बाप-बेटे के बीच झगड़ा नहीं रगड़ा हो रहा है जो चुनाव से ऐन पहले सुलझ जाएगा

2225

समाजवादी पार्टी का झगड़ा जिसे मैं रगड़ा कह रहा हूं, लखनऊ से दिल्ली पहुंच गया है. दिल्ली में चुनाव आयोग से मिलने के बाद मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अखिलेश मेरा बेटा है उससे मतभेद दूर कर लेंगे. असल में मुलायम सिंह ने बाप-बेटे के रिश्ते की दुहाई देकर जो विश्वास जताया है वह विश्वास कभी टूटा ही नहीं था. आप पिछले तकरीबन तीन महीने जबसे समाजवादी पार्टी के परिवार का झगड़ा चल रहा है, कि मीडिया रिपोर्ट पर ध्यान दीजिए. इस बीच कभी भी न तो समाजवादी पार्टी के गुंडई की बात हुई न ही भ्रष्टाचार की, और न ही परिवारवाद की. बस बाप-बेटे और परिवार के बीच इमोशन झगड़े की चर्चा ही होती रही.

इस बीच चुनाव की तारीख घोषित होने तक यह ड्रामारूपी झगड़ा अपने चरम पर पहुंच गया. जब आर-पार की तयशुदा लड़ाई सामने आई तो एक चीज चौंकाने वाली यह थी कि 80 फीसदी लोग अखिलेश यादव के साथ खड़े नजर आए, जबकि जिस मुलायम सिंह ने इस पार्टी की नींव रखी और उसे अपने खून-पसीने से सींचा उनके साथ बस गिने-चुने लोग ही नजर आए. एक और बात ध्यान खिंचने वाली रही. युवा नेता अखिलेश यादव के पक्ष में खड़े युवा नेता तो समझ में आते हैं लेकिन जब रेवती रमन सरीखे दर्जन भर पुराने नेता मुलायम सिंह को छोड़कर अखिलेश के पीछे चलते दिखते हैं तो यह बात समझ से परे है, क्योंकि ये वो लोग हैं, जिसे मुलायम सिंह ने आम ‘इंसान’ से ‘नेता’ बनाया.  और ऐसे में जब मुलायम सिंह यादव पिता-पुत्र प्रेम और बेटे को समझा लेने की बात करते हैं तो सारा परिदृश्य साफ हो जाता है. यह साफ हो जाता है कि पटकथा रची हुई है जिसके पटाक्षेप का वक्त आ गया है.

यूपी चुनाव को लेकर एक और बात साफ है. इस चुनाव में बसपा को छोड़ कर अभी तक किसी के पास चुनाव का कोई मुद्दा नहीं है. सपा इन पांच सालों में अपने ”लोगों” को फायदा पहुंचाने और गुंडागर्दी के अलावा कुछ नहीं किया. जबकि भाजपा के पास यूपी चुनाव के लिए न तो कोई चाल है, न चरित्र, न  कोई चेहरा और न ही कोई मुद्दा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.