जारी है. बिहार में आए दिन दलितों के साथ भेदभाव और मारपीट की घटनाएं सामने आती रहती है. 9 अक्टूबर को भी बिहार के आरा में पांच दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होने की घटना सामने आई है. जिससे पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है.

दरअसल, आरा के डुमरिया गांव की कबाड़ बीनने वाली पांच दलित महिलाएं कबाड़ बेचने कुरमुरी गांव गईं थी लेकिन रात होने की वजह से ये पांचों युवतियां गांव में ही रुक गईं. तभी रणवीर सेना का पूर्व एरिया कमांडर अपने साथियों के साथ आ धमका और बंदूक की नोंक पर इन सभी को एक दुकान में ले गया. जहां उसने और अपने साथियों के साथ मिलकर इन पांचों के साथ बारी-बारी से बलात्कार किया.

जब पीड़ित युवतियां पुलिस के पास शिकायत करने पहुंचीं तो उन्होंने इनका मेडिकल चेक भी नहीं कराया. जब मामला मीडिया के संज्ञान में आया तो राज्य में तूफान मच गया. कई राजनातिक संगठन पीड़िताओं के समर्थन में आ गए और आरा जिले में राज्य सरकार और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगे. आरजेडी नेताओं ने भी पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया और आरोपियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की.

10वीं पास के लिए BHEL ने निकाली बंपर भर्तियां, जल्द करें अप्लाई

Bharat Heavy Electricals Limited (BHEL) ने कई पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी कर आवेदन आमंत्रित किए हैं. आवेदन से जुड़ी जानकारियां नीचे दी गई हैं. संस्थान का नाम Bharat Heavy Electricals Limited (BHEL) पदों के नाम BHEL की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में जिन पदों पर आवेदन मांगे गए हैं, उनमें फिटर, वेल्डर (जी एंड ई), टर्नर, मशीनिस्ट, इलेक्ट्रीशियन, मोटर मैकेनिक, प्लंबर, बढ़ई, ड्राफ्ट्समैन (मैकेनिकल) प्रोग्रामर और सिस्टम प्रशासन सहायक, एमएलटी पैथोलॉजी के पद शामिल हैं. पदों की संख्या नोटिफिकेशन के मुताबिक कुल पदों की संख्या 554 है. योग्यता इन सभी पदों के लिए किसी भी उम्मीदवार को 10वीं पास होना जरूरी है. इसके अलावा किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से ITI पास होना भी अनिवार्य है. अपनी योग्यता या फिर अपने ट्रेड के मुताबिक किसी भी पद के लिए उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं. उम्र सीमा इन पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 18 साल और अधिकतम आयु 27 साल होनी चाहिए. अंतिम तिथि 18 अक्टूबर 2017 कैसे करें आवेदन आवेदन करने वाले उम्मीदवार सबसे पहले BHEL की आधिकारिक वेबसाइट www.bheltry.co.in​ पर जाकर नोटिफिकेशन पढ़ लें. इसके बाद अपनी योग्यता अनुसार किसी पद के लिए आवेदन प्रक्रिया को पूरा करें. आवेदन के बाद एक प्रिंट आउट कॉपी अपने पास संभाल कर रख लें

दिल्ली में होगा आशीष नेहरा का फेयरवेल मैच

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नई दिल्ली। टीम इंडिया के बाएं हाथ के दिग्गज तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने आज घोषणा की है कि वह न्यूजीलैंड के खिलाफ एक नवंबर को होने वाले टी-20 मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह देंगे. साथ ही उनके होम ग्राऊंड दिल्ली में खेले जाने वाला यह मैच उनका विदाई मैच होगा.

नेहरा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी और निर्णायक टी-20 मैच से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘ऐसे में रिटायर होना अच्छा लगता है जब लोग ‘क्यो नहीं’ से ज्यादा ‘क्यो’ सवाल पूछते हैं. मैने टीम मैनेजमेंट और चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद से बात की है. मेरे लिए घरेलू दर्शकों के सामने खेल को अलविदा कहने से बढ़कर कुछ नहीं होगा.

नेहरा ने कहा, ‘ दिल्ली के फिरोजशाह कोटला के मैदान पर ही 20 साल पहले मैंने अपना पहला रणजी मैच खेला था. मैं हमेशा कामयाबी के साथ संन्यास लेना चाहता था. मुझे लगता है कि यह सही समय है और मेरे फैसले का स्वागत किया गया है.’ 38 साल के नेहरा ने हेड कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली को इस फैसले की जानकारी दे दी है. भारत और न्यूजीलैंड 22 अक्टूबर से तीन मैचों की वनडे और तीन टी-20 मैचों की सीरीज खेलेगा.

इसके बाद 2018 में कोई टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं होना है. नेहरा ने कहा कि अच्छा प्रदर्शन कर रहे युवाओं को ही और मौके दिए जाना सही होगा. उन्होंने यह भी कहा कि वह अब आईपीएल भी नहीं खेलेंगे. भारत के लिए 1999 में पहला मैच खेलने वाले नेहरा 117 टेस्ट, 120 वनडे और 26 टी20 मैच खेल चुके हैं. उन्होंने 44 टेस्ट, 157 वनडे और 34 टी-20 विकेट लिए हैं. उन्हें डरबन में 2003 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ 23 रन देकर छह विकेट लेने के लिए याद रखा जाएगा.

सलमान-जुबैर का चौंकाने वाला खुलासा: फोन रिकॉर्डिंग लीक

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मुंबई। बिग बॅास 11 के सीजन का भले ही अंत हो . लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि सलमान खान और जुबैर खान के बीच की कंट्रोवर्सी अब कभी नहीं थम पायेगी. जी हां, एक बार फिर जुबैर खान के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है. जिसका फोन रिकॉर्डिंग सामने आया है. इस कॅाल का खुलासा अजाज खान ने किया है. यह वही अजाज खान हैं जिन्होंने जुबैर की फिल्म लकीर के फकीर में लीड भूमिका निभाई थी. यह भी कहा जा सकता है कि इस कॅाल में अजाज ने जुबैर का भांडा फोड़ दिया है. इस कॅाल में जुबैर ने कहा है कि अजाज भाई मैंने आपके खिलाफ कुछ भी नहीं बोला.

मैंने तो सिर्फ इतना ही कहा कि अजाज ने मेरी फिल्म में बतौर लीड काम किया है और तू(सलमान खान) इतने बड़े राइटर का बेटा होने के बावजूद अपनी पहली फिल्म में पैरलल रोल में नजर आया है. सलमान ने मुझे धमकी दी. अगर मैं सुसाइड नहीं करता तो मुझे निकलने नहीं दिया जाता. मुझे गाली देने के लिए कहा गया. दूसरे की इज्जत उतार कर पैसे कमाए जा रहे हैं. दिन में दो बार गाली देना है. लड़ने के लिए कहा जाता है. ये सब टीआरपी के लिए होता है. दिमाग से खेलूंगा. सलमान खान ने मेरे दिल से खेला. मैं अब उसके दिमाग से खेलूंगा. अब देखें वो ऐड़ा पठान क्या करता है. उसे जो करना है कर ले.

सलमान के कारण सुसाइड मुझे प्राइवेट अस्पताल में लेकर गए. लेकिन जो सुसाइड करता है उसे सरकारी अस्पताल में लेकर जाना चाहिए था. लेकिन मेरे साथ गलत किया गया है. सलमान के खिलाफ केस फाइल हो. भाई का चमचा मैं सलमान को बोलता हूं. तेरे को ऊपर से फोन आया तेरी फटी है. तू वहां का खास है. तू तमचा है. हम गद्दारों के साथ नहीं है. मुझे भारतीय सरकार पर भरोसा है. मैं देशभक्त हूं. सलमान के बच्चे मैं एक शो के जरिए बोलना चाहता था. अपने बच्चों को बुलाना चाहता था. सलमान को क्या पता बच्चों के बारे में. वो कौन होता है मुझे कुछ भी बोलने वाला. तू शर्ट उतार कर नाचता है तो तुझे कोई रोकने नहीं आता है. फिर मुझे क्यों बोल रहा है. तू क्या करता है सब पता है. Being Human से तू क्या करता है सब पता है. तुन कार एक्सीडेंट के बाद अपनी बेड बॅाए की इमेज सुधारा है. वरना तू क्या है ये जुबेर को अच्छे से पता है.

वंचितों की व्यापक बराबरी का सवाल

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आज की राजनीतिक गोलबंदी एवं सत्ता की राजनीति के केंद्रीय शब्द हैं ‘अस्मिता की चाह और ‘विकास. जब ‘अस्मिता की चाह पर चर्चा होती है तो सामाजिक एवं राजनीतिक अस्मिता की बात होती है, परंतु किसी भी सामाजिक समूह के ‘अस्मिता निर्माण की प्रक्रिया में ‘धर्म की क्या भूमिका होती है, इस पर हम न तो संवेदनशील हैं और न ही सजग. जब भी राजनीतिक दल दलित, वनवासी एवं वंचित समूहों की अस्मिता को समझकर उस पर अपनी राजनीतिक कार्ययोजना बनाना चाहते हैं तो उसमें उनके भीतर बैठी ‘धार्मिक सम्मान की चाह को नजरअंदाज कर देते हैं. दलित एवं उपेक्षित सामाजिक समूहों पर शोध करते हुए हमने पाया है कि उनमें ‘धार्मिक अस्मिता एवं सम्मान की चाह सामाजिक सम्मान की चाह में ही अंतर्निहित है. उनके लिए समाज में सम्मान का मतलब धार्मिक स्पेस में बराबर हिस्सेदारी भी है. ऐसा नहीं है कि धार्मिक स्पेस की चाह आज जगी है और पहले नहीं थी, बल्कि यह तब से ही पैदा हुई जबसे उनमें अस्पृश्यता के एहसास का उद्भव हुआ. अस्पृश्यता से मुक्ति का संबंध उनके लिए रोटी-पानी एवं हिंदू धर्म में बराबरी की चाह से ही जुड़ा रहा है. शायद इसीलिए डॉ. आंबेडकर ने महाड़ सत्याग्र्रह एवं मंदिरों में प्रवेश जैसे आंदोलन शुरू किए थे. न केवल आंबेडकर ने, बल्कि आर्य समाज एवं आज के अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक आंदोलनों ने भी दलितों के लिए मंदिर प्रवेश जैसे आंदोलनों की वकालत की. इसी क्रम में कुछ समय पहले तरुण विजय के नेतृत्व ने उत्तराखंड के एक मंदिर में दलित प्रवेश आंदोलन को भी देखा जा सकता है.

1920 के आसपास स्वामी अछूतानंद का आदि हिंदू आंदोलन दलितों को धार्मिक अस्मिता प्रदान करने का ही प्रयास था. हमें यह समझना होगा कि ऐसे समूहों को रोटी के साथ ही धार्मिक स्पेस भी चाहिए. ऐसा धार्मिक स्पेस जहां उन्हें बराबरी का एहसास हो, दैनंदिन जीवन के संघर्षों और टकराहट को झेलने के लिए आध्यात्मिक एहसास तो हो ही, बराबरी पर टिके हुए ऐसे भाईचारे का भी एहसास हो जो उन्हें दैनंदिन जीवन एवं समाज में नहीं दिखाई पड़ता. उन्हें ऐसे धार्मिक स्पेस की जरूरत है, जहां वे अपने दुखों से उबरने की कामना करते हुए अपने देवता के समक्ष रो सकें. कितना दुर्भाग्य है कि हमने समाज में उन्हें ‘रोने का स्पेस भी नहीं दिया.

जो मार्क्स धर्म को जनता का ‘अफीम कहते हैं, वे ही यह भी कहते हैं कि धर्म ‘दुखी हृदय की आर्त पुकार है. अगर कभी आप बनारस में लगने वाले रविदास मेले में जाएं तो रविदास की मूर्ति के सामने लाइन में लगे तमाम महिलाएं-पुरुष अश्रुपूर्ण नेत्रों से रविदासजी की मूर्ति पर सिक्कों से लेकर सोना फेंकते दिखाई देंगे. दलितों में जो समूह आर्थिक रूप से मजबूत भी हो गया है, उन्हें भी धार्मिक स्पेस एवं सम्मान की चाह है. रविदास मेले में आपको रोटी-प्याज खाते गरीब के साथ-साथ कोट-टाई पहने ऑस्ट्रेलिया के एनआरआई भी खासी तादाद में मिल जाएंगे.

कबीर पंथ, रविदास पंथ, शिवनारायण पंथ ऐसे ही ‘धार्मिक स्पेस हैं, जिन्हें उपेक्षित समूहों ने अपने ‘दुख की पुकार के लिए, बराबरी की चाह एवं सामाजिक सम्मान की आकांक्षा से विकसित किया है. दलितों में छिपी इसी चाह को समझते हुए कांशीराम और मायावती ने दलित जनता को अपने साथ जोड़ने के लिए दलित समूहों के संतों और गुरुओं को सम्मान देने की रणनीति पर लंबे समय तक कार्य किया. कबीर, रविदास जैसे संतों की मूर्तियां बनवाईं और उनके ‘स्मृति स्थल विकसित किए. शायद इतना स्पेस भी दलित समाज के लिए काफी नहीं था. उन्हें और अधिक स्पेस चाहिए था. उन्हें हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के भी मंदिर चाहिए. जो आर्थिक रूप से थोड़े मजबूत हैं, उन्हें धार्मिक तीर्थों और धार्मिक उत्सवों को खुलकर मनाने की भी छूट चाहिए. उनमें से अनेक ने बौद्ध धर्म को अपने धार्मिक स्पेस के रूप में अपने लिए आविष्कृत किया ही है. साथ ही गांवों में रहने वाले तमाम दलितों को ‘अपने कुलदेवता पूजने की भी छूट चाहिए. पहले जहां खेतों-बागों में पीपल के पेड़ के नीचे मिट्टी के चबूतरे पर मूर्ति रखकर पूजा की जाती थी, वहां अब छोटे मंदिर विकसित होने लगे हैं. जैसे-जैसे गांवों में दलित-वंचित समूह आर्थिक रूप से थोड़ा बेहतर होता जा रहा है, वैसे-वैसे उन्हें भव्य मंदिर भी चाहिए. शायद इसी भाव की अभिव्यक्ति उनमें विकसित हो रही ‘मंदिर की चाह में प्रस्फुटित होती है.

जयापुरा बनारस के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गोद लिया गांव है. वहां मुसहर जाति की एक बस्ती है, जिसका नाम ‘अटलनगर रखा गया है. उसके प्रवेश पर ही पेड़ के पास एक छोटा मंदिर बनाया गया है जिसमें ‘शिवजी के साथ ‘शबरी माता की एक छोटी मूर्ति लगाई गई है. गांव में मुहसर जाति के लोग बहुत दिनों से चाह रहे थे कि, ‘काश उनके लिए शबरी माता का मंदिर होता, लेकिन उनके पास ‘शबरी माता का एक छोटा मंदिर बनाने की न तो आर्थिक शक्ति है और न ही सामाजिक ताकत. आज वे इस मंदिर के बन जाने से बहुत खुश हैं और गर्व से कहते हैं कि यहां पचास कोस तक शबरी माता का दूसरा कोई और मंदिर नहीं है. ऐसे ही सपेरा जाति में ‘गोगा पीर का मंदिर बनाने की चाह है जो सांपों के देवता माने जाते हैं, परंतु इस प्रयोजन के लिए उनके पास भी आर्थिक-सामाजिक शक्ति का अभाव है. वे कहते हैं कि अगले चुनाव में नेताओं के समक्ष वे अपनी यह मांग रखेंगे.

देश के विभिन्न् हिस्सों में दलितों की अनेक जातियां हैं और सभी जातियों के अपने-अपने देवता और नायक हैं. इन देवताओं के मंदिर अथवा परिसर विकसित होने से उनमें आत्मसम्मान का भाव तो बढ़ता ही है, उन्हें अपना धार्मिक स्पेस भी मिलता है, जहां वे अपने लोगों के बीच अपने तौर-तरीकों के पूजा-पाठ कर सकते हैं. बिहार में दुसाध जाति एक प्रभावी दलित जाति है. उनकी बस्तियों के पास आपको अनेक देवी-देवताओं के मंदिर तो दिखेंगें ही, वहीं चूहड़मल, सहलेस, राहु एवं गोरेया देव के मंदिर भी मिलेंगे. मैं सिर्फ यह नहीं कहना चाह रहा हूं कि प्रत्येक दलित जाति के जातीय देवताओं के मंदिर हों. मेरा बस इतना कहना है कि अन्य सामाजिक समूहों की तरह दलित एवं वंचित सामाजिक समूहों में भी समाज में धार्मिक स्पेस की चाह रही है और मौजूदा दौर में यह और बढ़ रही है. उन्हें भी धार्मिक बराबरी एवं अपने दुख-दर्द का बयान करने के लिए देवस्थान चाहिए. वे भी हिंदू धर्म के अनेक देवी-देवताओं में जिसे चाहें, उसे पूजने की छूट चाहते हैं. वे अपनी जाति से जुड़े कुलदेवता का भी मंदिर चाहते हैं. कुछ बौद्ध के रूप में रहना चाहते हैं, कुछ रविदासी, कबीरपंथी एवं शिवनारायणी के रूप में अपनी धार्मिक अस्मिता चाहते हैं. कई के जातीय देवता उनकी अस्मिताओं के महत्वपूर्ण प्रतीक चिह्न हैं. उनके लिए सम्मानित जीवन का तात्पर्य रोजी-रोटी की बेहतरी के साथ साथ ‘धार्मिक स्पेस की प्राप्ति भी है और हमें उनकी यह आकांक्षा समझनी होगी.

बद्री नारायण का यह लेख नई दुनिया से साभार है. लेखक प्राध्यापक एवं समाज विज्ञानी हैं.

तलवार दंपति हुए रिहा तो असली कातिल कौन?

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arushi

इलाहाबाद। आरुषि-हेमराज मर्डर केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने डॉ. राजेश तलवार और नूपुर तलवार को बरी कर दिया है. कोर्ट का मानना है कि जांच में कई तरह की खामियां है और सबूतों का आभाव है. तलवार दंपति ने सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. 26 नवंबर, 2013 को उनको सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद आरूषी-हेमराज हत्याकांड में एक नया मोड़ आ गया है. अगर आरूषी-हेमराज की हत्या तलवार दंपति ने नहीं की तो फिर किसने की? इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को क्या सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी?

डबल मर्डर के चार साल बाद 2012 में आरुषि की मां नूपुर तलवार को कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा और फिर जेल जाना पड़ा. नवंबर 2013 में तमाम जिरह और सबूतों को देखने के बाद सीबीआई कोर्ट ने आरुषि के पिता राजेश और मां नूपुर तलवार को उसकी हत्या के जुर्म का दोषी माना. उनको उम्र कैद की सजा सुना दी गई. इसी के साथ देश की सबसे सनसनीखेज मर्डर मिस्ट्री पर पर्दा गिर गया.

15-16 मई, 2008 की रात को आरुषि का शव नोएडा में अपने घर में बिस्तर पर मिली. इसके बाद एक-एक कर इतनी नाटकीय घटनाएं सामने आईं कि पूरा मामला क्रिसी क्राइम थ्रिलर की फिल्म में बदल गया. इसमें अगले पल क्या होगा ये किसी को पता नहीं था. नोएडा के मशहूर डीपीएस में पढ़ने वाली आरुषि के कत्ल ने पास पड़ोस के लोगों से लेकर पूरे देश को झकझोर दिया था. 23 मई, 2008 को पुलिस ने बेटी की हत्या के आरोप में राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन तब तक मामले में इतने मोड़ आ चुके थे कि मर्डर का ये मामला एक ब्लाइंड केस बन गया.

31 मई, 2008 को आरुषि-हेमराज मर्डर केस की जांच सीबीआई के हवाले कर दी गई. कत्ल के आरोप में डॉक्टर राजेश तलवार सलाखों के पीछे थे. आरुषि केस देश भर में सुर्खियां बना हुआ था. तलवार का नार्को टेस्ट हुआ. शक की सुई तब तक तलवार से हटकर उनके नौकरों और कंपाउंडर तक पहुंच गई थी. तलवार परिवार के करीबी दुर्रानी परिवार का नौकर राजकुमार को गिरफ्तार कर लिया गया.

इस बीच तलवार 50 दिन जेल में गुजार चुके थे. उन्हें जमानत मिल गई. 2010 में दो साल बाद सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. सुनवाई चलती रही और फिर शक की सुई आरोपों की शक्ल में एक बार फिर तलवार दंपति पर टिक गई. गाजियाबाद कोर्ट ने तलवार दंपत्ति को सबूत मिटाने का दोषी पाया. दोनों के खिलाफ आरुषि-हेमराज मर्डर केस में शामिल होने के आरोप तय किए गए.

शिक्षा और स्वास्थ्य पर गुजरात में बोले राहुल

छोटा उदयपुर/गुजरात। कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को भाजपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य सरकार की जिम्मेदारी है. इसमें लगाए गए बजट में लाभ हानि नहीं देखा जाता परंतु भाजपा इस खर्चे को बोझ समझती है. उसने गुजरात में 12000 स्कूल बंद कर दिए. भाजपा सरकार शिक्षा व स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को धन कमाने का जरिया बनाना चाहती है. यह देशहित मेें कतई नहीं हो सकता.

राहुल गांधी आदिवासी छात्रों से बात कर रहे थे. इस क्रम में जब एक छात्र ने आधारभूत सुविधाओं की कमी और सरकारी स्‍कूलों में शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठाया तब राहुल ने कहा, ‘शिक्षा और स्‍वास्‍थय विभाग धन कमाने का जरिया बन गया है. जब कांग्रेस की सरकार आएगी तब यह बदल जाएगा.‘ उन्‍होंने आगे कहा, शिक्षा व्‍यवस्‍था का लक्ष्‍य शिक्षित करना होना चाहिए न कि धन कमाना. गुजरात में करीब 12000 स्‍कूल बंद हो गए हैं जो संभवत: किसी और राज्‍य में नहीं हुआ है.

गुजरात में अंतिम कांग्रेस सरकार छाबिलदास मेहता 17 फरवरी 1994 से 13 मार्च 1995 तक रही. उन्‍होंने भाजपा सरकार पर शिक्षा के क्षेत्र में आवश्‍यक खर्च न करने का आरोप लगाया. राहुल ने कहा, ‘शिक्षा सबके लिए होनी चाहिए और इसलिए शिक्षा विभाग में सरकारी निवेश आवश्‍यक है. और यह काम कांग्रेस करेगी.‘ जब एक छात्र ने बिजली की कमी का मुद्दा उठाया तब राहुल ने कहा, ‘आप गलत व्‍यक्‍ति से पूछ रहे हैं, यह सवाल प्रधानमंत्री और गुजरात के मुख्‍यमंत्री से करना चाहिए.‘ कांग्रेस नेता राहुल ने कहा कि ऐसी सोच है कि आदिवासी देश को कुछ नहीं दे सकते लेकिन यह पूरी तरह गलत है. वे काफी कुछ सीखा सकते हैं जैसे रहने का ढंग और पर्यावरण संरक्षण आदि.‘

महिला सुरक्षा पर सवाल के जवाब में राहुल ने गुजरात सरकार का मजाक उड़ाते हुए कहा, ‘आपकी सरकार की मार्केटिंग में कहा जा रहा है छात्रों समेत सब खुश है और यहां कमियां ही कमियां दिख रही हैं.

अब मोबाइल में होगा आधार….

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नई दिल्ली। अब आपको आधार कार्ड हमेशा अपने पास रखने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी. क्योंकि सरकार ने एम आधार एप को अपडेट कर दिया है. आईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडेय के मुताबिक सेल्फ सर्विस अपडेट पोर्टल में टीओटीपी को जोड़ा दिया गया है. जिसके बाद आप अपने आधार कार्ड को फोन में रख सकते हैं. एम आधार की ये सुविधा अभी आपको एंड्राइड फोन पर ही मिलेगी.

दरअसल, एप के बीटा वर्जन में डेमोग्राफिक डाटा उपलब्ध रहता है. जिससे आधार कार्ड में जो जानकारी होती हैं, वो मोबाइल पर दिख जाती हैं. इसके अलावा अब फिक्स टाइम के अंदर ओटीपी के डाउनलोड होने का इंतजार नहीं करना होगा. ये ओटीपी मोबाइल पर हमेशा मौजूद रहेगा. इसके लिए मोबाइल नेटवर्क की भी जरुरत नहीं होगी.

आपको बता दें कि केन्द्र सरकार लगभग सभी जगहों पर आधार कार्ड को अनिवार्य बनाता जा रहा है. अब रेलवे ने भी आठ सितंबर से एम आधार को वैध पहचान पत्र के रुप में दर्जा दे दिया है. दूसरी तरफ हरियाणा सरकार भी सभी लोगों को 31 अक्टूबर से पहले अपना आधार नंबर पैंशन आईडी से लिंक करवा लेने को कहा है. ऐसा न करवाने पर इनका नाम पेंशन सूची से काट दिया जाएगा. जिसके बाद भविष्य में इन्हें संबंधित विभाग की तरफ से कभी भी पेंशन नहीं मिल पाएगी.

दलितों-आदिवासियों को मिलने वाली योजना का लाभ हड़प रहे हैं नौकरशाह और ग्राम प्रधान

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रीवा प्रोटेस्ट

रीवा। राष्ट्रीय दलित महासभा के कार्यकर्ताओं ने रीवा जिले के तहसील कार्यालय नईगढ़ी का घेराव और विरोध प्रदर्शन किया. कार्यकर्ताओं में शासन की योजनाओं का लाभ दलितों को न मिलने पर निराशा है. दलित महासभा ने प्रदर्शन से पहले प्रशासन और सरकार के विरोध में रैली निकाली.

दलित महासभा ने कहा कि दलितों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. नौकरशाह उनका हक और अधिकार हड़प रहे हैं, इस पर रोक लगनी चाहिए. महासभा का कहना है कि सैकड़ों सालों से उनका जहां पर घर बना है वहां का पट्टा नहीं दिया जा रहा है.

एक कार्यकर्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है. उनके उत्थान के लिए जो भी पैसा आ रहा है उसे पंचायतों द्वारा हजम कर लिया जाता है. गरीब होने के बाद भी गरीबी रेखा में नाम नहीं जोड़ा जा रहा है. कार्यकर्ता का कहना है कि वे जहां रहते हैं उस जमीन का उनको तत्काल पट्टा दिया जाए.

दलित महासभा की के विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों गांव की आदिवासी महिलाएं भी आईं. आदिवासी महिलाओं ने बताया कि उनका पुश्तैनी कच्चा मकान बना हुआ है, लेकिन सरकार ने आज तक उनको पट्टा नहीं दिया है. सरपंच लोग भेदभाव कर रहे हैं. गरीबी रेखा में नाम तक नहीं जोड़ा जा रहा है. जिससे योजनाओं से हम वंचित हैं. हमारी मांगों पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है.

महिला शौचालय में घुसे राहुल गांधी…

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rahul gandhi

छोटा उदयपुर। राहुल गांधी का एक फोटो वायरल हो रहा है. इस फोटो में राहुल गांधी महिला शौचालय से बाहर निकलते दिखे. जिसे कुछ लोगों ने और मीडिया ने कैप्चर कर लिया. बुधवार को गुजरात के छोटा उदयपुर में राहुल ‘संवाद’ कार्यक्रम के तहत युवाओं से बात कर रहे थे.

कार्यक्रम के बाद राहुल गांधी टाउन हॉल से निकले थे. उन्हें फ्रेश होने के लिए टॉयलेट जाना था. एक तरफ टॉयलेट्स के दरवाजे पर गुजराती में ‘महिलाओं माटे शौचालय’ यानी महिलाओं के लिए शौचालय’ लिखा था, जबकि दूसरी तरफ पुरुषों के टॉयलेट्स थे.

दोनों टॉयलेट्स में जेन्ट्स-लेडीज के साइन नहीं बने थे. राहुल गांधी गुजराती में लिखा पढ़ नहीं पाए. ऐसे में गलती से लेडीज टॉयलेट्स में जा घुसे.

इस दौरान बाहर खड़े एसपीजी ने मीडिया वालों को यह कहते सुन लिया कि राहुल गांधी लेडीज टॉयलेट में चले गए हैं. एसपीजी अधिकारी कांग्रेस उपाध्यक्ष को रोकने के लिए जा ही रहे थे कि तभी राहुल तेजी से बाहर आ गए.

इसी दौरान कुछ फोटोग्राफर्स ने लेडीज टॉयलेट से निकलती हुई उनकी तस्वीरें खींच ली. इस घटना से राहुल गांधी कुछ असहज नजर आएं.

गौरतलब है कि राहुल गांधी 9-11 अक्टूबर तक गुजरात दौरे पर थे. गुजरात दौरे के दौरान राहुल गांधी ने कई साभाएं और रैली भी की. इन रेलियों में राहुल गांधी ने गुजरात सरकार और केंद्र सरकार पर निशाना साधा था.

रिलायंस जियो ने पेश किया दिवाली धन धना धन ऑफर

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नई दिल्ली। टेलिकॉम सेक्टर में कंपनियां यूजर्स की जरुरतों को ध्यान में रखते हुए नए प्लान्स पेश कर रही है. इसी क्रम में रिलायंस जियो ने नए दिवाली धन धना धन ऑफर का ओलान किया है. इसके तहत यूजर्स को 399 रुपये के रीचार्ज पर 100 फीसद का कैशबैक दिया जा रहा है. इसके साथ ही देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी भारती एयरटेल ने अपने पोस्टपेड इनफिनिटी प्लान्स में अतिरिक्त लाभ की घोषणा की है.

इस ऑफर का लाभ आज यानी 12 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक उठाया जा सकता है. इसके तहत जियो प्राइम यूजर्स को 399 रुपये का पैक लेने पर 50 रुपये के 8 वाउचर यानी 400 रुपये के वाउचर मिलेंगे. इन वाउचर्स को 309 रुपये या इससे ज्यादा के पैस और 91 रुपये से ज्याद के एड-ऑन पैक्स के को रिचार्ज कराने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. आपको बता दें एक बार में केवल एक ही वाउचर रीडीम किया जा सकता है. इन सभी वाउचर्स का इस्तेमाल यूजर्स 15 नवंबर से पहले तक कर सकते हैं. यूजर्स इसे माइजियो एप, जियो वेबसाइट, जियो स्टोर, रिलायंस डिजिटल लार्ज फॉरमेट स्टोर और कंपनी के पार्टनर ऑफलाइन व ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जियो मनी, पेटीएम, अमेज़न पे और मोबिक्विक) से रीचार्ज करा सकते हैं.

अगर यूजर 399 रुपये का रिचार्ज कराते हैं और इसके साथ 50 रुपये का वाउचर इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें 259 रुपये का पेमेंट करना होगा.

399 रुपये के प्लान में यूजर्स को पहले 1 जीबी डाटा दिया जा रहा था. वहीं, अब इस प्लान के तहत 10 जीबी डाटा प्रति बिलिंग साइकल में दिया जा रहा है. इसी के साथ 499 रुपये के प्लान में 20 जीबी, 649 रुपये के प्लान में 30 जीबी और 799 रुपये के प्लान में 40 जीबी डाटा दिया जा रहा है. 999 रुपये वाले प्लान की बात करें तो इसमें प्रति बिलिंग साइकल 50 जीबी डाटा दिया जा रहा है.

अगर प्रीमियम प्लान्स की बात करें तो 1,199 रुपये के प्लान में 75 जीबी डाटा, 1,599 रुपये के प्लान में 100 जीबी डाटा, 1,999 रुपये प्लान में 125 जीबी डाटा और 2,999 रुपये के प्लान में 200 जीबी डाटा प्रति महीने दिया जा रहा है.

अमिताभ बच्चनः एक सदी के नायक

Amitabh Bachchan

आज अमिताभ बच्चन 75 साल के हो रहे हैं. इसे लेकर फिल्म फिल्म प्रेमियों में भारी हर्ष है. इस अवसर पर भारतीय फिल्म वर्ल्ड उन्हें बधाइयों के सैलाब में डुबो दिया है. इस अवसर पर मैं भी उन्हें जन्म दिन कि बधाई देते हुए, उनके शतायु होने कि कामना करता हूं. मित्रों मैंने भिन्न-भिन्न अवसरों पर अमिताभ बच्चन को लेकर दर्जन से अधिक छोटे बड़े लेख लिखे हैं. उनके प्रति मेरी राय से मेरे नियमित पाठक भलीभांति अवगत भी होंगे. बहरहाल जब भी उन पर कुछ लिखता हूं, तीन बातें मेरे जेहन में जरुर आती हैं.

सबसे पहले मेरे जेहन को जो स्ट्राइक करता है, वह है मारियो पूजो का अति जनप्रिय क्राइम नॉवेल ‘गॉड फादर’, जिस पर इसी नाम से मार्लोन ब्रांडो और अल पचीनो जैसे विश्व विख्यात एक्टरों को लेकर ‘हालीवुड‘ में एक सदाबहार फिल्म भी बनी, जिसका अनुकरण दुनिया के तमाम देशों के फिल्मकारों ने किया. आपमें से ढेरों लोग शायद वह उपन्यास नहीं भी पढ़े होंगे किन्तु वह कालजयी फिल्म जरुर देखे होंगे, ऐसी मेरी धारणा है.

इसी उपन्यास में एक चरित्र, एक फिल्म एक्टर का भी है, जो हॉलीवुड में स्ट्रगल कर रहा है पर, सफलता उससे कोसों दूर है. वह एक्टर गॉड फादर की एक पार्टी में शामिल होता है. जब गॉड फादर से मिलने का अवसर प्राप्त होता है, वह उसके चेहरे पर छाई उदासी का सबब पूछता है. वह अपनी विफलता से अवगत करते हुए फ्लोर पर जाने वाली एक फिल्म का जिक्र करते हुए बताता है कि अगर वह फिल्म मिल जाये तो करियर में उछाल आ जाय. गॉडफादर उसे फिल्म दिलाने का आश्वासन देता है. उसके लोग जब उस फिल्म के निर्माता से उसे लेने का अनुरोध करते हैं, वह विदक जाता है. कई बार समझाने पर भी तैयार नहीं होता, क्योंकि उस एक्टर ने कभी उसकी प्रेमिका को हम विस्तार बना लिया था.

बहरहाल गॉड फादर के लोगों द्वारा कई बार समझाने पर भी जब वह निर्माता उस एक्टर को लेने के लिए तैयार नहीं होता तब उसके लोग, उसके सबसे कीमती रेस के घोड़े का सर काटकर उसके बिस्तर पर रख देते हैं. सुबह जब वह सोकर उठता है, तब घोड़े का कटा सर अपने बगल में देखकर हतप्रभ रह जाता है. वह समझ जाता है कि यह सब गॉड फादर के लोगों कि करतूत है. वह घटना से बुरी तरह डरकर अपनी फिल्म में एक एक्टर को चांस दे देता है. फिल्म सुपर-डुपर हिट होती है. बात यहीं तक नहीं सिमित रहती है, गॉड फादर इस फिल्म के लिए उसे बेस्ट एक्टर का ऑस्कर पुरस्कार भी दिलवा देता है. फिर गॉड फादर का वह कृपा-पात्र एक्टर पीछे मुड़कर नहीं देखता.

अमिताभ बच्चन इस मामले में शायद फिल्म हिस्ट्री के सबसे खुशनसीब एक्टरों में से एक रहे, जिन्हें दुनिया के मारिओ पूजो के गॉड फादर से भी ज्यादा शक्तिशाली इंदिरा गांधी जैसी अतिशक्तिशाली शख्सियत का कृपा-पात्र बनने का अवसर मिला. अगर ऐसे शक्तिशाली राजनितिक परिवार का उन्हें कृपा-लाभ नहीं मिलता, क्या वह अपनी पहली ही फिल्म ‘सात हिन्दुस्तानी’ में एक्टिंग के लिए नेशनल अवार्ड जीत पाते? इस परिवार का कृपा-पात्र होने के कारण ही लगातार आधे दर्जन से अधिक विफल फिल्म देने के बावजूद, बॉलीवुड ने उन्हें किक आउट नहीं किया. परवर्तीकाल में जब इमरजेंसी के दौर में हिंसक दृश्यों पर बेरहमी से कैंची चलायी जाने लगी, अमिताभ बच्चन की फिल्मों को सूचना प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल की टीम ने इससे मुक्त रखा. इमरजेंसी के दौर में इंदिरा सरकार की उदारता के कारण ही एक्शन और हिंसा प्रधान फिल्मों पर उनकी मोनोपोली कायम हुई, जो कालांतर में एंग्री यंगमैन के रूप में उनकी छवि चिरस्थाई करने का सबब बनी.

दूसरी बात जो जेहन में कौंध जाती है, वह है महान एक्शन-एंग्री हीरो क्लिंट ईस्टवुड की फिल्म ‘डर्टी हैरी’. दिसंबर 1971 में रिलीज हुई इस फिल्म ने पूरी दुनिया में दिखाए जाने वाले पुलिस के चरित्र में क्रान्तिकारी बदलाव ला दिया. इस फिल्म में क्लिंट ईस्ट वुड ने ‘हैरी कालाहन’ नामक जिस गुस्सैल पुलिस ऑफिसर का चरित्र निर्वाह किया, उसने पूरी दुनिया में पुलिस नायक के चरित्र में आमूल बदलाव कर दिया. देखते ही देखते कुछ ही वर्षों में दुनिया के विभिन्न देशों की विभीन्न भाषाओँ में हैरी कालाहन भिन्न–भिन्न नामों से परदे पर आ गया. खुद हॉलीवुड में हैरी कालाहन सीरिज की और चार फ़िल्में थोड़े-थोड़े अन्तराल पर आयीं और सभी में हीरो रहे क्लिंट ईस्टवुड.

भारत में हैरी कालाहन का आगमन मई, 1973 में ‘जंजीर’ के जरिये हुआ. पहले इस चरित्र को निभाने के लिए प्रकाश मेहरा ने देवानंद और राजकुमार से संपर्क किया. किन्तु बच्चन के समकालीन शत्रुघ्न सिन्हा के शब्दों में, ‘प्रभु की असीम कृपा या लक फैक्टर‘ अमिताभ के साथ कुछ ज्यादा ही रहा, इसलिए हैरी कालाहन के इन्डियन संस्करण ’विजय’ को परदे पर उतारने का अवसर अमिताभ को मिला और लोगों को पता है, जंजीर ने एक्टर बच्चन के लिए क्या चमत्कार किया. जंजीर की सफलता के बाद अमिताभ बच्चन ने अपनी एक्टिंग में दिलीप कुमार की ‘एक्टिंग स्टाइल’ और लम्बे-पतले क्लिंट ईस्टवुड की ‘ही मैन‘ छवि का इतना शानदार कॉकटेल तैयार किया कि भारतीय फिल्म-प्रेमियों के दिलों पर उनका स्थाई राज हो गया.

तीसरी बात यह कि फिल्मों में खुद तथा अपने परिवार को पूरी तरह रमाने के बावजूद इनमें ‘पे बैक टू द सिनेमा की भावना पैदा न हो सकी, इसलिए वे एक मुकम्मल फ़िल्मकार बनकर फिल्म-वर्ल्ड को ऐसा कुछ न दे सके, जिससे उसकी समृद्धि में कुछ इजाफा होता. फिल्म-दुनिया का इतिहास गवाह है कि सुपर स्टार/एक्टर के रूप में बढ़िया से स्थापित होने के बाद अधिकांश ने ही ऐसी फिल्मों का निर्माण किया जिससे फिल्मोद्योग के मान-सम्मान में भारी इजाफा हुआ.

हिंदी फिल्मों की मशहूर त्रिमूर्ति, राज-दिलीप-देव के साथ गुरुदत्त ने कुछ-कुछ ऐसी चुनिन्दा फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया, जो माइल स्टोन बनीं. इस मामले में राज कपूर और गुरुदत्त तो बेमिसाल रहे. आज राज-दत्त की परम्परा को शानदार तरीके से आगे बढा रहे हैं आमिर खान. इस मामले अमिताभ भारत ही नहीं, दुनिया के दरिद्रतम एक्टरों में से एक हैं. इन्होंने एबीसीएल बैनर तले जिन फिल्मों का निर्माण किया, उनसे बॉलीवुड फिल्मों का सम्मान घटा ही, बढ़ा एक इंच भी नहीं. कमसे कम जिस क्लिंट ईस्ट वुड की ‘ही मैन’ छवि की इन्होने कॉपी कर बहुत कुछ हासिल किया, उनसे तो कुछ प्रेरणा लेनी ही चाहिए थी.

अपने जमाने में पॉपुलरिटी के शिखर को छूने वाले क्लिंट ईस्टवुड एक्टर के रूप में मजबूती से स्थापित होने के बाद फिल्म निर्माण और निर्देशन में कदम रखे और मिलियन डॉलर बेबी सहित कई ऑस्कर विनर फ़िल्में बना कर हालीवुड की इज्जत में इजाफा किया. उन्ही की तरह ‘मैड मैक्स’ सीरिज के एक्शन हीरो मेल गिब्सन ने पैट्रिऑट और पैशन ऑफ़ क्राइस्ट जैसी फिल्मों का निर्माण और निर्देशन कर हालीवुड की बुलंदी में भारी योगदान किया. राज कपूर, गुरुदत, आमिर खान, क्लिंट ईस्ट वुड, मेल गिब्सन जैसे सुपर स्टारों की लम्बी फेहरिस्त है जिन्होंने फिल्मों से नाम यश कमाया तो, कुछ बढ़िया- बढियां फ़िल्में बनाकर अपने-अपने फिल्म वर्ल्ड को धन्य भी किया, नहीं किया तो बच्चन ने. ऐसे में हम अभिताभ बच्चन के 75 साल होने पर दुआ करते हैं कि ‘मुक्कदर का यह सिकंदर’ भी कुछ खास फ़िल्में बनाकर बालीवुड को धन्य करें, ताकि वे सुकून के साथ अपने जीवन के शेष दिन एन्जॉय कर सकें. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो शेष जीवन विवेक दंश की पीड़ा झेलते रहेंगे.

बिग बॉस में जुबैर की वापसी संभव, शर्ते लागू

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मुंबई। बिग बॉस शो से बाहर हुए जुबैर खान का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है. जुबैर का गुस्सा होस्ट सलमान खान पर इस कदर फूटा है कि मीडिया के सामने वे सल्लू के खि‍लाफ कई शॉकिंग बयान देते नजर आ रहे हैं. अब खबर आ रही है कि बिग बॉस में उन्हे फिर से बुलाया जा रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में जुबैर ने कहा है कि अगर बिग बॉस उन्हें वापस बुलाना चाहता है तो उन्हें उनकी एक शर्त माननी होगी. जुबैर ने इंटरव्यू में कहा है कि वे ‘कलर्स के इस ऑफर पर एक ही शर्त पर गौर फरमाएंगें जब सलमान खान खुद उनसे माफी मांगे और स्वीकारे की जो उन्होंने मेरे साथ किया वो गलत था.

आपको बता दें कि सलमान खान ने जुबैर खान को औरतों के साथ बदतमीजी करने के बाद काफी अपशब्द कहा था. जिसके बाद जुबैर की नींद की गोलियां खा लेने की खबर आई थी. बाद में उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा था. जिसके बाद जुबैर ने सलमान को निशाना बनाते हुए कहा था कि सुपरस्टार ने बीईंग ह्यूमन के जरिये अपनी बैड बॉय की इमेज को सुधारने की कोशिश की है. साथ ही उन्होंने सलमान को बॉडीगार्ड के बिना मिलने की चुनौती भी दी थी. जुबैर खान ने सलमान खान के खिलाफ धमकाने की शिकायत थाने में दर्ज कराई थी.

मेट्रो में ऐसे करें सस्ता सफर…

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नई दिल्ली। 10 अक्टूबर को दिल्ली मेट्रो ने किराया बढ़ा दिया. जिसके बाद से दिल्ली की जनता में निराशा पैदा हो गई. लोग मेट्रो के किराया बढ़ोतरी का विरोध भी कर रहे हैं. लेकिन मेट्रो का किराया बढ़ने के बावजूद भी आप सस्ते में सफर कर सकते हैं.

डीएमआरसी ने कहा है कि जो लोग मेट्रो के ‘नॉन पीक आवर्स’ यानि जब भीड़ कम होती है, उस दौरान सफर करते हैं तो उन्हें 20% की छूट मिलेगी. बता दें कि इससे पहले दिल्ली मेट्रो में सिर्फ उन्ही लोगों को किराए में 10 प्रतिशत छूट मिलती थी जो सिर्फ नॉन पीक आवर्स में मेट्रो स्टेशन में एंट्री और एग्जिट करते थे.

गौरतलब है कि ये डिस्काउंट मेट्रो कार्ड से सफर करने पर मिलाने वाले 10% डिस्काउंट के अलावा दिया जाता है. यानि कुल मिलाकर यात्री को 20 प्रतिशत का डिस्काउंट मिल जाता है.

अब, DMRC के ताजा नियमों के हिसाब से 10% का ये ऐक्स्ट्रा डिस्काउंट उन यात्रियों के लिए भी होगा जो ‘नॉन पीक हावर्स’ में मेट्रो स्टेशन पर एंट्री करते हैं लेकिन पीक आवर्स (ज्यादा भीड़ वाले समय) में स्टेशन से बाहर आते हैं. इसके लिए डीएमआरसी ने कम भीड़ वाले तीन टाइम जोन्स भी बनाए हैं.

ये हैं ‘नॉन पीक आवर्स’ पहला टाइम जोन मेट्रो शुरू होने से लेकर सुबह के 8 बजे तक होता है. दूसरा दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे और तीसरा रात 9 बजे से लेकर मेट्रो बंद होने तक रहेगा. हालांकि दिल्ली मेट्रो ने ये साफ कर दिया है कि पीक आवर्स के समय जो यात्री मेट्रो में एंट्री और एग्जिट करते हैं उन्हें ये छूट नहीं मिलेगी. इसके साथ ही भीड़-भाड़ वाले समय एंट्री करके, नॉन पीक आवर्स में एग्जिट करने वाले लोगों को भी ये अतिरिक्त डिस्काउंट नहीं मिल सकेगा.

देश को बोलने वाला नहीं, काम करने वाला प्रधानमंत्री चाहिएः मायावती

Mayawati

लखनऊ। देश को बोलने वाला नहीं बल्कि काम करने वाला प्रधानमंत्री चाहिए. ये कहना है बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती का. उन्होंने आज लखनऊ में भाजपा पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि देश महंगाई, बेरोजगारी और बदतर शिक्षा की समस्या से घिरा हुआ है. लेकिन पीएम मोदी को इस समस्या से कोई सरोकार नहीं है. उन्हें बोलने के सिवाय और कुछ नहीं आता है.

दरअसल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को यूपी की एक सभा में कहा था कि देश को पहली बार बोलने वाला प्रधानमंत्री मिला है. शाह के इस बयान पर मायावती ने मोदी और शाह दोनों को निशाने पर ले लिया.

मायावती ने यूपी की योगी सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के तर्ज पर ही योगी सरकार भी चल रही है. जिसकी कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर है. बद से बदतर हो रही कानून व्यवस्था पर भी मायावती ने योगी सरकार पर जमकर हमला बोला.

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि आज प्रदेश में चारों तरफ अराजकता का माहौल है. समाज में लोगों के बीच दूरियां बढ़ती जा रही है जो देश के लिए चिंता की बात है. बसपा प्रमुख ने केन्द्र सरकार के साथ साथ योगी सरकार पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष की बातों को दबाने और लोगों की आवाज को दरकिनार करने के लिए मोदी सरकार सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर रही है.

दो साल से बहिष्कार का दंश झेल रहे तीन आदिवासी परिवार

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Social boycott

महासमुंद। ग्राम पड़कीपाली के तीन आदिवासी परिवार विगत 2 साल से बहिष्कार का दंश झेल रहे हैं. गांव में उनसे न कोई बात करता है और न ही दुकान से उन्हें सामान मिलता है. यहां तक कि नाई-धोबी के लिए भी दूसरे गांव पर निर्भर होना पड़ रहा है. इससे परेशान पीड़ित परिवारों ने मानवाधिकार आयोग, थाना समेत जिले के आला अधिकारियों से लिखित शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई है.

क्या है मामला पीड़ित शौकीलाल, लखेराम तथा सुकलाल ने शिकायत में बताया कि उसके चाचा भीमसेन से उसका भूमि संबंधित मामला जिला न्यायालय में लंबित है. उसका चाचा केस हार गया था तो उसने ग्राम पड़कीपाली के मुखिया त्रिलोचन, मणिधर व रोहित से मिलीभगत व सांठगांठ करते हुए उनके परिवार को ग्राम से बहिष्कार कर दिया.

नाई-धोबी की भी मनाही शिकायत में पीड़ितों ने बताया कि मुखिया द्वारा किए गए ऐलान के अनुसार आदिवासी परिवार से कोई भी बातचीत नहीं करता और कोई भी रोजी मजदूरी के लिए नहीं बुलाता. उनके घर पर गांव के किसी का भी आना-जाना नहीं है. दुकान वाले उन्हें घरेलू आवश्यकता के सामान नहीं देते हैं.

यहां तक कि नाई-धोबी की भी मनाही कर दी गई है. मुखिया ने यह भी ऐलान किया है कि यदि आदिवासी परिवार से कोई संबंध रखेगा तो उसे पांच हजार रूपए का अर्थदंड दिया जाएगा. यदि कोई व्यक्ति उन परिवार से बातचीत करते हुए किसी को देख लेता और उसकी सूचना देता है तो उसे एक हजार रूपए इनाम देने की भी घोषणा की गई है.

पीड़ित आदिवासियों ने बताया कि मुखिया द्वारा किए गए उक्त ऐलान के बाद उनका गांव में जीना मुश्किल हो गया है. गांव समाज में होते हुए भी एकाकी जीवन जीने के लिए मजबूर हो गए हैं.

नाई की व्यवस्था के लिए उन्हें 3 किलोमीटर दूर के गांव डोंगरीपाली और धोबी की व्यवस्था के लिए गांव रिखादादर व घरेलू आवश्यक सामानों के लिए उन्हें दूर के गांवों में जाना पड़ रहा है. पीड़ित आदिवासियों ने शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार लगाते हुए प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ में कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.

सांकरा के थाना प्रभारी कोमल नेताम ने कहा कि शिकायत पर मामले की विवेचना की जा रही है. दो भाइयों के बीच जमीन विवाद चल रहा है. गांव में किसी तरह के बहिष्कार की पुष्टि नहीं हुई.

नई दुनिया से साभार