बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती ने हाथरस मामले में पीड़ित परिवार को इंसाफ नहीं मिलने का मामला उठाया है। इस दौरान उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने योगी सरकार और यूपी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। हाथरस मामले में आज 22 मार्च को ट्वीट करते हुए बहन जी ने लिखा है कि “हाथरस गैंगरेप के पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में लगातार रुकावटें आ रही है। ये रुकावटें असल में योगी सरकार की अक्षमता और लापरवाही का सबूत है। मायावती ने आगे अपने ट्वीट में कहा कि हाथरस बलात्कार मामले में अब जो नए तथ्य उजागर हो रहे हैं उसे साफ पता चलता है कि पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने के मामले में योगी सरकार की कार्यशैली किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।”
एक अन्य ट्वीट में बहनजी ने कहा है कि हाथरस कांड में आए नए तथ्यों को माननीय हाईकोर्ट द्वारा संज्ञान मे लेना चाहिए। गवाहों और वकील को धमकाने की जो शिकायतें आ रही हैं उसकी वजह से यूपी पुलिस की कार्यशैली भी संदिग्ध हो जाती है। इसलिए माननीय हाई कोर्ट को पुलिस द्वारा पीड़िता के परिवार, वकील एवं गवाहों को मिलने वाली धमकी के मामले में उचित कार्रवाई हेतु कठोर आदेश देनी चाहिए।
2. हाथरस काण्ड में नए तथ्यों का मा. हाईकोर्ट द्वारा संज्ञान लेकर गवाहों को धमकाने आदि की जाँच का आदेश देने से यूपी सरकार फिर कठघरे में है व लोग सोचने को मजबूर कि पीड़ितों को न्याय कैसे मिलेगा? यह आम धारणा कि यूपी में अपराधियों का राज है व न्याय पाना अति-कठिन, क्या गलत है?
— Mayawati (@Mayawati) March 22, 2021
गौरतलब है कि हाथरस गैंगरेप मामले में घटना के कुछ समय बाद आनन-फानन में पीड़िता का अनुचित तरीके से अंतिम संस्कार कर दिया गया था। जब यह मामला मीडिया में तूल पकड़ गया तब तत्काल कार्रवाई करते हुए हाथरस जिले के पुलिस अधीक्षक सहित चार अन्य पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी। लेकिन इस मांग के बावजूद अभी तक पीड़िता के परिवार को ना तो न्याय मिला है और ना ही दोषियों के खिलाफ उचित कार्यवाही का कोई संकेत मिल रहा है। ऐसे में भारत का पूरा दलित बहुजन समाज आक्रोशित है एवं दोषियों को सजा मिलने का इंतजार कर रहा है। बसपा अध्यक्ष ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए साफ कर दिया है कि वह अन्य नेताओं की तरह दलितों पर हमले को भुनाने की बजाय उस पर गंभीरता से सोचती हैं और लगातार नजर बनाए रखती हैं कि पीड़ित पक्ष को इंसाफ मिल रहा है या नहीं।
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।