जी 20 की अध्यक्षता करने की बारी इस बार भारत को मिली है। 20 देशों के इस समूह में भारत भी एक है लेकिन डंका ऐसा पीटा जा रहा कि न तो भूतकाल में कभी ऐसा हुआ और न ही कभी भविष्य में होने वाला होगा। कहा जा रहा है कि यह सब मोदी जी के प्रताप से हो रहा है। मीडिया में खूब जगह मिल रही है और प्रचार-प्रसार में अभी से खर्च बढ़ गया है। मिलेगा क्या, जानना मुश्किल नहीं है। जितना स्थान मीडिया और भाषणों में जी 20 की मेजबानी के लिए मिल रहा है उतना किसान, मजदूर और भ्रष्टाचार पर रोक आदि समस्याओं को मिलता तो हम कहां से कहां पहुंचते? किसान के जो आलू और टमाटर कौड़ियों के भाव बिक रहे हैं , मीडिया ऐसे मुद्दे को जगह दे तो उपभोक्ता को भी लाभ और किसान का तो होगा ही। अधिकारी काम नहीं करते और रिश्वत लेते हों परंतु ऐसी बातों के लिए कहां जगह है? युवाओं को रोजगार नहीं है और महंगाई आसमान पर , ऐसी समस्याओं की बात नदारद है। जी 20 की अध्यक्षता मिली देश के लिए गर्व की बात है। वैसे 19 और देश हैं जिन्हे ऐसा अवसर मिला या मिलेगा। इस मेजबानी का लाभ उठाया जा सकता है अगर कतर जैसे कट्टर देश से भी सीख लें। भले ही फीफा और जी 20 के उद्देश्य अलग हों लेकिन निवेश और पर्यटन दोनों इनसे प्रभावित होते हैं।जी 20 मेजबानी में अभी देना पड़ रहा है और आते-आते इतना खर्च हो जायेगा कि लेने के देने न पड़ जाएं। झुग्गियों और गरीब बस्तियों को ढकने में तमाम धन व्यर्थ होने लगा है। शहर सजाएं जाने लगे हैं और ये पैसे किसी और काम आते। चीन के राष्ट्रपति गुजरात में आए तो शोर मचा कि 500 बिलियन डॉलर निवेश होगा, हुआ कितना अंदाज ही लगाना ठीक होगा। वाइब्रेंट गुजरात महोत्सव होता रहता है लेकिन अर्थव्यवस्था की हालत खराब होती गई। कुछ बड़े शहरों में चमक दिखती है जो पहले से अच्छे रहे हैं बल्कि देखा जाए तो उनको और आगे होना चाहिए लेकिन ग्रामीणों की हालात बहुत ही खराब है। अतीत के ऐसे सारे कार्यक्रमों को देखते हुए हम कह सकते हैं कि फायदा किसी का होगा तो ज़रूर लेकिन न देश की अर्थव्यवस्था का और न ही जनता का। लेने के देने ही पड़ेंगें जैसे पहले होता रहा है।
एक साधारण सा आयोजन जो इंडोनेशिया जैसे देश ने हाल में किया। इंडोनेशिया की मेजबानी की तैयारी के बारे में तमाम जानकारी इकट्ठा किया तो पता लगा कि उसने इसे इवेंट नहीं बनाया।यहां तो अभी से अनहोनी को होनी की तरह पेश किया जाने लगा है। किसी को कुछ प्राप्ति हो या न लेकिन मोदी जी का नाम चारो तरफ़ ज़रूर चमकेगा। मीडिया तो ऐसा पेश करेगी कि अब तो तमाम समस्याओं का समाधान हो ही जाने वाला है। काश! जी 20 सम्मेलन इवेंट न बने यही देश के भले में होगा।

डॉ. उदित राज, पूर्व सांसद (लोकसभा) के साथ कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस (केकेसी) एवं अनुसूचित जाति/जन जाति संगठनों अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय चेयरमैन हैं।

