
नई दिल्ली। भारत के विश्वविद्यालयों में कुलपति (वाइस चांसलर) पदों पर होने वाली नियुक्ति में ओबीसी, एससी व एसटी उम्मीदवारों की संख्या ना के बराबर है. आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के अनुसार ओबीसी, एससी व एसटी उम्मीदवारों की संख्या सामान्य वर्ग के मुकाबले बहुत कम है जो कि चिंताजनक है.
आरटीआई में यूजीसी द्वारा मिली जानकारी के आंकड़े बताते हैं कि भारत में कुल 496 कुलपति नियुक्त हैं जिनमें ओबीसी-36, एससी-06 व एसटी-06 कुलपति हैं. अगर देखा जाए तो तीनों पिछड़े वर्गों के कुल मिलाकर 48 सीटों पर कुलपति हैं. ऐसा कहा जा सकता है कि ना के बराबर नियुक्ति हो रही है. जानकार बताते हैं कि कुलपति की नियुक्ति में ओबीसी, एससी व एसटी उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए.
लालू प्रसाद ने केन्द्र सरकार पर लगाया था आरोप
इस मामले में वर्ष 2016 में यूजीसी ने कहा था कि फैकल्टी पदों के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को भेजे एक पत्र में कहा था कि यहां होने वाली नियुक्ति में केन्द्र सरकार की आरक्षण नीति के दिशा-निर्देश में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इस मुद्दे पर राजद नेता व बिहारा के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया था कि वो विश्वविद्यालयों में आरक्षण नीति खत्म करना चाहती है.
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