फूलपुर से चुनाव नहीं लड़ेंगी मायावती, जानिए 5 बड़ी वजह

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के फूलपुर लोकसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में बसपा प्रमुख मायावती के लड़ने को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि मायावती विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार हो सकती हैं. लेकिन बसपा के बड़े नेताओं ने ‘दलित दस्तक’ से बातचीत में साफ कर दिया है कि बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगी. इसके साथ ही मायावती के चुनाव लड़ने की अटकलें खत्म हो गई हैं. हम आपको 5 बड़े कारण बताएंगे कि आखिर मायावती चुनाव क्यों नहीं लड़ेंगी.

पहला कारणः- बसपा प्रमुख के चुनाव नहीं लड़ने की कई वजहें हैं. इसमें सबसे बड़ी वजह यह है कि बहुजन समाज पार्टी उपचुनाव लड़ने के हक में नहीं रहती है. अपनी स्थापना से लेकर अब तक कुछ चुनिंदा मौकों को छोड़कर बसपा ने इससे परहेज किया है. उत्तर प्रदेश में भी कई बार विधानसभा की सीटों पर उपचुनाव की स्थिति में भी बसपा ने खुद को इससे दूर ही रखा.

दूसरा कारणः- मायावती ने हाल ही में राज्यसभा से इस्तीफा दिया है. इस्तीफे के बाद उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं के सम्मेलन का आगाज भी कर दिया है. 18 सितंबर से इसकी शुरुआत होनी है जो लगातार नौ महीने चलेगी. ऐसे में मायावती फिर से बतौर सांसद काम करने से परहेज करेंगी.

तीसरा कारणः- राज्यसभा से इस्तीफा देते हुए मायावती ने कहा था कि जिस सदन में उन्हें उनके समाज की बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है, उसका सदस्य बने रहना उनके लिए लानत है. यहां यह देखना होगा कि राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं होने के बावजूद जब मायावती को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिल रहा था तो लोकसभा में तो भाजपा बहुमत में है. इसलिए उन्होंने जिस आधार पर इस्तीफा दिया था, वह जस का तस बना रहेगा.

चौथा कारणः- 2019 के लोकसभा और उससे पहले गुजरात और मध्य प्रदेश आदि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मायावती किसी अन्य चुनाव में सीधे उतरने के मूड में नहीं हैं. चुनाव लड़ने की स्थिति में उन्हें अपना सारा ध्यान फूलपुर में प्रचार पर लगाना पड़ेगा और पार्टी की हालत को बेहतर बनाने के लिए बैठक दर बैठक कर रहीं मायावती किसी एक क्षेत्र विशेष पर समय जाया करेंगी इसकी संभावना कम है.

पांचवा कारणः- बसपा और उसकी मुखिया मायावती के लिए सबसे अहम 2019 का लोकसभा चुनाव है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा का कोई भी नेता जीत हासिल नहीं कर पाया था. पार्टी के गठन के बाद पहला सांसद चुने जाने के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि लोकसभा में बसपा का कोई सांसद नहीं है. इसको देखते हुए मायावती के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोकसभा में बसपा नेताओं को पहुंचाना है. अगले लोकसभा चुनाव में काफी कम वक्त बचा है, इसलिए मायावती सिर्फ उसी पर फोकस करना चाहती हैं, न कि खुद चुनाव लड़कर तमाम महत्वपूर्ण चुनावों को किनारे करेंगी.

1 COMMENT

  1. Ye sahi Nirnay hai. Pahle Sangthan ko majboot karna vahut jaruri hai. Bare netao ka party chhodna, Dalito ka party se Moh-bhang hona, party me Dalito ki sabhi up-jaatiyo ka pratinidhitwa na hona aur un sab jaatiyo ka party se door rahna, party me dusri aur teesri line ka netao ka ABHAV, party ka sansthapak , Kansiram ji ke raste ko chhodna – Bahujan hitay aur Bahujan sukhay”, Party me Brahmano ko vishesh adhikar dena aur Dalito ki upeksha hona, SCs me Valmiki sama,j jo Sankhaya bal me majboot hai, ki jaankar upeksha karna tatha dusre kai mahatwapoorna mudde hai jin par turant prabhavi radniti bana kar kaam karne ki vahut jarurat hai taki BSP ko Desh ki No 1 Party banaya ja sake…..BRAHMAN & BANIYA kabhi BSP ka sachcha Vote nahi ho sakta.. ise Dalito ko apne dil aur dimag me baitha lena padega….. Jai BHIM, Jai BHIM…..

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