सरकार और अदालत द्वारा एससी-एसटी एक्ट रद्द किये जाने के बाद 2 अप्रैल 2018 को दलित समाज ने बड़ा आंदोलन किया था। देश भर में दलित समाज के युवा अपने इस संवैधानिक अधिकार को बचाने के लिए सड़कों पर उतर आए थे। क्या गांव, क्या शहर हर ओर सड़कों पर सिर्फ नीले झंडे और बाबासाहब की तस्वीरें दिख रही थी। आखिरकार इस जोरदार विरोध प्रदर्शन से डर कर भाजप की केंद्र सरकार ने संसद में विशेष अधिनियम लाकर इस कानून को फिर से बहाल कर दिया। हालांकि इस आंदोलन में दर्जन भर से ज्यादा युवा शहीद हो गए थे, जबकि लाखों युवाओं पर मुकदमा हो गया था, जो अब तक चल रहा है।
2 अप्रैल की तीसरी वर्षगांठ पर बहुजन समाज ने इन शहीदों को याद किया और आंदोलन के जरिए जीत का जश्न मनाया। समाज के बुद्धिजीवियों, एक्टिविस्ट आदि ने इस मौके पर ट्विट कर जहां शहीदों को श्रद्धांजली दी तो वहीं कहा कि आंदोलन किसी भी समाज के जिंदा रहने का प्रमाण है।
2 अप्रैल 2018 के #भारतबंद के दौरान अपने संवैधानिक हक़ों की सुरक्षा और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए जातिवादी तत्वों के अत्याचार और सरकार की हिंसा और अन्याय के शिकार हुए अमर शहीद नौजवानों को कोटि-कोटि नमन. pic.twitter.com/9cJ3BS9bJv
— Ashok Bharti (@DalitOnLine) April 2, 2021
संविधान रक्षक शहीदों को नमन। एसी-एसटी एक्ट आज आपकी वजह से सुरक्षित है। वरना सरकार और न्यायपालिका ने इसे ख़त्म कर ही दिया था। आप हमारी यादों में हमेशा रहेंगे। #2अप्रैल_शहीदों_को_नमन pic.twitter.com/e1nfw5Sv23
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) April 2, 2021

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