कोरापुत। एक खास वर्ग की नजर में शिक्षा देने वाली एक देवी की जयंती का जश्न जब पूरे राज्य भर में मनाया जा रहा था और ओडिसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को ‘आदर्श मुख्यमंत्री’ का सम्मान मिलने पर राजधानी में सत्ताधारी दल बीजेडी के कार्यकर्ता जश्न में डूबे हुए थे. इसी बीच ‘कुंदुली रेप’ पीङिता की खुदकुशी की खबर ने सारे राज्य को सन्न कर दिया.
10 अक्टूबर, 2017 की घटना है. भुवनेश्वर से करीब 500 किमी दूर आदिवासी बाहुल जिला कोरापुट के कुंदुली की नौवीं कक्षा की एक आदिवासी नाबालिग छात्रा के साथ सेना की वर्दी में कुछ जवानों ने दुष्कर्म किया. हालांकि जलालत में डूबी वह लड़की मर ना सकी लेकिन तकरीबन 100दिनों के बाद उसने अपने घर में दम तोड़ दिया. 22 जनवरी, 2018 को अचानक उसके आत्महत्या की खबर आई. घरवाले आनन-फानन में उसे अस्पताल लेकर गए लेकिन डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.
कहा जा रहा है कि उसने आत्महत्या कर लिया है. लेकिन उसके शव का पोस्टमार्टम करने से पुलिस प्रशासन जिस तरह लगातार बचता रहा और दबाव बढ़ने पर जिस तरह श्मशान में उसका पोस्टमार्टम किया गया, वह कई सवाल उठा रहा है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि
सामान्यतः कोई भी आत्महत्या करे तो तुरंत जगजाहिर हो जाता है कि पीड़ित/पीङिता ने फांसी लगाकर या जहर या आग लगा कर खुदकुशी की है. लेकिन पीड़िता के मामले में किसी को कोई जानकारी नहीं दी गई. दूसरी बात यह भी है कि जब वो बलात्कार के बाद तीन महीने तक जिंदा रही फिर अचानक उसने आत्महत्या क्यों किया होगा? पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या आएगा, यह अलग बात है लेकिन आत्महत्या का कारण फौरन उजागर ना करने का क्या मतलब रहा होगा? सुनाबेङा अनुमंडलाधिकारी नरहरि नायक ने 22 जनवरी को शाम तक आत्महत्या की पुष्टि कर दी.
सेना जवानों पर आरोप
पहले तो मीडिया में खबर चली कि सेना जवानों ने रेप किया है. फिर इस बात को खारिज करते हुए ओडिशा पुलिस महानिदेशक डॉ आरपी शर्मा ने बताया कि वे सेना जवान नहीं थे. मामले में एक नया मोड़ तब आया जब पीड़िता ने बताया कि वे लोग सेना जवान थे. इस बयान के बाद फिर पुलिस की ओर से बयान आया कि वे सेना की वर्दी में थे ना कि सेना के जवान.
हालांकि 10 नवंबर को पीड़िता ने यह भी कहा था कि उसे पचास हजार रुपये देकर बयान बदलने के लिए दबाव डाला जा रहा है. पुलिस ने 16नवंबर को चार लोगों को हिरासत में लिया लेकिन अगले दिन तीन को छोड़ दिया और बाकी एक को डिटेक्शन के बाद सबूत ना मिलने के कारण 21 नवंबर को छोड़ा.
रेप नहीं हुआ है- ओएचआरसी रिपोर्ट
ओएचआरसी ने जब मेडिकल रिपोर्ट में कहा कि पीड़िता के साथ रेप नहीं हुआ है. इस रिपोर्ट ने कई सवाल खड़े कर दिए. शहीद लक्ष्मण नायक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, कोरापुट और एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने भी रेप ना होने की पुष्टि की थी.
अब ऐसे में पहला सवाल है कि रेप नहीं हुआ तो पीड़िता गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती क्यों हुई थी? दुसरा, जिला अस्पताल से राज्य के सबसे बड़े अस्पताल एससीबी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल, कटक में 19 नवंबर को क्यों लाया गया? तीसरा सवाल, जब रेप हुआ नहीं जैसा कि ओएचआरसी की रिपोर्ट में कही जा रही है तो पीड़िता को 27 नवंबर तक एससीबी मेडिकल कॉलेज में रखने की क्या जरूरत थी? चौथा सवाल, जब रेप नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री ने जांच का आदेश क्यों दिया था?
इसी से मिलता-जुलता एक और घटना का उल्लेख करना जरूरी है. इसी जिले के टिकरी नामक जगह पर भी रेप की घटना हुई थी लेकिन इसमें उसके पीछे किसी का ध्यान नहीं गया. पर वहीं कुंदुली की अस्मिता (बदला हुआ नाम) के साथ रेप की घटना होने के बाद तमाम प्रकार से सबूतों को मिटाने, बयान बदलने व केस वापस लेने की कोशिशें की गई.
ऐसी कोशिश की आखिरकार पीड़िता ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया या फिर उसे मार डाला गया. ये दिल्ली की निर्भया नहीं, एक गरीब आदिवासी विधवा मां की लाडली थी जिसकी फिक्र किसी को नहीं थी. कोरापुट में कांग्रेस भले ही उसका शव लेकर एनएच-26 पर न्याय मांगती रही लेकिन किस लिए? 24 जनवरी को बीजेपी ने भी चक्का जाम किया लेकिन क्या इससे रेप का चक्का रूक जाएगा?
हालांकि इस मामले को भटकाने के लिए प्रेम प्रसंग से जोड़कर भी देखा जा रहा है. पुलिस ने कथित प्रेमी का वीडियो बयान रिकॉर्ड व पॉलीग्राफ टेस्ट भी की है लेकिन रिपोर्ट अभी खुलकर सामने नहीं आई है. हालांकि पॉलीग्राफ के दौरान 16 साल की उम्र के पीपुन नामक लङके से सत्तर सवाल किए गए हैं जिसके आधार पर कहा जा रहा है कि घटना के दिन पीङिता अपने प्रेमी के साथ मिली थी और बाद में शादी से मुकरने के कारण सामूहिक दुष्कर्म की कहानी बनाई. किसकी कहानी में कितना सच है रिपोर्ट बयां कर रही है. लेकिन ऐसी पुलिसिया कार्रवाई कोई नई नहीं है, जिसमें मामले की लिपापोती करने की कोशिश की जाती रही हो.
बड़ा सवाल यह है कि पीड़िता के जिंदा रहने पर न्याय ना दिला सके! उसे बचाया ना जा सका! यह उसकी नहीं समाज की हार है! उसका रेप सेना जवान ने किया हो या किसी अन्य ने क्या फर्क पड़ता है, रेप हुआ था ना! हमने तो इसे भी झूठला दिया.
रवि रनवीरा

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ये साले ऐसे ही केस को दबा देते है।और गरीब घुटकर मरता है ।ऐसे दरिंदो और उनके मददगारों को सीधे गो ली मर देनी चाहिए।