पटना। भाजपा के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कवायद लालू प्रसाद यादव ने शुरू की थी. नीतीश कुमार से अलगाव के बाद बीते साल लालू यादव ने पटना में विशाल रैली आयोजित कर तमाम विपक्षी दलों को इकट्ठा किया था. अब जब बजट सत्र के बाद विपक्षी दलों ने बैठक कर भाजपा को रोकने की रणनीति पर चर्चा तेज कर दी है तो सबको लालू यादव की कमी खलने लगी है. क्योंकि लालू यादव बिहार में विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा और सबसे बड़ी पार्टी भी हैं.
इस कमी को दूर करने के लिए विपक्षी दलों ने नया उपाय ढूंढ़ लिया है. अब लालू यादव से राजनैतिक सलाह-मशविरा करने के लिए जेल में ही बैठक होगी. इसकी जिम्मेदारी जनता दल यू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को दी गई है.
शरद यादव 5 फरवरी को लालू यादव से रांची जेल में मुलाकात करेंगे, जहां वह विपक्ष की रणनीति के बारे में लालू यादव से चर्चा करेंगे. इससे पहले बजट पेश होने के बाद सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों की बैठक हुई थी. इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी के शरद पंवार, राष्ट्रीय लोक दल के अजीत सिंह, सपा से रामगोपाल यादव, राष्ट्रीय जनता दल से लालू यादव की बेटी मीसा भारती सहित कुल 17 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए थे. इस दौरान सोनिया गांधी ने विभिन्न दलों के नेताओं से राज्यों के आपसी मतभेदों को भुलाकर केंद्र में भाजपा को रोकने के लिए साथ आने की अपील की. इस पर सभी दल सहमत दिखें. हालांकि इस दौरान लालू यादव की गैरमौजूदगी सबको खली.
इसी के बाद शरद यादव को लालू यादव से तमाम मुददों पर चर्चा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. यादव जहां जेल में लालू यादव से मिलकर रणनीति पर चर्चा करेंगे तो वहीं लालू यादव की बात को सोनिया गांधी और तमाम विपक्ष तक पहुंचाएंगे. इससे पहले विपक्षी दलों को एक साथ लाने के लिए लालू प्रसाद यादव ने कई बार बैठक भी की थी लेकिन चारा घोटाले में फैसला आने के बाद से वह जेल में हैं. 2019 में चुनाव को लेकर विपक्षी दल अभी से गंभीर हैं और भाजपा को रोकने के लिए तमाम रणनीति पर चर्चा कर रहा है.

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