नई दिल्ली। भाजपा सरकार ने प्रत्येक क्षेत्र में आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है जिस वजह से लोगों के सामने समस्याऐँ आनी शुरू हो गयी हैं. ताजा मामला गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासियों का है जहां ‘आधार’ की अनिवार्यता से छूट दिये जाने की मांग की गयी है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि सामाजिक योजनाओं का लाभ लेने के लिए ‘आधार’ की अनिवार्यता समाप्त की जाए. शुक्रवार को कोर्ट ने याचिका पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से इन्कार करते हुए मामला आधार की सुनवाई कर रही पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेज दिया है.
इससे पहले याचिका पर बहस करते हुए वकील मनोज गोरकेला ने कहा कि सरकार की अधिसूचना में कक्षा 9 से 12वीं तक प्रवेश लेने और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार के इस आदेश के कारण आदिवासियों के बच्चों को आधार कार्ड न होने के कारण स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल रहा है. उन्होंने आदिवासियों की दिक्कतें गिनाते हुए कहा कि कई कानूनों में आदिवासियों को छूट दी गई है ऐसे में आधार की अनिवार्यता से भी आदिवासियों को छूट दी जाए.
उन्होंने कोर्ट से इस बाबत अंतरिम आदेश देने की मांग करते हुए कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार अनिवार्य नहीं होगा तो फिर सरकार इसे अनिवार्य कैसे कर सकती है. लेकिन पीठ ने अंतरिम आदेश देने से इन्कार करते हुए कहा कि इस मामले की सुनवाई पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही है इसलिए ये पीठ कोई अंतरिम आदेश नहीं दे सकती. कोर्ट ने याचिकाएं आधार की सुनवाई कर रही पांच न्यायाधीशों की पीठ को विचार के लिये भेज दीं है जिसमें बड़ा फैसला जल्द आने की संभावना है.
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