सच्ची घटना है। एक गांव में मुझे बचपन का परिचित मिल गया। परदेस में वह ठीक ठाक कमा लेता था लेकिन गांव में मुफ्त की सरकारी सुविधाओं का सुनकर गांव आ गया। बीपीएल में नाम लिखवा दिया। फिर क्या था, उसके तो सपने साकार होने लगे। घर की छत सरकार ने बनवा दी। दो रूपये किलो आटा चावल से वह धन्य होने लगा। राशन की सस्ती चीनी उसे गुड़ से भी मीठी लगने लगी। राशनकार्ड मानो अलादीन का चिराग हो गया। सब कुछ फोकट में या सस्ता। ऊपर से बुढे माता पिता की पेंशन।
अब कमाने की कसरत क्यूं करे। गांव के खूंटे में वह राजी राजी बंध गया। कभी कभार छुट्टा काम कर लेता था वरना सारे दिन गांव की चौपाल पर गप्पें। उसके जैसे ही चार पांच मिलकर रोज इंटरनेशनल कॉन्फ्रेस करने लगे। शाम होते ही देशी ठर्रे की महफिल जम जाती। परिवार में क्लेश बढ गये। बच्चों की पढाई लिखाई का कोई अता पता नहीं।
मैंने उसे कहा, भाई! सारे दिन चौपाल पर बैठकर गप्पे मारते हो। यहां फ्रूट्स की एक लॉरी क्यों नहीं खड़ी कर देते? अच्छी कमाई होगी।
वह एक धुरंधर अर्थशास्त्री की तरह मुझे ढंग से समझाते हुए बोला,डॉक्टर साहब।।! यदि मैं फ्रूट्स की लॉरी लगाऊंगा तो मेरी इनकम बढ जाएगी। गांव में पता चल जाएगा और ये मनुवादी मेरा नाम बीपीएल से काट देंगे। मुझे वापस शहर जाना पड़ेगा।
आज हर गांव में मुफ्त की सरकारी सुविधाओं के अंधे मोह में फंसकर कई हुनरमंद बहुजन जीवन बर्बाद कर रहे हैं। बीपीएल, राशनकार्ड, सब्सिडी, सस्ती चीनी, चावल के लोभ में खुद के बाद बच्चों का भी भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। राशनकार्ड बनवाने व बीपीएल में नाम जुड़वाने के लिए ही जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं।
हमारे आसपास पशुपालन, खेती, किराणा, गारमेंट्स, शूज ,स्टेशनरी, कॉस्मेटिक्स, फल सब्जी आदि कई तरह के बिजनेस खूब बिखरे पड़े है जरूरत साहस व समझ की हैं। गरीब रहकर जीवन गुजारना कोई आदर्श नहीं है। बदहाली व गरीबी से निजात पाना जरूरी हैं।
अब बहाना नहीं चलेगा, हर ओर ऑनलाइन बिजनेस हो रहा हैं। बुद्धिमानी व हुनरमंद लोग सिर्फ काजू बादाम या गोल्ड ज्वैलरी के ही बिजनेस नहीं करते है बल्कि गोबर के उपलें भी ऑनलाइन बेचकर लाखों कमा लेते हैं और हम छोटी सी सरकारी नौकरी के लिए माता पिता को धोखे में रख कई साल कोचिंग करते रहते हैं।
आप सभी में भी अपार प्रतिभा है।सरकारी नौकरी के अलावा भी कई अच्छे विकल्प है। अपनी क्षमता को पहचानो। जागो !समय किसी का इंतजार नहीं करता। हुनर आजमाओ, मेहनत करो। धनवान बनो। नशा छोड़ो और जीवन मोड़ो।
सबका मंगल हो।।।।। सभी प्राणी सुखी हो
इस आलेख के लेखक डॉ. एम एल परिहार, जयपुर हैं। डॉ. परिहार बहुजन आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बुद्धम पब्लिकेशन के नाम से प्रकाशन के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। उनसे संपर्क- 9414242059 पर किया जा सकता है।

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