बिहार राजभाषा विभाग की घोषणा, सुशीला टाकभौरे को बी.पी. मंडल अवार्ड

 बिहार सरकार मंत्रिमंडल सचिवालय के राजभाषा विभाग ने विभिन्न श्रेणी के पुरस्कारों के लिए नामों का चयन कर लिया है। इस बार पुरस्कारों के लिए 15 श्रेणी के लिए नामों का चयन किया गया है। सभी श्रेणी के लिए पुरस्कार की राशि 50 हजार से तीन लाख रुपये तक है। इसके तहत दलित साहित्यकार डॉ. सुशीला टाकभौरे को बी.पी. मंडल अवार्ड मिला है। जबकि डॉ. अशोक कुमार को बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर पुरस्कार देने की घोषणा हुई है।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुशीला टाकभौरे को बिहार राजभाषा विभाग की ओर से बी.पी. मंडल पुरस्कार के तहत दो लाख रुपये का पुरस्कार मिलेगा। सुशीला टाकभौरे का जन्म दिनांक 4 मार्च 1954 को मध्यप्रदेश के जिला होशंगाबाद में बनापुरा गाँव में हुआ था। सुशीला जी हिंदी दलित साहित्य की अग्रणी महिला साहित्यकारों में से एक है। उनके जीवन के अनुभव, एक दलित और स्त्री होने के नाते उनके जीवन का संघर्ष उनकी रचनाओं में भली-भांति परिलक्षित होती हैं। एक कहानीकार तथा एक कवियत्री के रूप में उन्होंने अपनी अलग छाप स्थापित की है। वे ‘वाल्मीकि’ समाज से आती हैं।
सुशीला जी का रचना संसार उद्द्येश्यपरक है। उनकी रचनाओं के केंद्र में नारी अथवा दलित अवश्य रहते हैं। उनकी रचनाएँ समाज में समानता एवं उच्च आदर्शों की वकालत करती हैं। उनके उपन्यास ‘नीला आकाश’, ‘वह लड़की‘ और ‘तुम्हें बदलन ही होगा’ अम्बेडकरवादी विचार धारा से ओत-प्रोत हैं जिसमें दलित उद्धार, सामाजिक समरसता तथा जातिगत व्यवस्था के उन्मूलन की वकालत की गयी है। सुशीला जी की आत्मकथा ‘शिकंजे का दर्द’ वर्ष 2011 में प्रकाशित हुयी। इसके माध्यम से उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष और कटु अनुभवों को साझा किया है। उनकी कई रचनाओं को विभिन्न विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

डॉ. सुशीला टाकभौरे के बारे में और उनकी लिखी गई किताबों के बारे में जानने के लिए इस लिंक को देखिए

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.