दिल्ली के तुगलकाबाद में स्वतंत्रता दिवस के दिन जातिवाद का नंगा नाच देखने में आया। इस दिन संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर झंडा फहराने गए स्थानीय जाटव मुहल्ले के दलितों को गुजर समाज के लोगों ने न सिर्फ झंडा फहराने से रोका, बल्कि राष्ट्रध्वज का अपमान किया और भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर को लेकर अपशब्द कहे। इस बारे में दलित समाज ने एफआईआर दर्ज कराई है।
तुगलकाबाद के चंदरपाल ने गोविन्पुरी थाने में दी गई अपनी शिकायत में कहा है कि 15 अगस्त को वह अपने दलित जाटव समाज के 25-30 साथियों के साथ, जिसमें औरतें भी शामिल थी, कमन की जोहर जाटव मोहल्ला तुगलकाबाद गाँव स्थित बाबासाहेब की प्रतिमा पर झंडा फहराने गए। उसी समय वहां जितेन्द्र गुजर, दीपक गुजर, रिंकू गुजर और शकुंतला गुजर आए और झंडा उतार कर फेंक दिया। साथ ही बाबासाहेब और वहां मौजूद औरतों को जातिसूचक गालियां देने लगे। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि गुजरों ने जाटव समाज के साथ मारपीट की और पथराव शुरू कर दिया, जिसमें कई लोग घायल हो गए।
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि गुजर समाज के गुंडों ने डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा पर गोबर फेंका और राष्ट्रध्वज का अपमान किया। इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि यह सारा घटनाक्रम पुलिस की मौजूदगी में हुआ। इस हंगामे के दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही। यहां तक की पुलिस वालों ने अपने नेम प्लेट भी हटा दिये थे, ताकि उनकी पहचान सामने नहीं आ सके। दलितों ने थाने के एसएचओ पर धमकाने का आरोप लगाया कि आखिर दलित झंडा फहराने क्यों गए थे। इस मामले में जमीन को लेकर विवाद की बात भी सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि दलितों को आवंटित इस जमीन पर एक कद्दावर भाजपा नेता की शह पर उसके समर्थक इस जमीन को हथियाना चाहते हैं और यहां से बाबासाहेब की प्रतिमा हटाना चाहते हैं।
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