जीनोम सीक्वेसिंग को लेकर राष्ट्रीय टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. शाहिद जमील ने अपनी जिम्मेदारियों से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि इसके पीछे के कारण अब तक सामने नहीं आए हैं, लेकिन सोशल मीडिया से लेकर स्वास्थ्य और राजनीति के क्षेत्र में काफी विवाद शुरू हो चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कोरोना वायरस की जीनोम सीक्वेसिंग को लेकर डॉ. जमील संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने इस बारे में कई बार सलाह भी दी लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। इसके अलावा उन्होंने जीनोम सीक्वेसिंग को लेकर सरकार की नीतियों पर भी नाराजगी व्यक्त की थी।
केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष जीनोमिक्स कंसोर्टिया के वैज्ञानिक सलाहकार समूह (इनसाकाँग) का गठन करके उसे 10 प्रयोगशालाएं सौंप दी ताकि कोरोना के वेरियेंट्स पर विस्तृत और सटीक अध्ययन किया जा सके। इसे लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, देश के सर्वोत्तम विषाणु वैज्ञानिक डॉ. शाहिद जमील का इस्तीफा वाकई दुखद है। मोदी सरकार में वैसे प्रोफेशनल्स की कोई जगह नहीं है जो बिना डर या पक्षपात के बेबाक राय रखते हैं। हालांकि एक सच यह भी है कि कोरोना को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की सरकार अब तक 15 राष्ट्रीय स्तर की टीम गठित कर चुकी है, जिनमें सबसे पहले अप्रैल 2020 में डॉ. गगनदीप कंग का इस्तीफा हुआ था। इससे पहले मणिपाल इस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी के प्रो. अरुण कुमार ने भी इस्तीफा दिया है। और अब राष्ट्रीय टॉस्क फोर्स के अध्यक्ष ड. शाहिद जमील ने अपना इस्तीफा दे दिया है।
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