रायपुर। छत्तीसगढ़ चुनाव को लेकर एक बड़ी खबर आई है. खबर है कि बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती और पूर्व कांग्रेसी दिग्गज अजीत जोगी ने मुलाकात की है. बुधवार को दिल्ली में दोनों नेताओं के बीच मुलाकात की खबर है. अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और पिछले दिनों उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपनी नई पार्टी बना ली है. छत्तीसगढ़ के चुनाव में जोगी ने लगभग सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था.
मध्यप्रदेश के बाद बहुजन समाज पार्टी छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज करने के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी बसपा अपनी अलग राह चुन रही है. बसपा प्रमुख मायावती और अजीत जोगी की लंबी मुलाकात के बाद अब इसके राजनीतिक मायने तलाशे जाने लगे हैं.
दोनों कद्दावर नेताओं की मुलाकात ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है. इस मुलाकात को लेकर आधिकारिक तौर पर किसी ने कुछ नहीं कहा है, लेकिन माना जा रहा है कि दोनों पार्टियों के बीच 2018 के विधानसभा चुनाव और 2019 के आम चुनाव को लेकर चर्चा हुई है.
इस बीच बसपा प्रमुख मायावती खुद छत्तीसगढ़ में अपनी पैठ बनाने में जुटी हुई हैं. दोनों राजनेताओं के बीच राजनीतिक समझौते की संभावना को इसलिए भी बल मिलता दिख रहा है क्योंकि बसपा के संस्थापक मान्यवर कांशीराम और अजीत जोगी के आपसी रिश्ते काफी गहरे रहे हैं. इस नाते कांशीराम की उत्तराधिकारी मायावती की भी जोगी से निकटता है. तो दूसरी ओर प्रदेश के दलित और आदिवासी वोटरों के बीच अजीत जोगी का काफी प्रभाव है. बसपा का समर्थक भी यही वर्ग है. ऐसे में अगर इन दोनों पार्टियों के बीच कोई समझौता होता है तो इन्हें बड़ा फायदा होने की संभावना है.
प्रदेश में बसपा के ताकत की बात करें तो यहां बसपा के 5 लाख 35 हजार से ज्यादा मतदाता हैं, जो कई विधानसभा में राजनीतिक गणित बनाने और बिगाड़ने के लिए काफी है. जब राज्य का गठन हुआ था, तब साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बसपा के 3 विधायक चुने गए थे. 2008 में 2 विधायक और साल 2013 में बसपा का एक विधायक जीता था.
पिछले दिनों मायावती के निर्देश के बाद तीन दिग्गज नेताओं की घरवापसी हो चुकी है. इसमें पामगढ़ से तीन बार विधायक रहे वरिष्ठ नेता दाऊ राम रत्नाकर सहित सीपत से विधायक रह चुके रामेश्वर खरे, उदल किरण और आर सी बांझिल का नाम शामिल है. ऐसे में साफ लग रहा है कि बसपा छत्तीसगढ़ में भी कर्नाटक और हरियाणा की राह पर चलने को तैयार है, जहां वह कांग्रेस से गठबंधन की बजाय दूसरे मजबूत स्थानीय दल का चुनाव करने की रणनीति बना रही है.
कर्नाटक में बीजेपी को पटखनी देने के बाद महागठबंधन को लेकर मायावती ने सक्रियता बढ़ाई है. इसके वे विभिन्न दलों के राजनेताओं से मुलाकात कर रही हैं. हालांकि बसपा ने छत्तीसगढ़ में गठबंधन को लेकर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में दोनों पार्टियों के शीर्ष नेताओं की मुलाकात को लेकर गठबंधन के कयास भी लग रहे हैं. हालांकि पार्टी सूत्रों का कहना है कि गठबंधन को लेकर किसी भी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी. वैसे भी इसको लेकर अंतिम फैसला मायावती को ही करना है.
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