नोटबंदी को लेकर सामने आया सरकार का झूठ

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जारी किए गए नोटबंदी से जुड़े आंकड़ों ने एक बार फिर हड़कंप मचा दिया है. RBI की आंकड़ों की मानें तो नोटबंदी एक तरह का फ्लॉप शो रहा, और इसको लेकर जितने बड़े दावे किए जा रहे थे, वैसा कुछ भी नहीं हुआ.

आंकड़ों के सामने आने से नोटबंदी के बाद बैंकों में वापस जमा हुई रकम यह बता रही है कि देश के करेंसी मार्केट में ब्लैक मनी उस अनुपात में मौजूद नहीं थी, जितना सरकार दावा कर रही थी. पिछले साल 8 नवंबर की आंधी रात को नोटबंदी की घोषणा को ऐतिहासिक फैसला बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया था कि उनका यह फैसला आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर तोड़ कर रख देगा, लेकिन ऐसा कुछ भी होता नजर नहीं आ रहा है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़े बताते हैं कि 2015 के मुकाबले 2016 में भारत में आतंकी हमलों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई.

नोटबंदी की घोषणा को बड़ा फैसला बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि इससे सरकार को ‘काला धन, आतंकी फंडिंग और नकली करेंसी’ को रोकने में मदद मिलेगी. लेकिन आरबीआई के आंकड़ों ने सरकार के दावे पर ही सवाल उठा दिया है. मोदी ने कहा था कि ये कदम भ्रष्टाचार, कालेधन और नकली नोटों के खिलाफ लड़ाई को तेज करेगा. मैं सभी देशवासियों से इस महायज्ञ में मदद करने की अपील करता हूं.

इसके अलावा नोटबंदी को लेकर सरकार में भी विरोधाभासी बयान आ रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने जहां नोटबंदी की घोषणा करते हुए इसका उद्देश्य काले धन, भ्रष्टाचार औऱ आतंकवाद को रोकना बताया था तो वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इससे बिल्कुल उलट बयान दिया है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि नोटबंदी का लक्ष्य पैसे को जब्त करना नहीं था बल्कि इसे आधिकारिक प्रणाली में लाना और फिर उस पर कर लगाना था. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सरकार का अगला कदम चुनावों में कालेधन पर लगाम कसना होगा.

हालिया आकड़ों के सामने आने के बाद कांग्रेस ने भी भाजपा पर निशाना साधा है. कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि यह कदम ‘‘भारी आपदा’’ है जिससे ‘‘निर्दोष लोगों की मौत हुई’’ और अर्थव्यवस्था को ‘‘तबाह’’ कर दिया. ‘‘क्या प्रधानमंत्री अपराध स्वीकार करेंगे’’.

तो वहीं नोटबंदी को लेकर पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम द्वारा दिया आंकड़ा सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा करता है.
चिदंबरम ने ट्विट कर दावा किया कि नोटबंदी के दौरान नोटों की छपाई में 21 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए जबकि आरबीआई के पास सिर्फ 16 हजार करोड़ रुपये वापस आए. चिदंबरम की मानें तो नोटबंदी से सरकार को सीधे तौर पर 5 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

चिदंबरम में ट्विट में लिखा ‘‘99 फीसदी नोट कानूनी रूप से बदले गए. क्या नोटबंदी कालेधन को सफेद करने के लिये तैयार की गयी योजना थी?’’ उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि नोटबंदी के कदम के पीछे जो अर्थशास्त्री था वह ‘‘नोबल पुरस्कार का हकदार’’ है क्योंकि आरबीआई के पास 16,000 करोड़ रुपये आए लेकिन नए नोटों की छपाई में 21,000 करोड़ रुपए खर्च हो गए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.