दलित परिवारों के सामाजिक बहिष्कार के मामले ने तूल पकड़ा

बाड़मेर। सीमावर्ती बाड़मेर जिले के कालुड़ी गांव के 70 दलित परिवारों के कथित सामाजिक बहिष्कार का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. दलित समुदाय ने जहां आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किए जाने पर महापड़ाव की चेतावनी दी है. वहीं दूसरे पक्ष ने मामले को झूठा बताते हुए कहा है कि इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

विशेष के लोगों द्वारा 70 दलित परिवारों के कथित सामाजिक बहिष्कार का है. दलित समुदाय की ओर से इस बारे में बालोतरा थाने में करीब 17 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है. यह मामला 16 अगस्त को दर्ज कराया गया था, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. गिरफ्तारी नहीं होने से नाराज दलित समाज के लोगों ने 25 अगस्त से महापड़ाव की चेतावनी दी थी. हालांकि गुरुवार को पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के समझाने के बाद महापड़ाव को स्थगित कर दिया है.

समुदाय ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की गई तो वे महापड़ाव करने को मजबूर होंगे. वहीं दूसरी जाति के लोग भी लामबंद हो गए हैं, जिन्होंने सोमवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर इस मामले को झूठा बताया और निष्पक्ष जांच की मांग की. प्रदर्शन में आहोर से विधायक शंकर सिंह राजपुरोहित भी शामिल हुए. दलित परिवारों का आरोप है कि जाति विशेष के लोगों द्वारा सामाजिक बहिष्कार के बाद गांव में उनका हुक्का-पानी बंद कर दिया गया है, जिससे उनका जीना दुश्वार हो गया है. इस बीच तनाव को देखते हुए पुलिस ने गांव में एक अस्थायी चौकी बनाकर पुलिस बल तैनात कर दिया है.

दोनों पक्षों के बीच तनाव का कारण वर्ग विशेष के कुछ युवाओं द्वारा दलित समुदाय पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी किया जाना बताया गया. पुलिस के मुताबिक सोशल साइट पर जातिगत टिप्पणी के बाद बायतु के रावताराम ने दूसरे समुदाय के दो युवकों पर एससी/एसटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज करा दिया. बालोतरा वृताधिकारी विक्रमसिंह भाटी ने बताया कि मामला दर्ज कर जांच की जा रही हैं. उन्होंने बताया कि गांव में किसी भी विवाद से बचने के लिए अस्थायी पुलिस चौकी बनाई गई है.

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