उत्तर प्रदेश से हिन्दू राष्ट्र की आधारशिला रखने की शुरुआत हो गई है। इस कड़ी में सबसे पहले शहरों के नाम बदलने की कवायद की जा रही है। शहरों के नए प्रस्तावित नाम ऐसे हैं कि आप खुद को रामायण और महाभारत काल में पाएँगे।
खबर है कि यूपी सरकार करीब 12 जिलों के नाम बदलने की तैयारी में है। शुरुआत फिलहाल 6 जिलों से होने वाली है। जिन छह जिलों के नाम शुरुआत में बदलने की तैयारी हो रही है, उसमें अलीगढ़, फर्रुखाबाद, सुल्तानपुर, बदायूं, फिरोजाबाद और शाहजहांपुर का नाम शामिल है।
अलीगढ़ को हरिगढ़ या आर्यगढ़, फर्रुखाबाद को पांचाल नगर, सुल्तानपुर को कुशभवनपुर, बदायूं को वेद मऊ, फिरोजाबाद चंद्र नगर और शाहजहांपुर को शाजीपुर किये जाने की योजना है।
योगी आदित्यनाथ के दुबारा सीएम बनने के बाद इस मामले में तेजी आ गई है। गोरखपुर का सांसद रहने के दौरान योगी आदित्यनाथ ने शहर के कई इलाकों के नामों को बदलवा दिया था। इसमें उर्दू बाजार को हिंदी बाजार, हुमायूंपुर को हनुमान नगर, मीना बाजार को माया बाजार और अलीनगर को आर्य नगर कर दिया गया था।
योगी के पिछले कार्यकाल में मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम पं. दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर किया गया, तो इलाहाबाद को प्रयागराज और फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक करीब 6 जिले ऐसे हैं, जिन पर अंदरखाने सहमति बन चुकी है और मुहर लग चुकी है। साथ ही, और ठोस ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ प्रपोजल आगामी विधानसभा सत्र में पेश करने की तैयारी है।
दूसरे चरण में जिन जिलों के नाम बदलने की सुगबुगाहट हो रही है, उसमें मैनपुरी, संभल, देवबंद, गाजीपुर, कानपुर और आगरा का नाम लिया जा रहा है।
जहां तक शहरों के नाम बदलने की प्रक्रिया है तो कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को विधानसभा के पटल पर रखा जाता है। यहां से प्रस्ताव पारित होने के बाद राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है। राज्यपाल की मुहर के बाद नोटिफिकेशन के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजा जाता है।
हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास अधिकार है कि वह इसे स्वीकार या खारिज कर सकता है। लेकिन फिलहाल प्रदेश से लेकर केंद्र तक में तमाम पदों पर भाजपा के लोग बैठे हैं, उसमें इन नामों का बदलना तय माना जा रहा है।
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