हर साल लाखों लोग आखिर क्यों छोड़ रहे हैं भारत की नागरिकता?

नई दिल्ली- भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी को लेकर अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं आया है। जबकि 10 जनवरी 2020 से ही नागरिकता संशोधन विधेयक यानी सीएए लागू कर दिया गया है।  इस बिल के तहत भारत की नागरिकता पाने के लिए पात्र आवेदन कर सकते हैं।

लेकिन हम बात यहां भारत की नागरिकता को छोड़ने को लेकर करने जा रहे हैं। लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल का जवाब देते हुए, लिखित में बताया है कि साल 2015 से 2019 के बीच 6।76 लाख से ज्यादा लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी है। विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी की माने तो तकरीबन 1,24,99,395 भारतीय नागरिक दूसरे देशों में रह रहे हैं।

टाइम ऑफ़ इंडिया के अनुसार, अमेरिका में सबसे ज्यादा भारतीय रहते हैं। इनमें से औसतन 44% भारतीय लोग भारत की नागरिकता छोड़ देते हैं। इसके बाद भारतीय सबसे ज्यादा कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में हैं जहां रहते हुए करीब 33% भारतीय नागरिकता छोड़ देते हैं। दूसरे देशों की बात करें तो ब्रिटेन, सऊदी अरब, कुवैत, यूएई, कतर, सिंगापुर आदि देशों में भी भारतीय बड़ी संख्या में जा बसते हैं।

गृह मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, विदेश में रह रहे 1।25 करोड़ भारतीय नागरिकों में से 37 लाख लोग ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया कार्डधारक हैं फिर भी इन्हें अभी वोट देने, चुनाव लड़ने, एग्रीकल्चर प्रॉपर्टी खरीदने का या सरकारी कार्यालयों में काम कर पाने का अधिकार प्राप्त नहीं है।

अब सवाल ये हैं कि आखिर क्यों हर साल भारतीय देश को छोड़ बाहर बस रहे हैं और अपनी नागरिकता त्याग रहे हैं। जानकारों की माने तो बाहर जाकर बसने वाले लोग अपनी पढ़ाई, अच्छे करियर, फाइनेंसियल स्टेटस और अपने फ्यूचर को बेहतर बनाने के उद्देश से विदेश जाते हैं और वहीँ बस कर रह जाते हैं।

ये देखा गया है कि विदेशों में पढ़ाई के लिए हर साल जाता युवा वर्ग वहीँ सेटल होने के बारे में सोचता हैं और ऐसा करते हुए लगभग हर साल विदेश पढ़ाई के लिए जाने वाला 80% युवा वहीँ का हो कर रह जाता है।

युवाओं की बात करें तो उनके सामने कई बड़ी कंपनियों के भारतीय मूल के अधिकारियों के उदहारण सामने हैं जिन्हें अपना आदर्श मान कर युवा विदेश का रुख कर रहे हैं। इन अधिकारियों में सीईओ सुंदर पिचाई, सत्य नडेला, अरविंद कृष्णा, पराग अग्रवाल का नाम मुख्यता से लिया जाता है। इसके साथ ही युवाओं का मानना है कि भारत में अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी उन्हें बेहतर अवसर नहीं मिल पाते हैं इसलिए वो विदेश में जाकर फ्यूचर बनाने की सोचते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.