बिहार विधानसभा का चुनाव भले खत्म हो गया हो, वहां राजनीतिक हलचल थमी नहीं है। इस चुनावी नतीजे के बाद सबसे ज्यादा परेशान और बेचैन नीतीश कुमार हैं। नीतीश भले ही भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बन गए हैं, लेकिन भाजपा का छोटा भाई बनना और प्रदेश में तीसरे नंबर पर चले जाना, नीतीश को लगातार खटक रहा है। इसी को देखते हुए नीतीश कुमार ने अपने पुराने साथी उपेन्द्र कुशवाहा को अपने पाले में लाने की कोशिश तेज कर दी है।
नीतीश कुमार और रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के बीच मुलाकात हुई है। नीतीश कुमार कुशवाहा को एनडीए में लाना चाहते हैं। ऐसा कर नीतीश कुमार अपने लव-कुश वाले फार्मूले पर वापस आना चाहते हैं। बिहार में कुर्मी समाज की आबादी 4 फीसदी है और नीतीश इसी समाज से ताल्लुक रखते हैं।
दूसरी ओर किंगमेकर बनने का सपना पाले उपेन्द्र कुशवाहा बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाने के कारण हाशिये पर हैं। उन्हें भी राजनीतिक ऑक्सीजन की जरूरत है। और इस वक्त में सिर्फ नीतीश कुमार ही उन्हें नया मौका दिलवा सकते हैं। संभव है कि जल्दी ही बिहार की राजनीति में नया फेर बदल देखने को मिल सकता है। वहीं दूसरी ओर नीतीश कुमार चिराग पासवान को एनडीए से आउट करने के लिए भी पुरजोर ताकत लगा रहे हैं।

दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
