पटना। दलित वोटों के लिए एक बार जीतनराम मांझी पर दांव लगा चुके नीतीश कुमार ने दलितों को अपने पाले में लाने के लिए फिर एक बड़ा फैसला किया है. इस बार नीतीश कुमार ने किसी नेता पर दांव न लगाकर सीधे दलित समाज के युवाओं को टारगेट किया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलित छात्रों की आर्थिक मदद के लिए अपना ख़ज़ाना खोल दिया है. इसके लिए कई स्तरों पर दलित और आदिवासी समाज के छात्र-छात्राओं को आर्थिक मदद की योजना बनाई गई है.
इसके मुताबिक बिहार सरकार UPSC और BPSC की प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले एससी और एसटी उम्मीदवारों को आगे की तैयारी के लिए क्रमश: एक लाख रूपये एवं 50 हजार रूपये देगी. 8 मई को बिहार कैबिनेट की बैठक में नीतीश कुमार की सरकार ने फैसला लिया कि वह हर उस दलित और आदिवासी छात्र को संघ लोक सेवा आयोग की प्राथमिक परीक्षा पास करने पर सीधे उसके खाते में एक लाख रुपये देगी. लेकिन बिहार लोक सेवा आयोग के परीक्षा के PT पास करने पर पचास हजार दिया जाएगा. यह योजना मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के नाम से जानी जाएगी.
इसके अलावा अब बिहार के किसी भी छात्रावास में रहने वाले दलित और आदिवासी छात्रों को सरकार द्वारा हर महीने एक हज़ार रुपये का भत्ता दिया जाएगा. इसके अलावा राज्य के सभी सरकारी, निजी छात्रावासों में रहने वाले दलित, आदिवासी, पिछड़ी जाति के छात्रों को हर महीने मुफ्त में पंद्रह किलो गेंहू और चावल दिया जाएगा जिससे उनके परिवार वालों पर इसका भार ना हो.
असल में भाजपा में शामिल होने के बाद से ही नीतीश कुमार की काफी आलोचना हो रही है. नीतीश कुमार और भाजपा यह मान कर चल रही थी कि राजद अध्यक्ष लालू यादव के जेल जाने के बाद राजद कमजोर होगी, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल भी लगातार मजबूत हो रही है. उपचुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद ने नीतीश-भाजपा गठजोड़ को पराजित किया था. इससे घबराए नीतीश कुमार ने दलित वोटों को अपने पाले में करने के लिए यह कदम उठाया है.
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