
शब्द
किस तरह होते हैं
अर्थ परिवर्तन का
शिकार?
अतीत से वर्तमान तक
इसके अनेक उदाहरण हैं
जैसे दस्यु और दास
जो आदिकाल में
दो जातियां थी
कालान्तर में उसका अर्थ
लुटेरे और गुलाम
हो गया।
इसी प्रकार
पिछले कुछ वर्षों में
विकास का भी अर्थ
बदला है।
विकास अब पर्याय
हो गया है
मुस्लिम और दलितों में
भय और उत्पीड़न का।
क्योंकि
पिछले कुछ वर्षों में
विकास हुआ है
संघ की शाखाओं का
साधुओं का
जो व्यापारी से राजा तक
हो गए हैं।
हिन्दू और मुस्लिम वैमनस्य का,
असहमत बुद्धिजीवियों की
हत्याओं का!
भूख, बेरोजगारी और मंहगाई का
उधोग तथा व्यापार के विनाश का
जुमलेबाजी का
झूठ और फरेब का।
इसलिए
इन दिनों
भारत में विकास
सचमुच
पागल हो गया है
उसने
आधार के नाम पर
छीन लिया है
निवाला
गरीबों के मुख से
किसानों को
कर दिया गया है
मजबूर
ख़ुदकुशी के लिए!
अभी से यह कहना तो
कठिन है कि यह विकास
आखिर जाएगा कहाँ तक
लेकिन इतना तय है कि
जिसका वर्तमान ठीक नहीं
उसका भविष्य भी
ठीक नहीं होता!
इसलिए भविष्य के लिए
नहीं दी जा सकती
बलि वर्तमान की।
डॉ. एन. सिंह
सहारनपुर, यूपी
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