रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा, जानें क्‍या होगा असर…

नई दिल्ली। डॉलर के मुक़ाबले रुपया लगातार धड़ाम हो रहा है. गुरुवार को रुपये में फिर ऐतिहासिक गिरावट आई है. एक डॉलर की क़ीमत 70.32 रुपये पहुंच गई है. गुरुवार को रुपया 43 पैसे गिरा. अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले रुपया अपने सबसे निम्नतम स्तर पर है. रुपए की ये गिरावट जो इस साल 8 फीसदी से ज्यादा रही है.

मु्द्रा बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर 70.25 पर खुला और जल्द ही कुल 43 पैसे टूटकर 70.32 पर पहुंच गया. पिछले सत्र के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 69.89 के निम्न स्तर पर बंद हुआ था. मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, आयातकों की ओर से अमेरिकी मुद्रा की जबरदस्त मांग और विदेशी पूंजी की निकासी से घरेलू मुद्रा में कमजोर रुख देखा गया. इसके अलावा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार व्यापार घाटे में अधिक बढ़ोत्तरी का भी रुपया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश का व्यापार घाटा पांच साल के उच्च स्तर यानी 18 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. बुधवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुद्रा बाजार बंद रहे थे.

क्या होगा असर?

– महंगाई बढ़ेगी
– रुपया कमजोर होने से आयात महंगे हो जाते हैं.
– तेल के दाम बढ़ेंगे
– तेल महंगा होने का मतलब सब्जियां, खाने पीने के सामानों का महंगा होना.
– कमजोर रुपए से विदेशों में पढ़ाई और छुट्टियां मनाना महंगा होगा
– कंप्यूटर,स्मार्टफोन और कार, आयात होने वाली चीजें महंगी होंगी

हालांकि उद्योगों के कई जानकार मानते हैं कि रुपया का गिरना पक्के तौर पर एक बुरी चीज नहीं है. ये भारतीय निर्यातकों के लिए अच्छी खबर है और खासकर मेड इन इंडिया के लिए ये जरूरी है. बजाय गिरने पर मातम मनाने के क्या हम इसे मेक इन इंडिया के लिए एक मौक़े के तौर पर देखें? इससे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय निर्यात बेहतर मुक़ाबला कर पाएगा और क्या हम विदेशी कंपनियों को भारत में विश्व स्तरीय और निर्यातोन्मुख निर्माण का भरोसा दिला सकते हैं?

पिछले साल एक डॉलर के बराबर 62 रुपए थे अब ये 70 हो चुका है, इस हिसाब से ये 6 से 7 लाख रुपए सालाना ज्यादा का खर्च बैठता है. हालांकि गवर्नर के मुताबिक इसमें चिंता की कोई बात नहीं है. आर्थिक मामलों के मंत्रालय के सचिव सुभाष गर्ग ने एनडीटीवी से कहा कि ये एक अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम है. RBI के पास पर्याप्त विदेशी मुदा भंडार है और 2013 में डॉलर के मुक़ाबले 69 रुपया था. ये अस्थायी दौर है, स्थिर हो जाएगा. अगर रुपया 80 तक भी गिरे तो कोई बात नहीं है. अगर दूसरी मुदाए भी इसी तरह से गिरती हैं. दूसरी मुदाएं भी कमजोर हुई हैं जैसे दक्षिण अफ्रीकी रैंड 2 फीसदी गिरा है, रूस के रुबल में 1.4 प्रतिशत की गिरावट आई है और मैक्सिकन पेसो 0.8 प्रतिशत नीचे आया है.

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