नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु और ऑर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर अयोध्या विवाद में कूद गए हैं. श्री श्री अब खुद से ही आगे आकर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं. अपनी यह ख्वाहिश उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के 13वें नेहरू मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करने के बाद मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत में जाहिर की.
आज सोमवार को जेएनयू के कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह 16 नवंबर को अयोध्या जाएंगे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करेंगे. श्री श्री ने कहा, ‘मैं अपनी मर्जी से मंदिर विवाद का समाधान निकालने का प्रयास कर रहा हूं. अयोध्या विवाद का हल केवल बातचीत से ही हो सकता है और इसके लिए वह सभी हितधारकों के साथ बातचीत कर रहे हैं.’
राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने के लिए अपनी मध्यस्थता के प्रयासों की हो रही आलोचना पर उन्होंने कहा, ‘लोग जो चाहें कह सकते हैं. यह विरोध लालच की वजह से है लेकिन यह सब मैं केवल अपनी मर्जी से कर रहा हूं.’ आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि वह 16 नवंबर को अयोध्या का दौरा करेंगे और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से मुलाकात करेंगे.
अयोध्या राम मंदिर मामले में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की मध्यस्थता का विरोध करते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उन पर तीखा प्रहार किया है. ओवैसी ने रविशंकर को झूठा बताकर कहा कि उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के सदस्यों से कोई मुलाकात नहीं की है. उन्होंने कहा कि ये सब करके उन्हें नोबेल नहीं मिलने वाला.
ओवैसी ने रविशंकर को जोकर बताते हुए कहा कि इतने बड़े मसले में ऐसे कैसे लोगों को मध्यस्थता के लिए बुलाया जा रहा है. ये कोई मजाक है क्या? कोई अपने आप को अकबर का वंशज बताता है तो कोई मुगल का. मैं तो कहता हूं कि मैं आदम का वंशज हूं तो क्या पूरी सल्तनत मेरी हो गई है.
ओवैसी ने आगे कहा कि ये सब करके नोबेल पुरस्कार नहीं मिलने वाला है. मैं कहूंगा कि पहले एनजीटी ने जो उन्हें 75 लाख रुपये का जुर्माना भरने को कहा था वो चुका दें फिर बात करें.
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