पथानामथिट्टा। केरल में पहले दलित पुजारी की नियुक्ति हुई है. नियुक्ति के बाद 9 अक्टूबर को पहली बार केरल के किसी मंदिर का दरवाजा एक दलित पुजारी ने खोला. इस मंदिर का नाम है मनप्पुरम भगवान शिव मंदिर. यह केरल के तिरुवल्ला में स्थित है. पुलाया समुदाय के 22 वर्षीय कृष्णन एक दलित हैं.
कृष्णन के पिता पीके रवि और मां लीला इस अनूठी उपलब्धि से उत्साहित हैं. युवक ने तंत्र शास्त्र में दस साल का प्रशिक्षण हासिल किया. त्रावनकोर देवस्वम बोर्ड ने हाल ही में 36 गैर ब्राह्माणों को विभिन्न मंदिरों के कामकाज के लिए चयनित किया गया था. इनमें कृष्णन समेत छह दलित युवक भी शामिल थे.
कृष्णन उन छह दलित पुजारी में से एक हैं जिन्हें तिरुवनंतपुरम के प्रसिद्ध त्रावणकोर देवस्वम मंदिर बोर्ड ने अलग-अलग मंदिरों में पुजारी के तौर पर नियुक्त किया है. यह पहली बार है कि जब केरल के मंदिर में दलित और पिछड़े वर्ग के पुजारियों को मौका दिया गया है और आरक्षण प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है.
कृष्णा ने बताया कि वह पिछले पांच सालों से एर्नाकुलम जिले के वलियाकुलंगारा देवी मंदिर के पुजारी रहे हैं और उन्हें किसी तरह के भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा है. कृष्णा ने आगे कहा कि जब वो सोमवार को मंदिर से आ रहे थे तो कई श्रद्धालु भावुक हो गए.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के कमिश्नर सीपी राम राजा प्रेमा प्रसाद ने कहा कि नए पुजारियों को मंदिर का काम शुरू करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है. अब लोगों की सोच बहुत बदल चुकी है. अब लोगों का सोचना है कि पुजारी को पूजा कराना आना चाहिए, मंदिर का रख-रखाव अच्छा होना चाहिए अब उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वह किसी जाति का है.
बोर्ड के जरिये राज्य में 1248 मंदिर संचालित होते हैं, जिनमें विश्व प्रसिद्ध भगवान अयप्पा का सबरीमाला मंदिर भी शामिल है. त्रिशूर जिले के कोराट्टी के रहने वाला कृष्णन संस्कृत में परास्नातक के अंतिम वर्ष का छात्र है. उसने 15 वर्ष की उम्र में पहली बार घर के नजदीक मंदिर में पूजा शुरू की थी.

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