कहते है हिम्मत और हौसला बुलंद हो तो हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। कुछ ऐसी ही कहानी है बहुजन नौजवान सतेंद्र सिंह की। मध्य प्रदेश के ग्वालियर के सतेंद्र सिंह लोहिया ने 21वीं राष्ट्रीय पैरा तैराकी चैंपियनशिप में 100 मीटर बैक स्ट्रोक प्रतिस्पर्धा में मध्यप्रदेश के लिए रजत पदक हासिल किया। यह प्रतियोगिता बीते 24 मार्च से 27 मार्च तक आयोजित हुई, जिसमें देश के 25 राज्यों के लगभग 400 तैराकों ने भाग लिया।
रजत पदक जीत सतेंद्र सिंह लोहिया लाखों दिव्यांगो के प्रेरणास्रोत बन गए हैं। इनके संघर्ष की कहानी किसी को भी रोमांचित कर देने की क्षमता रखती है। करीब 34 वर्षीय सतेंद्र सिंह लोहिया का जन्म ग्वालियर वेसली नदी के किनारे एक गाता गाँव जिला भिंड में हुआ। बचपन में वे दोनों पैरों से बामुश्किल चल पाते थे। स्कूल ख़त्म होने के बाद घंटो तक वेसली नदी में तैरते रहते। गाँव वाले उनकी दिव्यांगता पर ताने मारते थे, लेकिन निराश होने के बजाय उन्होंने निश्चय किया कि वह दिव्यांगता को कभी अपने राह का रोड़ा नहीं बनने नहीं देंगे।
धुन के पक्के सतेंद्र ने ऐसा ही किया। सन् 2007 में डॉ. वी. के. डबास के संपर्क में आए तो उन्होंने सतेंद्र सिंह लोहिया को पैरा तैराकी के लिए प्रेरित किया। इसने सतेंद्र के जीवन को नई दिशा मिली। फिर वर्ष 2009 में कोलकाता में आयोजित राष्ट्रीय पैरालंपिक स्विमिंग चैंपियनशिप में पहली बार उन्होंने कांस्य पदक जीता। इस जीत ने उन्हें इतना अधिक प्रोत्साहित किया कि वह राष्ट्रीय पैरालम्पिक में एक के बाद एक 24 स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने जून 2018 में अपनी पैरा रिले टीम के माध्यम से इंग्लिश चैनल को तैरकर पार किया।
इतना ही नहीं, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पैरालंपकि तैराकी चैंपियनशिप में एक स्वर्ण पदक के साथ तीन पदक हासिल किये। उनकी बेहतरीन उपलब्धि के लिए वर्ष 2014 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें विक्रम अवार्ड से नवाज़ा। इसके अलावा वर्ष 2019 में सतेंद्र को विश्व दिव्यांगता दिवस के अवसर पर को सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी के पुरुस्कार से उपराष्ट्रपति ने सम्मानित किया। फिर आया साल 2020 जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सतेंद्र को तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार प्रदान किया।
बताते चलें कि यह पुरस्कार पहली बार किसी दिव्यांग पैरा तैराक खिलाडी को दिया गया। सतेंद्र सिंह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा है। वर्तमान में वे इंदौर में कमर्शियल टैक्स विभाग में कार्यरत हैं।

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