लखनऊ। यूपी चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने किसानों को लुभाने के लिए उनका कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन कुछ इलाकों से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें कर्ज-माफी और किसानों का मजाक बनाया जा रहा है. बहुमत की सरकार बनने के बाद सीएम योगी ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में छोटे किसानों के कर्ज को माफ करने की घोषणा की थी. योगी ने 1 लाख रुपए तक के कर्ज को माफ करने का आदेश भी जारी किया था. लेकिन कर्ज-माफी के नाम पर यूपी के तमाम किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. प्रदेश के अलग-अलग जिलों में कर्ज-माफी के नाम पर किसी का 10 रुपए कर्ज माफ हुआ तो किसी का 20, 30, 50, 100 या 200 रुपए.
ऐसा मामला बलरामपुर, लखीमपुर खीरी, हमीरपुर, अंबेडकर नगर, कानपुर देहात समेत अन्य कई जिलों में भी सामने आया है. कड़ी धूप में घंटों इंतजार के बाद जब किसानों को ऋणमाफी प्रमाणपत्र मिले तो उनके चेहरे की हताशा नजर आने लगे. किसान सरकार के इस मजाक से गुस्से में थे. तो वहीं इस कागजी कर्जमाफी पर आला अफसरों ने चुप्पी साध रखी है. प्रभारी मंत्री भी अन्नदाताओं के साथ हुए इस मजाक का संतोषजनक उत्तर नहीं दे पा रहे हैं.
यह पहला मौका नहीं है जब किसानों के साथ इस तरह का मजाक किया गया हो. इससे पहले अखिलेश सरकार में भी राहत के रूप में किसानों को 23 और 28 रुपए के चेक देने का मामला सामने आया था. किसानों को बीजेपी सरकार में राहत की उम्मीद थी, लेकिन ये सरकार भी पिछली सरकारों जैसा ही कर रही है. दोनों सरकार में कोई अंतर नहीं है.”

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