नई दिल्ली। दलित साहित्य के लिए एक बड़ी खबर है. दुनिया के बड़े पब्लिकेशन हाउस ऑक्सफोर्ड प्रेस ने दलित साहित्यकार श्योराज सिंह बेचैन की आत्मकथा “मेरा बचपन मेरे कंधे पर” का अंग्रेजी संस्करण प्रकाशित किया है. ऑक्सफोर्ड ने यह किताब ‘My Childhood on my Shoulders’ शीर्षक से प्रकाशित किया है. अंग्रेजी संस्करण का विमोचन बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर के 61वें परिनिर्वाण दिवस पर होगा, जिसके बाद यह पाठकों के लिए उपलब्ध होगी. श्योराज सिंह बेचैन दलित साहित्य और हिन्दी साहित्य का एक बड़ा नाम हैं.
दलित दस्तक से बात करते हुए श्योराज सिंह ने इसे पूरे दलित साहित्य के लिए बड़ी उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा कि इससे हमारी आगामी पीढ़ी को भी प्रेरणा मिलेगी कि जब इतनी गरीबी से उठकर मैं दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रोफेसर बन सकता हूं तो वो भी बहुत कुछ कर सकते हैं.
यह पहली बार है जब किसी दलित साहित्यकार की जीवनी ऑक्सफोर्ड जैसे दुनिया के बड़े प्रकाशन से प्रकाशित हो रही है. 278 पन्नों की इस किताब का अंग्रेजी अनुवाद दीपा जफर और तपन बासु ने किया है.
इस किताब का हिन्दी में प्रकाशन सन् 2009 में वाणी प्रकाशन ने किया था. तब से इसके चार संस्करण आ चुके हैं. यह आत्मकथा देश के तकरीबन दर्जन भर विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है तो देश के बाहर 17 विश्वविद्यालयों ने अपने सिलेबस में रखा है. दलित साहित्य के क्षेत्र में इसका एक बड़ा योगदान है.
जाहिर है कि बाबासाहेब के परिनिर्वाण के दिन श्योराज सिंह बेचैन की इस आत्मकथा का ऑक्सफोर्ड जैसे नामी-गिरामी पब्लिकेशन से अंग्रेजी संस्करण आना दलित साहित्य के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा.
विगत 17 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय अशोक दास अंबेडकरवादी पत्रकारिता का प्रमुख चेहरा हैं। उन्होंने साल 2012 में ‘दलित दस्तक मीडिया संस्थान’ की नींव रखी। वह दलित दस्तक के फाउंडर और संपादक हैं, जो कि मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यू-ट्यूब के जरिये वंचितों की आवाज को मजबूती देती है। उनके काम को भारत सहित अमेरिका, कनाडा, स्वीडन और दुबई में सराहा जा चुका है। वंचित समाज को केंद्र में रखकर पत्रकारिता करने वाले अशोक दास की पत्रकारिता के बारे में देश-विदेश के तमाम पत्र-पत्रिकाओं, जिनमें DW (जर्मनी) सहित The Asahi Shimbun (जापान), The Mainichi Newspapers (जापान), The Week (भारत) और हिन्दुस्तान टाईम्स (भारत), फारवर्ड प्रेस (भारत) आदि मीडिया संस्थानों में फीचर प्रकाशित हो चुके हैं।
अशोक दास दुनिया भर में प्रतिष्ठित अमेरिका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में साल 2020 में व्याख्यान दे चुके हैं। उन्हें खोजी पत्रकारिता (Investigative Journalism) के सबसे बड़े संगठन Global Investigative Journalism Network की ओर से 2023 में स्वीडन, गोथनबर्ग में आयोजित कांफ्रेंस के लिए फेलोशिप मिल चुकी है। वह साल 2023 में कनाडा में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में भी विशेष आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दुबई के अंबेडकरवादी संगठन भी उन्हें दुबई में आमंत्रित कर चुके हैं। 14 अक्टूबर 2023 को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी के पास मैरीलैंड में बाबासाहेब की आदमकद प्रतिमा का अनावरण अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नाम के संगठन द्वारा किया गया, इस आयोजन में भारत से एकमात्र अशोक दास को ही इसकी कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया था। इस तरह अशोक, दलित दस्तक के काम को दुनिया भर में ले जाने में कामयाब रहे हैं। ‘आउटलुक’ मैगजीन अशोक दास का नाम वंचितों के लिए काम करने वाले भारत के 50 दलितों की सूची में शामिल कर चुकी है।
उन्हें प्रभाष जोशी पत्रकारिता सम्मान से नवाजा जा चुका है। 31 जनवरी 2020 को डॉ. आंबेडकर द्वारा प्रकाशित पहले पत्र ‘मूकनायक’ के 100 वर्ष पूरा होने पर अशोक दास और दलित दस्तक ने दिल्ली में एक भव्य़ कार्यक्रम आयोजित कर जहां डॉ. आंबेडकर को एक पत्रकार के रूप में याद किया। इससे अंबेडकरवादी पत्रकारिता को नई धार मिली।
अशोक दास एक लेखक भी हैं। उन्होंने 50 बहुजन नायक सहित उन्होंने तीन पुस्तकें लिखी है और दो पुस्तकों का संपादक किया है। ‘दास पब्लिकेशन’ नाम से वह प्रकाशन संस्थान भी चलाते हैं।
साल 2006 में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), दिल्ली से पत्रकारिता में डिप्लोमा लेने के बाद और दलित दस्तक की स्थापना से पहले अशोक दास लोकमत, अमर-उजाला, देशोन्नति और भड़ास4मीडिया जैसे प्रिंट और डिजिटल संस्थानों में आठ सालों तक काम कर चुके हैं। इस दौरान वह भारत की राजनीति, राजनीतिक दल और भारतीय संसद की रिपोर्टिंग कर चुके हैं। अशोक दास का उद्देश वंचित समाज के लिए एक दैनिक समाचार पत्र और 24 घंटे का एक न्यूज चैनल स्थापित करने का है।