14 हजार आदिवासी लड़कियों ने पढाई छोड़ कर रही हैं झाड़ू-पोछा

रायपुर। सर्व शिक्षा अभियान और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की सफलता हम आए दिन सरकार से सुनते रहते हैं. लेकिन सिर्फ सरकार के बयानों और दस्तावेजों में है. वास्तविक रूप ये योजना विफल है. इसकी विफलता का सबूत छत्तीसगढ़ के बस्तर से आया है.

बस्तर छत्तीसगढ़ का आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. यहां चौदह हजार से ज्यादा लड़कियां बीच में ही पढ़ाई छोड़ चुकी हैं. जिले में ग्याहर से अठारह साल आयु वर्ग की बालिकाओं में अधिकांश ने प्राइमरी और मिडिल स्कूल स्तर में जाकर बीच में ही पढ़ाई छोड़ी है. वहीं, शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी महिला बाल विकास विभाग की रिपोर्ट मानने को तैयार नहीं है.

जानकारी के मुताबिक, यह संख्या और अधिक हो सकती है क्योंकि इसमें छह से ग्यारह साल आयु वर्ग लड़कियों को शामिल नहीं किया गया है. महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सबला योजना के तहत हर साल स्कूल जाने वाली और स्कल छोड़ने वाली बालिकाओं की सूची तैयार की जाती है. ये आंकड़े इस साल तैयार में दर्शाएं गए हैं.

हाल में जिले के प्रभारी मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे ने यहां कलेक्टोरेट में ली गई विभागीय समीक्षा बैठक में आईसीडीएस द्वारा दी गई जानकारी में स्कूल छोड़ी बालिकाओं की संख्या 13 हजार 963 बताई गई है. इनमें 4467 बालिकाएं 11 से 14 साल और 9496 बालिकाएं 14 से 18 साल आयु वर्ग की बताई जाती हैं.

11 से 18 साल आयु वर्ग में जगदलपुर ब्लाक में 2259, बस्तर में 2134, बकावंड में 2665, बास्तानार 1675, दरभा 2481, तोकापाल 999 और लोहंडीगुड़ा में 1749 लड़कियां स्कल छोड़ चुकी हैं. वहीं, 100 से 200 के बीच ऐसी भी कन्याएं हैं, जिन्होंने हाईस्कूल में दाखिला तो लेकर पढ़ाई अधूरी छोड़ दी.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.