
नई दिल्ली। दिल्ली के लुटियन जोन में डॉ. अम्बेडकर फाउंडेशन की जगह अब डॉ. अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र (DAIC) बन चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबासाहेब के परिनिर्वाण दिवस के ठीक एक दिन बाद आज इसका उद्घाटन कर दिया. एक शानदार कार्यक्रम में सरकार के तमाम मंत्रियों, अधिकारियों और भाजपा कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में इस केंद्र का उद्घाटन हुआ. इस केंद्र का शिलान्यास पीएम मोदी ने ही 20 अप्रैल 2015 को किया था.
इस केंद्र की परिकल्पना तत्कालिन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह के नेतृत्व में बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर के शताब्दी जयंती वर्ष के समय 1991 में की गई थी. तब सामाजिक न्याय के एजेंडे को लेकर चलने वाले रामविलास पासवान और शरद यादव जैसे नेताओं ने भी इस केंद्र की बुनियाद रखने की दिशा में सरकार पर काफी दबाव बनाया था. वी.पी. सिंह की सरकार ने ही इस केंद्र के लिए जमीन भी दी गई थी. तब से ज्यादातर वक्त सत्ता में रही कांग्रेस और भाजपा की पूर्ववर्ती सरकारों ने इसकी कोई सुध नहीं ली थी.
मौजूदा केंद्र सरकार ने अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर को बनाने के लिए जनवरी 2018 तक का समय लिया था लेकिन उससे पहले ही यह विशालकाय हैरीटेज तैयार हो चुका है. 3.25 एकड़ में फैले इस सेंटर को बनाने में तकरीबन ढाई साल लगे और इस पर 191 करोड़ की लागत आई है. दिल्ली के जनपथ रोड पर बने इस सेंटर में एक लाईब्रेरी 3 मीटिंग्स हॉल और एग्जिबिशन हॉल भी है. जबकि इस सेंटर में एक साथ करीब 5 हजार लोग बैठ सकते हैं.
राजनीति में जैसा होता है, भाजपा ने पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा से जुड़े तमाम पदाधिकारियों को दिल्ली बुला लिया था, ताकि वो अपने क्षेत्र में जाकर लोगों को बता सकें कि मोदीजी ने बाबासाहेब के नाम पर क्या किया है.
कार्यक्रम में मौजूद अन्य लोग भी भारत सरकार के इस कदम से खुश थे. उनके लिए इतना ही काफी है कि लुटियन जोन जैसे महत्वपूर्ण जगह पर बाबासाहेब के नाम पर एक शानदार इमारत खड़ी है, जिसमें डॉ. अम्बेडकर और बुद्ध की प्रतिमा है. लेकिन कार्यक्रम में मौजूद कुछ लोगों को इस शानदार केंद्र में कुछ खटक भी गया. कुछ लोगों ने इस केंद्र में लगी बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर और बुद्ध की प्रतिमा को लेकर सवाल उठाया. उनका कहना था कि बाबासाहेब और तथागत बुद्ध की जो प्रतिमाएं लगाई गई है वह और बेहतर हो सकती थी. बसपा की सरकार में जो प्रतिमाएं लगी थीं वो शानदार थी, लेकिन यहां लगी प्रतिमाएं प्रभाव नहीं छोड़ती हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान बाबासाहेब के जीवन के बारे में बात करने की बजाय सरकार की उपलब्धियां ज्यादा गिनवाई. एक जो और बात खटकने वाली थी, वह यह थी कि पूरे कार्यक्रम के दौरान कहीं भी वी.पी सिंह का नाम नहीं लिया गया.

अशोक दास (अशोक कुमार) दलित-आदिवासी समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले देश के चर्चित पत्रकार हैं। वह ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ के संस्थापक और संपादक हैं। उनकी पत्रकारिता को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई जैसे देशों में सराहा जा चुका है। वह इन देशों की यात्रा भी कर चुके हैं। अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने, जिनमें DW (जर्मनी), The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspaper (जापान), द वीक मैगजीन (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं। अशोक, दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फरवरी, 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता के दुनिया के सबसे बड़े संगठन Global Investigation Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग मे आयोजिक कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है।