उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से पहले बीजेपी को झटके पर झटके लग रहे हैं। एक के बाद एक करीब सात विधायक बीजेपी का दामन छोड़ चुके हैं। इसमें स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान जैसे कद्दावर नेता भी शामिल हैं, जो मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। मौर्य के 14 जनवरी को समाजवादी पार्टी में शामिल होने की खबर है। तो दारा सिंह चौहान भी सपा का दामन थामने को तैयार हैं। आइए जानते हैं अब तक कितने विधायक बीजेपी छोड़ चुके हैं.
बीजेपी से इस्तीफा देने वाले विधायकों में कई अहम नाम हैं। इसमें पहला नाम है-
- रोशन लाल वर्मा
- रोशन लाल वर्मा शाहजहांपुर के तिलहर से विधायक हैं
- वह लोधी समाज से आते हैं
- लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं
- 12 सितम्बर 2016 को बीएसपी से बीजेपी में आए थे।
- बृजेश प्रजापति
- बांदा जिले की तिंदवारी से विधायक है
- 2017 में पहली बार विधायक बने
- कुम्हार समाज से आते हैं
- स्वामी मौर्या के करीबी हैं, बसपा सरकार में पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य रह चुके हैं।
- 2016 में ही मौर्य के बीजेपी में आने के बाद बसपा से बीजेपी में आए थे
- भगवती प्रसाद सागर
- कानपुर के बिल्हौर से विधायक हैं
- पूर्व मंत्री हैं और 4 बार के विधायक हैं
- अनुसूचित जाति में धोबी समाज से आते हैं
- झांसी जिले से भी विधायक रह चुके हैं
- 2016 में ही मौर्य के बीजेपी में आने के बाद बसपा से बीजेपी में आए थे.
- अवतार सिंह भड़ाना
- पश्चिमी यूपी के मीरापुर से विधायक हैं
- मेरठ और फरीदाबाद से सांसद रह चुके हैं
- गुर्जर समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं
- भड़ाना ने पिछले साल किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए बीजेपी छोड़ने का ऐलान कर दिया था
- माधुरी वर्मा
- बहराइच जिले की नानपारा विधानसभा सीट से विधायक हैं
- माधुरी 2 बार विधायक रह चुकी हैं
- 2012 में कांग्रेस के टिकट पर नानपारा सीट से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुईं थीं
- 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा
- अशोक कुमार वर्मा
- अनुसूचित मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं। दलित समाज से आते हैं।
- दारा सिंह चौहान
- इस्तीफा देने से पहले दारा सिंह चौहान हालिया योगी सरकार में उत्तर प्रदेश सरकार में वन्य एवं पर्यावरण मंत्री रह चुके हैं।
- भाजपा में जाने से पहले वह बहुजन समाज पार्टी में थे। वह भी ओबीसी समाज से आते हैं।
इसके अलावा 13 जनवरी को मंत्री धर्म सिंह सैनी, शिकोहाबाद से विधायक मुकेश वर्मा और औरया के बिधूना विधायक विनय शाक्य ने भाजपा से इस्तीफा
दे दिया है।
हालांकि राजनीतिक गलियारों में कई और ओबीसी नेताओं के भाजपा छोड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। जिससे भाजपा को काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है। ओबीसी नेताओं के लगातार पार्टी छोड़ने से भाजपा इसलिए घबराई है क्योंकि प्रदेश में पिछड़े वर्ग की जनसंख्या 43 से 45 प्रतिशत के करीब है। साल 2017 में भाजपा ने ओबीसी समाज को 125 सीट दिया था। इसी के बलबूते भाजपा ने चुनाव जीता था। स्वामी प्रसाद मौर्या का भाजपा छोड़ना इसलिए बड़ा झटका है क्योंकि वह कोइरी-कुशवाहा समाज से आते हैं। कोइरी कुशवाहा समाज का वोट प्रतिशत 5 प्रतिशत है, जिन पर स्वामी प्रसाद मौर्या की मजबूत पकड़ है। तो बाकी नेताओं की भी अपने-अपने वर्ग में पैठ है। ऐसे में भाजपा को इन वोटों से हाथ धोना पड़ सकता है, जो भाजपा के लिए चिंता का सबब बना हुआ है।

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।