लखनऊ। सहारनपुर में हुए भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमल वालिया के भाई सचिन वालिया की हत्या के खिलाफ देश भर में विरोध शुरू हो गया है. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ में बहुजन छात्र संगठन अम्बेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन (AUDSU) ने 10 मई को पुतला दहन कर जोरदार विरोध प्रर्दशन किया. प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने सचिन वालिया के लिए न्याय मांगा.
हत्या के विरोध में बाहरी सदस्यों ने समर्थन देते हुए सचिन वालिया के न्याय के लिए आवाज बुलंद की. AUDSU के सदस्यों ने कहा का कहना था कि 2 अप्रैल के भारत बंद के दिन से सामन्तवादी और जातिवादी ताकतों के द्वारा बहुजन एकता को डराने और भयभीत करने का जो सिलसिला सरकार के संरक्षण में किया जा रहा है, वह बहुत निंदनीय कृत्य है. सरकार के इशारे पर बहुजनों पर हो रहे अत्याचार को वर्तमान केंद्र और राज्य सरकार के बहुजनों के प्रति हीन भावना और घृणा को उजागर करने वाला चेहरा है.
देश के समस्त बहुजनों को शांति के साथ साथ कलम, तलवार, बन्दूक आदि अस्त्र शस्त्र को संग्रह करने और उनको चलाने की ट्रेनिंग भी दी जानी चाहिए. उपरोक्त वक्ताओं ने कहा है कि वर्तमान सरकार जातिवाद के दम्भ में चूर होकर लगातार प्रगतिशील बहुजनों को नोटिस करके उनके नाम की लिस्ट बनाकर उनको प्रताड़ित या उनकी हत्या की जा रही है.
2 अप्रैल के भारत बंद को देखकर सामन्तवादी मानसिकता के लोगों में बौखलाहट पैदा हो गई है कि कैसे बहुजन समाज संविधान की बदौलत आज इतने संगठित और प्रगतिशील हो गए हैं. क्योंकि भारत बन्द आंदोलन में भाग लेने वाला कोई राजनैतिक पृष्ठभूमि से नहीं था बल्कि यह देश भर के वह बहुजन लोग थे जो इंजीनियर हैं, डॉक्टर है, प्रोफेसर हैं, प्रथम द्वितीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व अधिजारियों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर आंदोलन में भाग लिया था. जिससे जातिवादी लोगों की मूंछों की ऐंठन में और ज्यादा मरोड़ पड़ गई.
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