कोच्चि। केरल में मंदिर बोर्डों की तरफ से जातिवादी बंधनों को तोड़ने की एक और पहल सामने आई है. बीते महीने राज्य के त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड द्वारा दलितों को पुजारी बनाए जाने के बाद अब कोचीन देवस्वम बोर्ड ने भी एक दलित को बोर्ड का पुजारी नियुक्त किया है.
द हिंदू की ख़बर के मुताबिक़ बोर्ड ने मथिलाकम के रहने वाले कुझुपुली उमेश कृष्णन को पुजारी बनाया है. उमेश कोचीन देवस्वम बोर्ड के अंतर्गत आने वाले किसी भी मंदिर के पहले दलित पुजारी हैं.नियुक्ति के बाद उमेश कृष्णन ने बुधवार को महादेव मंदिर के पवित्र गर्भगृह की अपनी ज़िम्मेदारियां संभाल लीं. इस मौके पर उनके माता-पिता, पत्नी, बच्चे और अन्य रिश्तेदार मौजूद थे. पिछले 12 सालों से कई मंदिरों के पुजारी रहे उमेश कृष्णन अपनी नई भूमिका को ‘भगवान का आशीर्वाद’ बताते हैं.
इससे पहले केरल के ही त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने छह दलितों को आधिकारिक तौर पर बोर्ड का पुजारी नियुक्त किया था. मंदिर ने पहले भी ग़ैर-ब्राह्मणों को पुजारी बनाया था, लेकिन किसी दलित को पुजारी बनाए जाने का यह पहला मौक़ा था. बोर्ड ने राज्य में संचालित अपने 1,504 मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति के लिए सरकार की आरक्षण नीति का पालन करने का फ़ैसला किया था. इसके लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू जैसे नियमों का पालन किया गया था. नतीजों में अन्य समुदाय से 36 उम्मीदवार मेरिट लिस्ट में आ गए जिनमें छह दलित भी शामिल थे.

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