दुबई (यु. ए. इ.) यात्रा : एक अनुभव

दुबई में रह रहे बहुजन भारतियों नें पहली बार सत्तरवें गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक प्रोग्राम का आयोजन किया जिसका विषय था –“भारतीय संविधान और प्रजातंत्र”. 25 जनवरी 2019 को कार्यक्रम आयोजित था. मेरे अलावें डॉ मुन्नी भारती, भू-वैज्ञानिक सरविंद जी और सेल जी एम महेश कुमार राजन जी भी आमंत्रित थे. इस प्रकार हम चार लोगों की टीम 22 जनवरी को 10 बजे रात्रि में दुबई शहर पहुँच गए. दिल्ली एयरपोर्ट पर वापसी 27 जनवरी को हुआ. हम लोगों नें दुबई और शारजाह के प्रमुख स्थानों में तीन दिन भ्रमण किया. इस दौरान जो मैंने दुबई के संबंध में अनुभव किया उसे पन्नो पर उतारने से मैं अपने आप को नहीं रोक पाया क्योंकि दुबई ने मुझे बेहद प्रभावित और प्रेरित किया है.

बेशक, भारत में स्वच्छता अभियान चल रहा है परंतु असर दुबई में दिखाई दे रहा है. यहां कोई स्वच्छता अभियान जैसी हरकत नहीं है फिर भी दुबई दुनियां का सबसे स्वच्छतम सिटी है. दुबई मॉल दुनियां का सबसे बड़ा मॉल और बुर्ज़ खलीफा दुनियां का सबसे ऊँचा उर्ध्व सिटी (verticle city) है जिसकी ऊँचाई 828 मीटर है जिसमें 165 मंजिलें है. इसमें लगी लिफ्ट कमाल की है, यह एक सेकेण्ड से भी कम समय में प्रति मंजिल चलती है. यहाँ दिन भर वैसे भीड़-भाड़ रहती है जैसे कलकते में स्प्लेनेड और दिल्ली में कनॉट पलेश में. शाम के समय बुर्ज़ खलीफा की बहुरंगी रोशनियों की आतिशबाजी देखती ही बनती है. साथ में उसके नीचे म्यूजिकल दुबई फाउन्टेन का नज़ारा मन मोह लेता है. दुबई बुर्ज़ अल अरब दुनियां का एकमात्र सेवेन स्टार होटल है जो समुद्र में खड़ा है.

दुबई के सड़क या फर्श पर कागज़ का एक टुकड़ा भी नहीं दिखाई देता. कोई सड़क पर या कोने में थूकता नहीं. सभी नियत स्थान पर रखे डस्टबिन में ही कचरा डालते है. वहाँ के लोगों में स्वच्छता की स्वाभाविक समझ है. जब मन स्वच्छ होता है तब ही वातावरण स्वच्छ रखने की संकल्प जगती है. ये संकल्प दुबई वासियों में कूट-कूट कर भरी हुई है.
यहां लोगों में नागरिक विवेक (Civics sence) इतना है कि कोई चालक हॉर्न बजा कर साइड नहीं लेता, वहाँ दिन में भी हॉर्न बजाना अगले को अपमान माना जाता है. अगर आप सड़क पार कर रहे है तो चालक कुछ दुरी पर ही कार रोक देता है ताकि आप सुरक्षित सड़क पार कर सकें. हमारे यहाँ तो ठोक ही देगा, ऊपर से गाली भी देगा. दुबई में प्रत्येक चीजें निर्धारित समय, नियम, प्रावधान औऱ कानून के अनुसार होता है. सभी लोग कानून का पूरा-पूरा सम्मान करते हैं. जिस बस्तु का जितना कीमत है, उसका उतना ही कीमत वसूला जाता है. ईमानदारी इतनी है कि यदि आपका कोई समान गिर गया है तो जब भी आपको याद आये आप वहाँ आ कर ले सकते है. आपका गिरा समान कोई नहीं उठाएगा. काश ऐसा भारत में होता!

दुबई में कांस्टीट्यूशनल मोनार्की है जो यूनाईटेड अरब अमीरात (UAE) का एक अंग है. दुबई के अलावें अबू धाबी, शारजाह, रस अल खेम, अजमान, उम अल कुवैन और फुजराह यु. ए. इ. के अंग हैं. यु. ए. इ. 83,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है जिसमें दुबई का क्षेत्रफल 4,14l वर्ग किलो मीटर है. अरेबिक और अंग्रेजी यहाँ की मुख्य भाषा है. यहाँ की जनसंख्या लगभग ढाई करोड़ है. दुबई एक मुस्लिम देश है फिर भी कोई भेद-भाव नहीं देखने को मिलता. सभी धर्म के लोगों को उनके धर्म के अनुसार रहने की छूट है. सभी जाति, धर्म वर्ग के लोगों में परस्पर मैत्री भावना है. यहां के शासक हिज हाईनेस शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकदूम हैं. वे बड़े ही दूरदर्शी (Visionary) हुक्मरान है. ये दुबई में वह संभव कर चुके हैं जो दुनियां अभी सोच रही है. इनका कहना है-“कुछ भी असंभव नहीं है, सर्वश्रेष्ठ से कुछ भी कम नहीं.“ इनका स्लोगन है- In Dubai we do not wait things to happen, We make them happen. इतना ही नहीं, इनका संकल्प है- ये जो करेंगे वह दुनियां में एकलौता होगा या नम्बर एक होगा (either only one or number one)”. इसके लिए ये दुनियां के सभी देशों से चुन-चुन कर सर्व श्रेष्ठ विशेषज्ञों को बुलाते हैं, उनके साथ मीटिंग करते हैं और फिर कार्य रूप देने में लग जाते हैं. नई नई तकनीकों के ईजाद और उत्पादकता के बढोतरी की इन्हे सनक है जिससे दुबई की अर्थव्यवस्था दुनियां की सर्वश्रेष्ठ और सिटी हाई टेक हो गई है. इनके इस सोच से वहां की जनता शांति और खुशहाली से रहती है. दस साल आगे का प्लान करते हैं ; सिर्फ योजना ही नहीं बनाते, उस पर अमल भी करते हैं. यहाँ सिर्फ जनता के विकास के लिए काम होता है. इन्होंने रेगिस्तान में जो हाईटेक,आधुनातम, अनुशासित और मनमोहक शहर विकसित किया है उसका विश्व में कोई जोड़ नहीं. हर कुछ अव्वल है, देखने के बाद मन बोलता है आह!

दुबई में 20% स्थानीय और 80% बाहरी लोग है. आमदनी का 1 % प्रतिशत पेट्रोलियम पदार्थ और 80 % बिजिनेज़, टूरिज्म, रियल स्टेट, मनोरंजन, फ़ूड प्रोसेसिंग, कपड़ा उद्योग, अल्युमिनियम उत्पादन, गोल्ड बिजिनेस आदि है . तेल उत्पाद का मुख्य केंद्र अबूधाबी है. दुबई विश्व बिजिनेश हब है. यहां कॉरपोरेट वर्ल्ड बेहिचक बिजिनेज़ स्थापित करते है. यहां आतंकवाद नाम की कोई चीज़ नहीं है, परम् शांति और सुरक्षा का माहौल है. यहाँ सभी लोग सुरक्षित और सुखी हैं. यहाँ मजदूरों की मासिक आमदनी 12,000 से 20,000 भारतीय मुद्रा है जबकि टैक्सी चालक एक लाख भारतीय मुद्रा कमाता है. ये सब यहां के शासक के विजनरी सोच का प्रतिफल है. यदि भारतीय शासक वर्ग में ये सोच आ जाये तो क्या कहना! भारत फिर से सोने की चिड़िया वाला देश बन जाएगा . मैंने यहाँ कहीं कोई भीखारी नहीं देखा. सड़कों पर रिक्शा, ऑटो, सायकल और मोटरसायकल नहीं देखा. हां, शाम के वक़्त बुर्ज़ खलीफा के नीचे दुबई फाउन्टेन के पास महँगी-महँगी कुछ बाईक ज़रूर दिखाई पड़े. सभी लोगों के पास महँगी महँगी चार पहिये निजी वाहन है. एयर कंडीशन्स बेहतरीन टैक्सी और लोकल बसें भी वहां की 16 लेन की सड़कों पर खूब दौड़ती है. भारत में सड़कों से सटे किनारे पर चाय, पकौड़ी, अंडा, इडली आदि के ठेले पग-पग पर दिखाई देते हैं ; इसके अलावें छोटे-छोटे गंदे होटल्स भी देखने को मिल जायेंगे, परन्तु दुबई के सड़कों पर ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते, कोई ऐसा करने के लिए सोच भी नहीं सकता. सभी चीजें सड़क के किनारे बने बड़े-बड़े विश्व प्रसिद्द माँल में ही मिलेंगे.

दुबई रेगिस्तान की बालू और समुन्द्र में बसाया हुआ दुनियां का अल्ट्रा मॉडर्न और हाई टेक सिटी है. यह सब कुछ पूर्व योजना बद्ध विधि से बसा हुआ शहर है. सच कहें तो कहना पड़ेगा दुबई में रेत में हीरा उगता है. यहां पर प्रत्येक स्थान पर भारतीय छाए हुए हैं. बड़े-बड़े रेस्टूरेंट के मालिक भारतीय ही हैं. इसके अलावे ट्रेंडिंग, इंजियरिंग, मेडिकल, आयल कॉर्पोरेशन, एजुकेशन आदि में अपनी पहचान बनाए हुए है. ड्राईवर और लेबर भी अधिकांशतः इंडियन हैं. सारे इंडियन्स दुबई के अनुशासन में ढले हुए है. लेबर से ले कर अफसर तक अपना-अपना काम सही समय पर शुरू करते है और ईमानदारी पूर्वक करते हैं. कोई किसी को ठगने की सोचता भी नहीं. इस्लामिक देश है किन्तु मस्जिद खास-खास जगहों पर ही निर्मित है जहाँ पर कोई सभ्य कपड़ों में ही जा सकता है. यहाँ सभी धर्मों का सम्मान है. सभी अपने-अपने धर्म के अनुसार रहने के लिए स्वतंत्र हैं. किन्तु भारत में! यहाँ गली, कुचे, चौक, चौराहे पर बजरंग बली और शिव जी का मंदिर मिल जायेगा जो श्रद्धा के केंद्र से ज्यादा ब्राह्मण पुजारियों के पेट भराई का साधन ज्यादा है. हिन्दुओ को मुस्लिमों की देश के प्रति वफादारी पर सदैव सन्देश होता है जिससे भारत में सांप्रदायिक माहौल सदा ही बिगड़ा रहता है.

दुबई में कार्यरत पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, इंडियन्स सभी परस्पर मैत्री-भाव का व्यवहार करते हैं. सिक्युरिटी ईमानदारी पूर्वक और भय, पक्षपात रहित हो कर अपना काम करता है. किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर दो मिनिट में पुलिस घटनास्थल पर पहुंचती है और पीड़ित को मदद करती है. दोषी को फाइन लगता है. चाहे कोई भी हो, कानून अपना निर्बाध काम करता है. भारत मे तो दबंग और भीड़ पुलिस को ही क़त्ल कर देते है. भारत मे लगता है कानून के रखवाले की ही सुरक्षा की गारंटी नहीं है अथवा कानून का रखवाला ही कानून तोड़ता है. परन्तु दुबई में क्या कहना! किसी की हिम्मत नहीं कि कानून को कोई ठेंगा दिखाए चाहे वह कोई भी हस्ती हो.

यहाँ के शासक के शासन में प्रत्येक जनता सुख शांति और सुरक्षा का अनुभव करता है. शासन, प्रशासन, कानून व्यवस्था बिल्कुल चुस्त-दुरुस्त है. कोई लड़की किसी भी समय रात हो या दिन, अकेले सड़क पर चल सकती है, उसके तरफ बुरी निगाह से कोई देख नहीं सकता. एक फोन पर तत्काल पुलिस सहायता उपलब्ध हो जाती है. भारत में साधारण नेता अथवा नेता का कार्यकर्ता शासक के रोब में रहता है तथा दबंगई कर कानून को प्रभावित करता है और बॉडीगार्ड रखना सम्मान का प्रतीक मानता है. भारत में नेताओं की सुरक्षा पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है. परंतु दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद बिना सुरक्षा के सड़क पर चलते हैं और सड़क पार करते समय सड़क पर खड़ा हो कर ट्रैफिक सिग्नल ग्रीन होने का इंतज़ार करते हैं, इसे कहते हैं कानून का सम्मान. आम लोग निर्धारित गतिसीमा में वाहन चलाते हैं. अधिक गति में चलने पर रोड़ पर लगी सेंसर और कार में लगी एलोट्रॉनिक डिवाइस के जरिये स्वतः फाइन बैंक एकाउंट से कट जाता है. इसी प्रकार टोल गेट से पार करते हुए स्वतः निर्धारित चार्ज वाहन में लगी प्रीपेड सिम से कट जाता है. भारत में प्रायः दबंग लोग टोल का गेट तोड़ते हुए पार होते देखे जाते हैं.

दुबई में काफी संख्या में आम्बेडकरवादी लोग हैं. ये बड़े ही धूमधाम से डॉ आम्बेडकर की जयंती बड़े पैमाने पर मानते हैं. यहाँ इनकी एक आम्बेकेराईट इंटरनेशनल मिशन (AIM) नमक संस्था है. हमें AIM द्वारा ही आमंत्रित किया गया था. पुणे, महाराष्ट्र के एक बड़े बिजिनेस मैन मान्यवर भगवान गवई बड़े ही उद्धम शील और मिशनरी व्यक्ति हैं, ये AIM के संरक्षक हैं. हम सभी उन्हीं के मकान में ठहरे थे. उनकी आतिथ्य को सिर्फ अनुभूत किया जा सकता है, वर्णन नहीं.

संजय काम्बले (महाराष्ट्र) और संजय राज (झारखण्ड) वहां सक्रीय मिशनरी भूमिका में रहते है. मेरा यह ख्याल था की भारत से सभी जाति-धर्म के लोग विदेशों में जा कर भेद-भाव और संकीर्णता से ऊपर उठ कर सामाजिक और मानसिक रूप से अपने में बहुत कुछ बदलाव ले लातें हैं, परन्तु यह सत्य नहीं है. सभी लोग बदल सकते हैं किन्तु ब्राह्मण अपनी जातिवादी सोच में कभी बदलाव नहीं ला सकता. वह जहाँ-जहाँ जायेगा जात्तिवाद का ज़हर ले कर ही जायेगा. हुआ यह कि रिपब्लिक डे कार्यक्रम के लिए AIM के सदस्यों नें एक रेस्टुरेंट बुक किया था जिसका मालिक ब्राह्मण था. परन्तु जैसे ही रेस्टुरेंट के ब्राह्मण मालिक को यह पता चला की डॉ. आम्बेडकर के कार्यक्रम के लिए रेस्टुरेंट बुक किया गया है, उसने बुकिंग कैंसिल कर दी. तब जा कर संस्था को दूसरा रेस्टुरेंट बुक करना पड़ा जिसका मालिक केरल का एक मुसलमान था ; संयोग वश यह रेस्टुरेंट पहले वाला से बेहतर था. रेस्टुरेंट का नाम केरल के एक गावं के नाम पर है-‘थैलेसरी रेस्टुरेंट’l कार्यक्रम के दिन जब मेरा भाषण खत्म हुआ तो रेस्टुरेंट का मैनेजर, जो मुस्लिम था, ने मुझसे आ कर हाथ मिलते हुए कहा की “आपने क्या शानदार बोला! हमारे देश का संविधान सबसे अच्छा है.” वह पुरे कार्यक्रम को देखा और सुना था. भारत में संघवादी यह भ्रम फैलाते हैं की मुस्लिम हिन्दुओं का दुश्मन है और दलित हिन्दू का अभिन्न अंग हैं: जबकि उक्त घटना यह सिद्ध करती है की दलित हिन्दू नहीं है और हमारा दुश्मन मुस्लिम नहीं, बल्कि मनु के वंशज हैं.

दुबई में हेल्थ हाइजीन का काफी ख्याल रखा जाता है. यहां प्रत्येक होटल के वेटर, कुक का प्रशिक्षण होता है जो होटल की स्वक्षता के महत्व को समझे. भारत में ग्राहकों का तो मक्खियों से स्वागत होता है. दुबई में अगर आप कार गन्दा कर के रखें है तो आपको फाईन देने पड़ेंगे. कार भी धुलवाना है तो प्रशिक्षित कार वाशर बॉय से. फ़्लैट के बहार निर्धारित मार्किंग के अन्दर कार पार्किंग करने होते हैं. इधर-उधर कार खड़ा करने पर फाईन देना पड़ेगा.

यदि भारत में भी कानून व्यवस्था का निष्पक्ष पालन हो, शाहक वर्ग ईमानदार हो और समाज में परस्पर मैत्री भावना और समानता हो तो भारत दुबई से भी बेहतर बन सकता है.

*भवतु सब्ब मंगलम *

डॉ विजय कुमार त्रिशरण

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