मुंबई। जस्टिस लोया केस को लेकर बड़ा बयान देने वाले मुंबई हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस बीजी कोलसे पाटील ने सत्ता के सांप्रदायिकरण पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि भारत में अल्पसंख्यक, आदिवासी, दलित और गरीब बुरी तरह डरे हुए हैं. उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है. सांप्रदायिक ताकतों ने लोकतंत्र के सभी केंद्रों पर कब्जा कर लिया है. जस्टिस कोलसे ‘अलायंस फॉर जस्टिस एंड पीस’ द्वारा कराए जा रहे ‘जज कन्वेंशन’ में बोल रहे थे. जिसका विषय ‘लोकतंत्र की सुरक्षा’ था.
इस दौरान पाटील ने कहा कि उन्हें लगातार डराने की कोशिश की जाती रही है. उनके साथ कभी भी कुछ भी हो सकता है. अपने भाषण में जस्टिस कोलसे ने एक बार फिर जस्टिस लोया की हत्या का मामला उठाया. जस्टिस कोलसे ने कहा कि सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ की सुनवाई करने वाले जज बीएस लोया की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई. उन्होंने आरोप लगाया कि लोया के अलावा उनके दो राजदारों एडवोकेट श्रीकांत खंडालकर और रिटायर्ड जज प्रकाश थोम्बरे की भी हत्या की गई है. पाटील का दावा है कि वो कोई हादसा नहीं था. इसलिए अगला नंबर उनका है. इससे पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जस्टिस कोलसे ने काला दिन बताया था.
देश के शीर्ष सत्ता के सांप्रदायिकरण पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि भले ही देश के वंचित, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक खतरे में हो, मुल्क का संविधान सभी को बराबर अधिकार देता है. कहीं भी अन्याय हो तो उसके खिलाफ लोग आवाज उठाएं. उसका विरोध करें. सच बोलने से बिल्कुल भी ना डरें.’ जस्टिस पाटील ने आगे कहा कि जब जनता ही अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर आ जाएगी तो जेल भी कम पड़ जाएंगी. लोग संवैधानिक दायरे में रहकर अपना अभियान चलाएं.

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