नई दिल्ली। जब वाजपेयी की अंत्योष्ठी पर एक धड़ा उनके प्रधानमंत्री काल में लिए गए जनविरोधी फैसलों को गिनवा रहा था, उनके समर्थकों को मिर्ची लग रही थी. कहा जा रहा था कि आज के दिन जब वाजपेयी की मृत्यु हुई है, उनके विरोध में बात नहीं करनी चाहिए. लेकिन इसी दौरान दो ऐसी घटनाएं घटी, जिसे भी नहीं होना चाहिए था, लेकिन वह हुई.
बिहार के मोतिहारी स्थित सेंट्रल युनिवर्सिटी के प्रोफेसर संजय कुमार को वाजपेयी को लेकर सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी के कारण मारपीट का सामना करना पड़ा. संजय कुमार का कहना है कि शुक्रवार यानि कल 17 अगस्त को जब वो अपने निवास पर कुछ काम कर रहे थे. तभी राहुल आर. पाण्डेय, अमन बिहारी वाजपेयी, तथा शन्नी वाजपेयी के नेतृत्व में 20-25 लोगों द्वारा उनपर हमला कर दिया. इस दौरान उनसे जमकर अभद्रता की गई और उनके कपड़े तक फाड़ दिए गए. हमलावरों का आरोप था कि वाजपेयी के खिलाफ प्रोफेसर ने अभद्र शब्दों का प्रयोग कर सोशल मीडिया पर लिखा है. जिससे उन्हें आधात पहुंचा है.
अब यह भी देख लेते हैं कि आखिर प्रोफेसर संजय ने क्या लिखा?
प्रोफेसर संजय ने वाजपेयी को लेकर दो पोस्ट लिखा. अगर इन दोनों पोस्टों को देखें तो इसमें वही लिखा है, जो सच है और किसी भी गलत भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया है. बावजूद इसके उनपर हमला किया गया.
प्रोफेसर संजय कुमार ने अपने ऊपर हुए हमले का आरोप वीसी अरविंद अग्रवाल पर लगाया है. मोतिहारी थाने में की शिकायती में उन्होंने आरोप लगाया है कि आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाने की वजह से उन्हें पहले भी धमकी मिलती रहती है. मुझपर फेसबुक कमेन्ट को बहाना बना कर हमला किया गया है. हमला करने वाले कुलपति के निकट के लोग है. जिन्हें कुलपति ने रैगिंग कमेटी में शामिल कर रखा है.
तो वहीं स्वामी अग्निवेश ने आरोप लगाया कि दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पर वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि देने के दौरान उनके साथ मारपीट की गई. स्वामी अग्निवेश को इससे पहले झारखंड में भी निशाना बनाया जा चुका है. सवाल है कि विचारों की भिन्नता पर किसी पर जानलेवा हमले का बढ़ता चलन कितना जायज है.
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