2024 चुनाव से पहले बसपा के खिलाफ मनुवादी मीडिया की साजिश शुरू

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2024 लोकसभा चुनाव में पार्टियों को हराने और जीताने का खेल शुरू हो गया है। इस खेल को खेलने वाली सर्वे कंपनियां अपने-अपने दावों के साथ बाजार में उतर गई हैं। कोई किसी को हरा रहा है तो कोई किसी को जीता रहा है।

हमेशा की तरह सबकी निगाहें इस बार भी उत्तर प्रदेश पर लगी हुई है। ऐसे में इस बात के सर्वे आने शुरू हो गए हैं कि अगर आज उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए तो प्रदेश में सीटों की स्थिति क्या होगी, इसको लेकर इंडिया टुडे और सी वोटर्स ने मिलकर एक सर्वें किया है। इसके जो आंकड़े सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं। खासतौर पर बहुजन समाज पार्टी के लिए।

इंडिया टुडे-सी वोटर सर्वे के मुताबिक उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एनडीए को 72 सीटें, समाजवादी पार्टी को 7 सीटें जबकि कांग्रेस को 1 सीट मिलने की बात कही गई है। वहीं इस बार सबसे बड़ा झटका बसपा को लगने का जिक्र है। सर्वे के मुताबिक बसपा को एक भी सीट नहीं मिलेगी।

लेकिन जिस सर्वे में 2024 के चुनाव में बसपा को यूपी में एक भी सीट नहीं मिलने की बात कही जा रही है, जरा उस सर्वे की सच्चाई जान लिजिए। इंडिया टुडे-सी वोटर ने ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे में 543 लोकसभा सीटों पर जाकर आनन-फानन में 25951 सैंपल इकट्ठे किए। अगर सर्वे में ईमनादारी से हर सीट पर एक ही संख्या में लोगों की राय ली गई होगी तो एक सीट पर करीब 47-50 लोगों की राय पूछी गई होगी।

अब जरा उत्तर प्रदेश के लोकसभा क्षेत्रों को समझिए। प्रदेश के ज्यादातर लोकसभा क्षेत्रों में 4-6 के बीच विधानसभा सीटें होती है। यहां वोटरों की संख्या लाखों में होती है। अब यहां सवाल यह है कि जिस उत्तर प्रदेश के लिए इंडिया टुडे का सी-वोटर सर्वे बसपा को जीरो सीटें मिलने का दावा कर रहा है, उसे बताना चाहिए कि आखिर प्रति लोकसभा में उसने जिन 50 या मान लिया कि 100 लोगों का सैंपल लिया है, वो किस क्षेत्र में लिया है। क्योंकि बसपा के ज्यादातर वोटर तो ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।

एक बात और चौंकाने वाली है। जिस सर्वे का हवाला देकर बसपा को जीरो, कांग्रेस को एक और समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश में 7 सीटें मिलने का दावा किया जा रहा है, उसे महज 15 जुलाई से लेकर 14 अगस्त सिर्फ एक महीने में पूरा कर लिया गया है।

ऐसे में अगर सर्वे के तरीके और लिये गए सैंपल के नंबर पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि ऐसे सर्वे बेमानी हैं। सर्वे एजेंसिया अगर ईमानदार हैं, तो उन्हें बताना चाहिए कि उनके द्वारा लिये गए सैंपल का सामाजिक समीकरण क्या है, और वो किस गांव और शहर में गए थे। वैसे भी सर्वे एजेंसिया अक्सर बहुजन समाज के नेतृत्व वाले दलों को लेकर ऐसे नतीजे देती रही हैं। जहां तक बसपा का सवाल है तो अपनी स्थापना से लेकर अब तक बहुजन समाज पार्टी ने कई मौकों पर सर्वे एजेंसियों और देश को चौंकाया है। इंतजार करिये।

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