मध्यप्रदेश शिवपुरी में एक दलित युवक को इसलिए मार डाला गया, क्योंकि उसने गाँव में बाबासाहेब की प्रतिमा लगवाई और बुद्ध पूर्णिमा मनाई। बुद्ध पूर्णिमा 7 मई को थी। युवक का नाम गजराज जाटव है। जातिवादियों ने पहले युवक का अपहरण किया, फिर कुछ समय बाद जान से मार दिया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस मामले की लीपापोती में लगी है। सूचना है कि भाई गजराज जाटव के पांच बच्चे हैं। सभी लड़कियां हैं। सबसे बड़ी बच्ची की उम्र 10 साल की है। गजराज जाटव एक उत्साही अम्बेडकरवादी युवक था, जो बाबासाहब डॉ. आंबेडकर और बुद्ध में विश्वास रखता था। घटना पर तमाम अम्बेडकरवादी पहुंच गए हैं। मौजूद अम्बेडकरवादी पुलिस से आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग कर रही है।
इसको दूसरे तरीके से देखेंगे तो शिवपुरी में सिर्फ जगराज जाटव की हत्या नहीं हुई, बल्कि बाबासाहब डॉ. आंबेडकर और बुद्ध में आस्था रखने वाले हर किसी के सम्मान को रौंदा गया। और ऐसा आए दिन होता है। देश के हर हिस्से में बाबासाहब की मूर्तियां तोड़ी जाती हैं। गाड़ियों पर ‘जय भीम’ लिखवाने को लेकर अम्बेडकरी समाज के युवाओं के साथ मार-पीट होती है। और कई मामलों में उनकी हत्या भी हो जाती है। गजराज जाटव की हत्या भी ऐसा ही है।
सोचने वाली बात यह है कि किसी जीते-जागते व्यक्ति में इतना ज्यादा जातिवाद कैसे भर जाता है कि वो किसी की हत्या ही कर दे। संभव है कि यह जातीय खुन्नस है और अम्बेडकरवादी युवा गजराज जाटव पहले से ही जातिवादियों के निशाने पर होंगे। मुझे नहीं पता कि सवर्ण जातिवादी इतनी नफरत कहां से लाते हैं? किस धार्मिक उन्माद में वो किसी को अपनी आस्था मानने पर हत्या कर देते हैं। मैं इस घटना पर सवर्ण जातिवादियों को कुछ नहीं कहूंगा, क्योंकि वो शायद वही कर रहे हैं, जो उनके बाप-दादाओं ने उन्हें सिखाया है। लेकिन यहां सवाल यह है कि हम क्या करते हैं?
देश के हर हिस्से में होने वाली इन घटनाओं पर हम पीड़ित परिवार के साथ कितना खड़ा होते हैं। हर शहर में अम्बेडकरवादी संगठन है, वकील हैं, दो-चार अधिकारी हैं। इस नाते हमारी जिम्मेदारी है कि पीड़ित व्यक्ति के साथ खड़े हों। अगर पीड़ित की मृत्यु हो जाती है तब तो हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। ऐसी घटनाओं में स्थानीय वकीलों को पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवार के साथ खड़ा होना चाहिए। पीड़ित को न्याय दिलवाना चाहिए। अम्बेडकरवादी संगठनों को पीड़ित व्यक्ति की आर्थिक मदद करनी चाहिए। अगर हम एकजुट होकर पीड़ित की मदद करने को तैयार रहेंगे तभी अम्बेडकरवाद आगे बढ़ेगा। क्योंकि जिस व्यक्ति के साथ मार-पीट होती है या फिर उसकी हत्या कर दी जाती है, उसका कसूर बस इतना भर होता है कि वह दलित समाज का व्यक्ति है। उसका कसूर बस इतना होता है कि वह अम्बेडकरवाद का झंडा थामे है और बाबासाहब डॉ. आंबेडकर की विचारधारा को बढ़ाने में लगा है। ऐसे हर व्यक्ति के प्रति पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी होती है, हम सबको यह जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
क्या गजराज जाटव के परिवार के साथ खड़े होने की जिम्मेदारी अम्बेडकरी समाज की नहीं है। क्या समाज को गजराज जाटव के परिवार की आर्थिक मदद नहीं करनी चाहिए, और पूरे समाज को मिलकर हत्यारों को सजा नहीं दिलवानी चाहिए, जिससे गजराज जाटव का बलिदान व्यर्थ न जाए।

अशोक दास ‘दलित दस्तक’ के फाउंडर हैं। वह पिछले 15 सालों से पत्रकारिता में हैं। लोकमत, अमर उजाला, भड़ास4मीडिया और देशोन्नति (नागपुर) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों से जुड़े रहे हैं। पांच साल (2010-2015) तक राजनीतिक संवाददाता रहने के दौरान उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों और भारतीय संसद को कवर किया।
अशोक दास ने बहुजन बुद्धिजीवियों के सहयोग से साल 2012 में ‘दलित दस्तक’ की शुरूआत की। ‘दलित दस्तक’ मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यु-ट्यूब चैनल है। इसके अलावा अशोक दास दास पब्लिकेशन के संस्थापक एवं प्रकाशक भी हैं। अमेरिका स्थित विश्वविख्यात हार्वर्ड युनिवर्सिटी में आयोजित हार्वर्ड इंडिया कांफ्रेंस में Caste and Media (15 फरवरी, 2020) विषय पर वक्ता के रूप में शामिल हो चुके हैं। भारत की प्रतिष्ठित आउटलुक मैगजीन ने अशोक दास को अंबेडकर जयंती पर प्रकाशित 50 Dalit, Remaking India की सूची में शामिल किया था। अशोक दास 50 बहुजन नायक, करिश्माई कांशीराम, बहुजन कैलेंडर पुस्तकों के लेखक हैं।
देश के सर्वोच्च मीडिया संस्थान ‘भारतीय जनसंचार संस्थान,, (IIMC) जेएनयू कैंपस दिल्ली’ से पत्रकारिता (2005-06 सत्र) में डिप्लोमा। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एम.ए हैं।
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Ashok Das is the founder of ‘Dalit Dastak’. He is in journalism for last 15 years. He has been associated with reputed media organizations like Lokmat, Amar Ujala, Bhadas4media and Deshonnati As a political correspondent for five years (2010-2015). He covered various ministries and the Indian Parliament.
Ashok Das started ‘Dalit Dastak’ with a group of bahujan intellectual in the year 2012. ‘Dalit Dastak’ is a monthly magazine, website and YouTube channel. Apart from this, Ashok Das is also the founder and publisher of ‘Das Publication’. He has attended the Harvard India Conference held at the world-renowned Harvard University in America as a speaker on the topic of ‘Caste and Media’ (February 15, 2020). India’s prestigious Outlook magazine included Ashok Das in the list of ‘50 Dalit, Remaking India’ published on Ambedkar Jayanti. Ashok Das is the author of 50 Bahujan Nayak, Karishmai Kanshi Ram, Ek mulakat diggajon ke sath and Bahujan Calendar Books.

Mai bahot nirash hu. Aise ghatana se.abhi bhi sawarn humare desh me dalitopar atyachar kar rahe hai. Tabrej ansari moblinching ke bad usake pariwar ke piche bharat me jo maddat aur insaf ki pukar badishor se huo vaise hi hume karana chahiye. Usaki bibi ka maddat ki duhar ka video banake viral kijiye bharat ki her bhasha me jana chahiye.kya koi es liye age ayega . Unka bank account number. Mobile number .show karao….jai bhim.
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